कविता : समझो माहवारी का दर्द - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 अप्रैल 2024

कविता : समझो माहवारी का दर्द

'माहवारी' वैसे तो ये सिर्फ एक शब्द होता है,

मगर इसका दर्द बहुत भारी होता है,

हर महीने के सात दिन इस दर्द से गुज़रना है,

फिर भी मुस्कुरा कर घर का सब काम करना है,

मत रोको किचन में जाने से लड़कियों को,

कोशिश करो उनके दर्द को समझने की,

दो उन्हें प्यार और खूब सारा पौष्टिक आहार,

माहवारी के दर्द को समझो न कभी गंदा,

न समझो कभी इसको मामूली,

यहां मत जी, ये मत खा, ये मत पहन,

ये सब बोलकर मत बनाओ इसे बोझ,

सौभाग्य है माहवारी हर लड़की का,

समझो उसे और उसके दर्द को,

जा सकती है पूरे महीने किचन में वो,

तो माहवारी के सात दिन क्यों नहीं?

बदलो अपनी सोच को और,

समझो उसके इस दर्द को,

माहवारी नहीं सोच तुम्हारी है गंदी,

बदलो इस सोच को और अभी





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भावना

गरुड़, उत्तराखंड

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