- छबिला महादेव मंदिर समिति महिला मंडल ने दी भजनों की प्रस्तुति
प्रतिदिन माता का श्रृंगार किया जा रहा है। महाष्टमी को दोपहर बारह बजे 100 से अधिक कन्याओं को हलवा-पुडी, खीर आदि प्रसादी का वितरण किया जाएगा और वहीं रात्रि बारह बजे महानिशा आरती का आयोजन किया जाएगा, इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु परम्परानुसार पहुंचते थे। जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि नवरात्रि साल में दो बार आती है एक चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बेहद महत्व है। इसके माध्यम से मां दुर्गा की पूजा की जाती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन का अपना खास महत्व है। हर दिन एक देवी की पूजा की जाती है। पहले तीन दिनों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। चौथे और पांचवें दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आखिरी चार दिनों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है जो ज्ञान की देवी हैं। शनिवार को स्कंदमाता पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर मां का फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया था।
पंडित श्री दीक्षित ने बताया कि चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। माता को लाल रंग प्रिय है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया और उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के पश्चात भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया। इस मौके पर मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, सुनिल चौकसे, सुभाष कुशवाहा, सुमित भानू उपाध्याय, रामू सोनी सहित अन्य शामिल थे।
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