सीहोर : पुष्य नक्षत्र योग में आस्था और उत्साह के साथ मनाई महाष्टमी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

सीहोर : पुष्य नक्षत्र योग में आस्था और उत्साह के साथ मनाई महाष्टमी

  • 101 कन्याओं को भोजन कराने के बाद शिक्षा साम्रगी का किया गया वितरण
  • आज नवमी के अंतिम दिन किया जाएगा भव्य भंडारा, हजारों श्रद्धालुओं होंगे शामिल

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के पावन अवसर पर शहर के विश्रामघाट स्थित चौसट योगनी मरीह माता मंदिर में आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मंगलवार को महाष्टमी का पावन पर्व पुष्य नक्षत्र योग में धूमधाम से मनाया गया था। इस मौके पर करीब 101 कन्याओं को भोजन के साथ शिक्षा साम्रगी का वितरण किया गया। इस मौके पर मंदिर के प्रबंधक रोहित मेवाड़ा, श्रीराधे श्याम विहार कालोनी की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, युवा समाजसेवी यश अग्रवाल, पंडित गणेश शर्मा, पंडित सुनील कुमार पाराशर, कृष्णा मेवाड़ा सहित अन्य मौजूद थे। अब बुधवार को सुबह आठ बजे से यहां पर जारी हवन का समापन किया जाएगा और आरती के पश्चात भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि मंगलवार को दुर्गा महाअष्टमी पर सुबह पुष्य नक्षत्र योग प्रारंभ हुई, जो अगले दिन नवमी पर बुधवार की सुबह 7 बज कर 54 तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र को पोषण कर्ता माना जाता है। यह ऊर्जा शक्ति प्रदान करने वाला नक्षत्र होता है।


हर रोज हो रहा माता के दरबार में भंडारे का आयोजन

शहर के प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्रि का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यहां पर आने वाले आस्थावना श्रद्धालुओं और महिला मंडलों के द्वारा प्रतिदिन यहां पर आने वाले कन्याओं को भोजन प्रसादी का वितरण किया जा रहा है। मंगलवार को भी बड़ी संख्या में कन्याओं की पूजन-अर्चना करने के पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया था। मंगलवार की सुबह से ही मंदिर परिसर में सुबह साढ़े सात बजे से करीब 31 हजार देवी मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई और आरती की गई। वहीं बुधवार को भंडारे का आयोजन किया जाएगा।


आठवें स्वरूप आदि शक्ति महागौरी की पूजा की जाती

श्री दीक्षित ने बताया कि मां दुर्गा के आठवें स्वरूप आदि शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है। आठवें दिन की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है। देवीभगवत् पुराण में बताया गया है कि देवी मां के 9 रूप और 10 महाविघाएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनके अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्य: फलदायिनी है। महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और वह व्यक्ति अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था। तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं। देवीभागवत पुराण के अनुसार, महागौरी का वर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के ही हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है, जो भगवान शिव का भी वाहन है। मां का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतिक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण मां को शिवा के नाम से भी जाना जाता है। मां का नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में हैं और मां शांत मुद्रा में दृष्टिगत है। इस मौके पर  मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, यश अग्रवाल, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, अनिल राय, सुनिल चौकसे, सुभाष कुशवाहा, पंकज झंवर सुमित भानू उपाध्याय, रामू सोनी, चिन्दू, प्रवेश, राजेश कुशवाहा, राजकुमार कुशवाहा, संदीप कुशवाहा, प्रवीण और सुनील सहित अन्य शामिल थे।

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