आलेख : वज्र योग में मनेगी हनुमान जयंती, पूरे होंगे हर अरमान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

आलेख : वज्र योग में मनेगी हनुमान जयंती, पूरे होंगे हर अरमान

बीरों के महाबीर, भक्तों के परम भक्त है हनुमान। हर मुराद के पालनहार है हनुमान। दर्शन मात्र से होते है पलभर में प्रसंन और लगा देते है भक्तों का बेड़ापार। उपर से जयंती व मंगलवार दोनों साथ-साथ है। खास यह है कि इस हनुमान जयंती बना है प्रबल योग। चित्रा नक्षत्र और वज्र योग। इस योग में है हर संकट का समाधान। अलग-अलग रुपों की विधि-विधान से की गयी पूजा से पूरे होंगे बिगड़े हर काम, जिंदगी हो जायेगी सफल। हनुमान के आशिश से भर जायेगा घर। धन-धान्य, यश-कृर्ति, सुख-समृद्धि, सफलता सभी कुछ देकर भक्तों का जीवन संवार जायेंगे अपनी जयंती पर हनुमान। यह सबकुछ होगा चुटकीभर सिंदूर और चोलों से। हनुमान जयंती इस बार बहुत खास मानी जा रही है. 23 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त की गयी पूजा हर लेगी हर संकट। अभिजीत मुहूर्त 23 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा और समापन दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर होगा. जबकि चित्रा नक्षत्र 22 अप्रैल को रात 8 बजे शुरू होगा और समापन 23 अप्रैल को रात 10 बजकर 32 मिनट पर होगा. वज्र योग 23 अप्रैल को सुबह 4 बज कर 29 मिनट पर शुरू होगा और समापन 24 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर होगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी और 24 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए इस साल हनुमान जयंती 23 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. ये दिन भगवान हनुमान के प्रति समर्पण के रूप में मनाया जाता है, जो अपनी ताकत, साहस और भगवान राम के प्रति अटूट भक्ति के लिए जाने जाते है

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न्याय के देवता शनि अगर क्रोधित हों, तो क्या देवता और क्या इंसान सभी थर-थर कांपने लगते हैं। जिंदगी संकटों से घिर जाती है। लेकिन अब वह घड़ी आ गयी है, जिससे चाहे वह शनि की ढैय्या, साढ़े साती हो या कुछ और सभी से मिल जायेगी मुक्ति। खासकर वह वक्त और भी शुभ हो जाता है, जिस दिन मंगलवार व हनुमान जयंती दोनों साथ-साथ हो। वह दिन है 23 अप्रैल। मतलब साफ है इस बार की हनुमत जयंती में हर प्रकार की इच्छापूर्ति शक्तियां समाहित होने का प्रबल योग। ऐसे में अगर रुद्रवतार हनुमान का अलग-अलग रुपों की कामनानुसार पूजा कर ली जाय तो सब मंगल ही मंगल है। घर से लेकर दफतर तक, कोख से लेकर जन्म तक सब सुख-समृद्धि व सफलताओं की बारीश होगी। वैसे तो हर मंगलवार और शनिवार को भक्तों के दुख-दर्द सुनने आते है बजरंगबली। चाहे कोई कष्ट हो, चाहे किसी देवता से कोई बात फरमानी हो, महाबीर की पूजा मात्र से बन जाते है बिगड़े काम। लेकिन इस साल संकटमोचन की पूजा का सबसे विशेष दिन मंगलवार के साथ जयंती होने की मसरत से महाफलदायी व महागुणदायी है। इस दिन विधि-विधान से बजरंगबली का पूजा करने से हो जायेगी सभी कामनायें पूर्ण। जीवन समर्पित किस्मत पलटते देर नहीं लगेगी। ज्योतिषियों के अनुसार चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं और हनुमान का प्रिय दिन भी मंगलवार है. वज्र योग साहस, बल और पराक्रम का परिचायक है. ऐसे में मंगलवार के दिन, चित्रा नक्षत्र और वज्र योग में हनुमान जन्मोत्सव मनाना शुभ है. इससे भक्तों को कई गुना फल मिलेगा. रामभक्त हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है। हनुमान जी की पूजा करने से आप हर प्रकार के संकट और बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं। अपने भक्तों को हनुमान जी हर भय, पीड़ा से मुक्त रखते हैं। इस दिन व्रत करने के अलावा बूंदी, हलवा, लड्डू जैसी मीठी चीजों का भोग लगाने से हनुमान की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बनी रहती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। हनुमान बाबा पर आस्था और श्रद्धा रखने वाले भक्त मानते हैं कि हनुमान जी कलियुग में भी हैं और अपने भक्तों के सभी संकटों और कष्टों को दूर कर रहे हैं। जो लोग आकस्मिक संकट, रोग पीड़ा, मृत्यु भय जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। हनुमान जयंती पर आप सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी को प्रणाम करके उनका पांच बार नाम लेकर नमन करें। इसके बाद स्नान आदि करके पीले वस्त्र धारण करें और हनुमान जी के प्रतिमा के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर ’ॐ केशवाय नमः, ॐ नाराणाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ॐ हृषीकेशाय नमः मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद सूर्यदेव को भी नमन करें और उगते हुए सूरज को जल अर्पित करें। इसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदर कांड का पाठ करें और बूंदी या लड्डू का भोग हनुमान जी को लगाएं। हनुमान जी का प्रसाद भक्तों में बांटना न भूलें। इससे आपको भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होगी। हनुमान जी का दिल बहुत ही उदार हैं, इसलिए आपको हमेशा लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए। आपको गरीब और जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। खासतौर पर आपको हनुमान जयंती पर गरीबों में अन्न जरूर बांटना चाहिए। हनुमान जी श्रीराम के परभक्त माने जाते हैं, इसलिए आपको हनुमान जयंती पर भगवान राम की स्तुति भी करनी चाहिए, इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी को सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है, यानि वो कलयुग में भी जीवित हैं। बल, बुद्धि और विद्या देने वाले हनुमान जी की जयंती के दिन अगर आप कुछ उपाय करते हैं तो आपकी सारी परेशानियों का अंत हो सकता है।


उपाय

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हनुमान जयंती के दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर आपको मीठे पान का बीड़ा और सिंदूर अर्पित करना चाहिए। यह उपाय आपके सभी संकटों को दूर कर सकता है। इस उपाय को करने के बाद हनुमान चालसी का आपको कम-से-कम 108 बार जप करना चाहिए। आर्थिक तंगी और करियर से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए हनुमान जयंती के दिन घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और उसके बाद दो लौंग उसमें डाल दें। इसके बाद श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की अर्चना करें। आपके करियर और धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। अगर किसी कानूनी मामले में आप फंसे हैं या कहीं कोई सरकारी कार्य अटका हुआ है तो हनुमान जयंती के दिन लाल चोला हनुमान जी को अर्पित आपको करना चाहिए। आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि दोष और मंगल दोष से भी मुक्ति मिलती है। यथा संभव जरूरतमंद लोगों की सहायता करने से भी आप बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में आ रही किसी भी समस्या को दूर करने के लिए या फिर अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आपको 11 पीपल के पत्तों पर जय श्री राम लिखकर किसी हनुमान मंदिर में रखकर आ जाना चाहिए। याद रखें कि इन पत्तों को हनुमान जी के पैरों में न रखें। ये उपाय करके आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं, साथ ही जिस समस्या के कारण आप परेशान हैं वो भी दूर हो सकती है। किसी विशेष फल की प्राप्ति करना चाहते हैं तो बजरंगबाण का पाठ आप हनुमान जयंती के दिन कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा का 108 बार जप करने से आपके अंदर की नकारात्मकता दूर होती है और आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।


पौराणिक मान्यताएं

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पौराणिक कथानुसार हनुमान जी भगवान भोलेनाथ के 11वां अवतार है। क्योंकि रामभक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वर मांगा था। तब भगवान शिव ने पवन देव के के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। फिर चौत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान का जन्म हुआ था। यानी रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। हालांकि कुछ लोग नरक चतुर्दशी यानी कार्तिक कुष्ण चतुदर्शी के दिन को हनुमान जी का जन्म बताते है। लेकिन मान्यता है कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि भगवान राम का जन्म हुआ था और उसी दौरान भगवान राम की सेवा के उद्देश्य से ही अंजना के घर हनुमान के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है कि हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए शनि को शांत करना चाहिए। जब हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया है कि उनकी भक्ति करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं देंगे। कन्या, तुला, वृश्चिक और अढैया शनि वाले तथा कर्क, मीन राशि के जातकों को हनुमान जयंती पर विशेष आराधना करनी चाहिए। मान्यता यह भी है कि भगवान राम त्रेतायुग में धर्म की स्थापना करके पृथ्वी से अपने लोक बैकुण्ठ चले गये लेकिन धर्म की रक्षा के लिए हनुमान को अमरता का वरदान दिया। इस वरदान के कारण हनुमान जी आज भी जीवित हैं और भगवान के भक्तों और धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं। हनुमान जी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त होते रहें जो इस बात को प्रमाणित करता है कि हनुमान जी आज भी जीवित हैं। कहा जाता है कि 16वी सदी के महान संत कवि तुलसीदास जी को हनुमान की कृपा से राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। क्योंकि तुलसीदास जी की भक्ति से प्रभावित होकर उनकी इच्छा पर हनुमान जी को बताया था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट में प्रतिउन आते हैं। वहां आपकी भेंट हो सकती है। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे तो मैं आपको संकेत दे दूंगा। हनुमान जी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गये और सभी आने जाने वालों को चंदन लगाते रहे। राम और लक्ष्मण जब आये तो हनुमान जी गाने लगे चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।। हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे। इस प्रकार तुलसीदास को राम जी के दर्शन हुए।


अजर-अमर है बजरंगबलि

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वैसे भी हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी में किया जाता है, यानी वे अजर-अमर देवता हैं। उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया। शायद यही वजह भी है कि बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता। इसके प्रमाण भी पुराणों में मिलना पाया गया है। तभी तो तुलसीदास जी से पहले हनुमान जी की मुलाकात त्रेतायुग में महाभारत युद्ध के दौरान पाण्डु पुत्र भीम से हुई थी। भीम की विनती पर युद्ध के समय हनुमान जी ने पाण्डवों की सहायता करने का आश्वासन दिया था। माना जाता है कि महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के रथ का ध्वज थाम कर महावीर हनुमान बैठे थे। इसी कारण तीखे वाणों से भी अर्जुन का रथ पीछे नहीं होता था और संपूर्ण युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ का ध्वज लहराता रहा। कहां यह भी जाता है कि जहां भी राम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य होते हैं। इसलिए हनुमान की कृपा पाने के लिए श्री राम की भक्ति जरूरी है। जो राम के भक्त हैं हनुमान उनकी सदैव रक्षा करते हैं। कहा यह भी जाता है कि हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए शनि को शांत करना चाहिए। जब हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया है कि उनकी भक्ति करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं देंगे। कन्या, तुला, वृश्चिक और अढैया शनि वाले तथा कर्क, मीन राशि के जातकों को हनुमान जयंती पर विशेष आराधना करनी चाहिए। कहा यह भी जाता है कि तुलसीदास की बढ़ती हुई कीर्ति से प्रभावित होकर अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया। तुलसीदास जी को अकबर ने कोई चमत्कार दिखाने के लिए कहा, जिसे तुलसीदास जी ने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर अकबर ने तुलसीदास को जेल में डाल दिया। जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान की अराधना शुरू कर दी। इतने में चमत्कार यह हुआ कि बंदरों ने अकबर के महल पर आक्रमण कर दिया। बंदरों के उत्पात से अकबर भयभीत हो गया। अकबर को समझ में आ गया कि तुलसीदास जी को जेल में डालने के कारण हनुमान जी नाराज हो गये हैं। बंदरों के उत्पात का कारण यही है। अकबर ने संत तुलसीदास जी से क्षमा मांगी और उन्हें जेल से मुक्त कर दिया। कहा यह भी जाता है कि हनुमान जी जब माता अंजनी की कोख से उत्पन्न हुए तो उन्हें जोर से भूख लगी। भूखे होने के कारण वे आकाश में उछल गए और उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर उसके समीप चले गए। उस दिन पर्व तिथि होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आया हुआ था। परन्तु हनुमान जी को देखकर उसने उन्हें दूसरा राहु समझा और भागने लगा। तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया। इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। इसीलिए हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए पहले शनि को शांत करना चाहिए।


हनुमान जी की पूजा

हनुमान जयंती के दिन प्रातःकाल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रहमचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है। चन्द्रग्रहण के दिन हनुमान जी का विशेष पदार्थों से अभिषेक लाभकारी होगा। पूजा के लिए सुबह 5.57 से 7.34, अमृत लाभ के लिए दोपहर 12.24 से 3.38 तक का समय शुभ रहेगा। हनुमानजी भक्ति, बल और शक्ति के बेजोड़ संगम है। रामायण के मुख्य किरदार रहे हनुमान जी भगवान श्रीराम के भक्त है। पूजा के लिए हनुमान चालीसा का पाठ सबसे बेहतर है। मारुतिनंदन को चोला चढ़ाने से जहां सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है। जिन लोगों को शनिदेव की पीड़ा हो उन्हें बजरंग बली को तेल-सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी अपने भक्तों की सच्चे मन से की गई हर तरह की मनोकामना पूरी करते हैं और अनिष्ट करने वाली शक्तियों को परे रखते हैं। प्रायः शनिवार व मंगलवार हनुमानजी के दिन माने जाते हैं। आध्यात्मिक उन्नति के लिए वाममुखी अर्थात जिसका मुख बाईं तरफ ओर हो हनुमान या दास हनुमान की मूर्ति को पूजा में रखने का रिवाज है। दास हनुमान और वीर हनुमान बजरंग बली के दो रूप बताए गए हैं। दास हनुमान राम के आगे हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं और उनकी पूंछ जमीन पर रहती है जबकि वीर हनुमान योद्धा मुद्रा में होते हैं और उनकी पूंछ उठी रहती है। दाहिना हाथ सिर की ओर मुड़ा हुआ रहता है। कहीं-कहीं उनके पैरों तले राक्षस की मूर्ति भी होती है। जिनकी जन्मपत्रिका में मंगल ग्रह निर्बल हैं, उन जातकों के लिए मंगल ग्रह से संबंधित दान-पुण्य व मंत्र जाप करना हितकारी रहेगा। हनुमान भक्तों को इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ, मंगल ग्रह के मंत्र का जाप और गरीबों को गुड़, चना और लड्डू दान करना चाहिए।


मंत्र व उपाय

ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः, मंत्र का एक माला जाप हनुमान जयंती व मंगलवार को करना शुभ होता है। 5 देसी घी के रोट का भोग हनुमान जयंती पर लगाने से दुश्मनों से मुक्ति मिलती है। व्यापार में वृद्धि के लिए हनुमान जयंती को सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइए। हनुमान जयंती पर मंदिर की छत पर लगाइए लाल झंडा और आकस्मिक संकटों से मुक्ति पाइए। तेज और शक्ति बढ़ाने के लिए हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, रामायण, राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।


हनुमान जी के 12 चमत्कारी नाम

जो इस प्रकार है- ॐ हनुमान, ॐ अंजनी सुत, ॐ वायु पुत्र, ॐ महाबल, ॐ रामेष्ठ, ॐ फाल्गुण सखा, ॐ पिंगाक्ष, ॐ अमित विक्रम, ॐ उदधिक्रमण, ॐ सीता शोक विनाशन, ॐ लक्ष्मण प्राण दाता व ॐ दशग्रीव दर्पहा। महाबलि, महावीर जितेंद्रिय का विशेष मान है। शनि पीड़ा से मुक्ति, मंगल दोष निवारण या कोई काम बनाने के लिए महाबलि को पूजना उपयुक्त है।


संकटमोचक

यू तो श्री हनुमान जी भगवान शिव स्वरूप ही हैं। भगवान हनुमान रामभक्त होने के साथ में ब्रह्मचारी भी हैं। इसलिए श्री हनुमान की आराधना से भगवान राम के पूजा का फल भी स्वतः मिल जाता है। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों अणिमा, लघिमा, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व आदि के दाता है। इन्हें नव निधियों के दाता भी कहा जाता है। इसके अलावा सप्तचिरंजीवियों में से एक है हनुमान- अश्वत्थामा बलिर्व्यासा हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः। जी हां, प्राचीन भारतीय धार्मिक मान्यताओं और पुराणों के अनुसार महाबलि हनुमान जी सप्तचिरंजीवियों में गिने जाते हैं, इनका निवास स्थान गंदमार्दन पर्वत माना गया है। जो श्रद्धालु हनुमान जी को आत्मा, श्रद्धा और दिल से याद करते हैं उनके समक्ष हनुमानजी प्रकट हो जाते हैं। इसीलिए कलियुग में महाबलि श्री हनुमान को बहुत पूजा जाता है। पूजा व उपासना से अविवाहितों के जहां विवाह भी जल्द होते हैं वहीं परीक्षार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलती है। कहा जाता है जब मंदिर, दर्गा, बाबा, गुरु, देवी-देवता आदि सभी जगहों पर भटकने के बाद भी कोई शांति और सुख नहीं मिलता और संकटों का जरा भी समाधान नहीं होता है, मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा हो तो सिर्फ हनुमान की भक्ति ही बचा सकती है। ऐसे व्यक्ति को हनुमनजी की शरण में आना ही पड़ता है, लेकिन जो पहले से ही उनकी शरण में हैं उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। हनुमानजी सर्वशक्तिमान और एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका नाम जपने से ही संकट शरीर और मन से दूर हटने शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों अनुसार कलयुग में हनुमानजी की भक्ति को सबसे जरूरी, प्रथम और उत्तम बताया गया है लेकिन अधिकतर जनता भटकी हुई है। वह ज्योतिष और तथाकथित बाबाओं, गुरुओं को ही अपना सबकुछ मानकर बैठी है। ऐसे भटके हुए लोगों को राम ही बचाने वाले हैं। हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली मानी गई है। यह भक्ति जहां हमें भूत-प्रेत जैसी न दिखने वाली आपदाओं से बचाती है, वहीं यह ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव से भी बचाती है। जो व्यक्ति प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ता है उसके साथ कभी भी घटना-दुर्घटना नहीं होती। श्रीराम के अनन्य भक्त श्रीहनुमान अपने भक्तों और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों की हर कदम पर मदद करते हैं, शर्त यह है कि और देवता चित्त न धरहीं। हनुमानजी को मनाने के लिए सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का नित्य पाठ। हनुमानजी की यह स्तुति का सबसे सरल और सुरीली है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा बहुत प्रभावकारी है। इसकी सभी चौपाइयां मंत्र ही हैं। जिनके निरंतर जप से ये सिद्ध हो जाती है और पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त हो जाती है। यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्यां सता रही है तो ऐसे में इसके पाठ से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है, इसमें कोई शंका या संदेह नहीं है।


ऐसे प्रसंन होते है हनुमान

हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए साधक कई उपाय बताते हैं। लेकिन सच तो यह है कि हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। खासकर 21 दिनों तक जो व्यक्ति विधि पूर्वक पूजा करता है उसके कष्ट कटने ही कटने है। इसके लिए गुड़, चने और चूरमे से ही हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए। इस वक्त निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर सकते हैं परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस दिन चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथि नहीं होना चाहिए। मृत्यु सूतक या जन्म सूतक के दौरान भी यह उपाय शुरू नहीं करना चाहिए। यदि उपाय के दौरान ऐसा कोई संयोग आ जाए तो किसी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ये उपाय पूर्ण करवाना चाहिए, बीच में नहीं छोडना चाहिए। पुरुषों के अलावा महिलाएं भी पूजा कर सकती हैं, लेकिन केवल वे ही महिलाएं, जिसका प्रौढ़ावस्था के बाद प्राकृतिक रूप से मासिक धर्म सदा के लिए बंद हो चुका हो। पूजा के दौरान क्षौर कर्म (दाढ़ी बनवाना, नाखून काटना आदि) नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। एक ही समय भोजन करें तो अति उत्तम रहेगा। पूजा करने से पहले जिस मंगलवार का चयन करें, उसके पहले दिन सोमवार को सवा पाव अच्छा गुड़, थोड़े से भूने चने और सवा पाव गाय के शुद्ध घी का प्रबंध कर लें। गुड़ के छोटे-छोटे 21 टुकड़े कर लें। साफ रूई लेकर इसकी 22 फूल बत्तियां बनाकर घी में भिगो दें। इन सभी वस्तुओं को अलग-अलग साफ बर्तनों में लेकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें। साथ ही माचिस और एक छोटा बर्तन व छन्नी आदि, जिसमें रोज ये वस्तुएं आसानी से ले जाई सकें, भी रख दें। ये उपाय करने के लिए अब हनुमान के किसी ऐसे मंदिर का चयन करें, जहां अधिक भीड़ न आती हो और जो एकांत में हो। जिस मंगलवार को पूजा शुरू करना हो, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाएं और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक साफ बर्तन में एक गुड़ की डली, 11 चने, एक घी की बत्ती और माचिस लेकर साफ कपड़े से इस ढंक लें। अब नंगे पैर ही हनुमानजी के मंदिर की ओर जाएं। घर से निकलने से लेकर रास्ते में या मंदिर में किसी से कोई बात न करें। और न ही पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें। मंदिर पहुंचने के बाद हनुमानजी की मूर्ति के सामने मौन धारण किए हुए ही सबसे पहले घी की बत्ती जलाएं। इसके बाद 11 चने और 1 गुड़ की डली हनुमानजी के सामने रखकर साष्टांग प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मन ही मन श्रद्धा व विश्वास से प्रार्थना करें फिर श्री हनुमानचालीसा का पाठ भी मौन रहकर ही करें। अब मंदिर से जाने से लेकर घर पहुंचने तक न तो पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें और न ही किसी से बात करें। घर पहुंचने के बाद यह पूरी सामग्री उचित स्थान रखकर 7 बार राम-राम बोलकर ही अपना मौन भंग करें। रात में सोने से पहले 11 बार श्री हनुमानचालीसा का पाठ करें व अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। ये प्रक्रिया लगातार 21 दिन तक करें। 22 वे दिन मंगलवार को सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर गाय के गोबर से बने उपले में इसे पका लें। यदि सवा किलो का एक रोट न बना सकें तो 5 रोटियां बनाकर सेक लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार गाय का शुद्ध घी, और गुड़ मिलाकर उसका चूरमा बना लें। 21 डलियों के बाद जो गुड़ बचा हो, उसे भी चूरमे में मिला दें। इस चूरमे को थाली में रखकर बचे हुए सारे चने व 22वीं अंतिम बत्ती लेकर प्रतिदिन की तरह ही मौन धारण कर, बिना आगे-पीछे देखे मंदिर जाएं। फिर हनुमानजी की मूर्ति के सामने बत्ती जलाकर चने एवं चूरमे का भोग लगाएं। अब एक छोटे से बर्तन में थोड़ा से चूरमा लेकर हनुमानजी के सामने रख दें और शेष अपने साथ ले आएं। घर पहुंचने के बाद ही मौन भंग करें। जो भी यह प्रयोग करे वह उस दिन दोनों समय सिर्फ उसी चूरमे का भोजन ग्रहण करे। शेष चूरमे को प्रसाद के रूप में बांट दें। इस तरह की पूजा विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।





Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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