सीहोर : मन में दृढ़ विष्वास से होती है भगवान की अनुभूति : उद्धवदास जी महाराज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 अप्रैल 2024

सीहोर : मन में दृढ़ विष्वास से होती है भगवान की अनुभूति : उद्धवदास जी महाराज

  • विश्वनाथ पुरी में संगीतमयी नौ दिवसीय श्री रामकथा का आठवां दिन, आज अंतिम दिन

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सीहोर,। भगवान को पाने के लिए, भगवान के दर्षन के लिए, भगवान के प्रति मन में दृढ़ विष्वास होना सबसे जरूरी है जब मन में विष्वास प्रगाढ़ होगा तो भगवान में और उनकी कथाओं में अनुरक्ति होगी और जब अनुरक्ति होगी तभी अनुभूति होगी, भगवान को तभी अनुभूति में महसूस किया जा सकता है जब हमारा विष्वास सुदृढ़ होगा। बिना विष्वास के यदि भगवान सामने भी आकर खड़े हो जाएं तो भी हम उनकी उनकी अनुभूति नहीं कर पाएंगे। भगवान ने रामायण में नवधा भक्ति के तहत नौ प्रकार की भक्ति का वर्णन किया है उनमें सबसे सरल भक्ति भगवान के प्रति प्रगाढ़ आस्था, उनके प्रति मन में दृढ़ विष्वास बताया है और कहा है जो सब साधन छोडकर मुझ पर अनन्य भाव से आश्रित हो जाता है, मेरे भरोसे हो जाता है, उससे मैं सहज ही प्रसन्न हो जाता हूं।


उक्त आषय के उदगार सुप्रसिद्ध श्री रामकथा वाचक श्रीश्री 1008 महंत श्री उद्धवदास जी त्यागी महाराज श्रीराम कुटी आश्रम सीहोर ने शहर के सीवन स्काई सिटी के नजदीक विष्वनाथपुरी में स्थित प्रसिद्ध श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर शनिवार से नौ दिवसीय संगीतमयी श्री रामकथा के आठवें दिवस बडी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को रामरस में सराबोर करते हुए व्यक्त किए। महाराजश्री ने कहा कि आजकल बुराई का जमाना है, लोगों को परनिंदा करने में बहुत सुख मिलता है। निन्दा करने से सामने वाले के पाप तो नष्ट हो  जाते हैं किन्तु निन्दा करने वाले के खाते में जुड़ जाते है। इसलिए सबसे अच्छाई ही देखे, बुराई का दर्षन न करें। महाराजश्री ने कहा कि रामायण में कहा गया है कि जो लोग परनिंदा में लगे रहते हैं उनका अगला जन्म चमगादड़ का होता है इसलिए निंदा में अपने जीवन और पुण्यों नहीं गवांना चाहिए। उन्होनंे कहा कि भगवान के प्रति अगाध निष्ठा होना चाहिए इसके लिए एक ही भगवान के नाम में निष्ठा, एक गुरू में निष्ठा और एक ही ईष्ट में निष्ठा रखने से भक्ति जल्दी सफल हो जाती है। उन्होनंे कहा कि भगवान अपने भक्त के प्रति किए गए अपराध से क्रोधित होते हैं क्योंकि भक्त भगवान पर ही पूरी तरह आश्रित रहता है। यदि भगवान के प्रति कोई अपराध हो जाए तो भगवान उसे क्षमा कर देते हैं किन्तु कोई उनके भक्त का बुरा कर दें या उसे नुकसान पहुंचाएं तो भगवान के क्रोध की अग्नि उसे जला देती है, उसे भगवान क्षमा नहीं करते। अपनी सुमधुर वाणी में महाराज जी ने कई भजन सुनाए जिन्हें सुनकर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। आज कथा में महाराजश्री ने पंचवटी में शूर्पनखा प्रसंग, सीताहरण एवं जटायु की परमगति तथा शबरी मिलन का प्रसंग सुनाते हुए भगवान श्रीराम के चरित्र को विस्तार से वर्णन किया, भक्ति रस से भरे हुए सजीव वर्णन से श्रोता भावविहल हो उठे ।


उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी गत 13 अप्रैल शनिवार से 21 अप्रैल रविवार तक प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से 11 बजे तक नौ दिवसीय श्री रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा में शहर श्री उद्धवदास जी त्यागी महाराज श्रीराम कुटी त्यागी आश्रम सीहोर द्वारा सभी भगवत जनों को रामकथा की रसास्वादन कराया जा रहा है। कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष पद श्री अमित नीखरा मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री अनारसिंह चैहान, संरक्षक श्री कमलसिंह ठाकुर, मंदिर पुजारी पं. निर्मल शर्मा, पं. ओमप्रकाष शर्मा, मुकेष भावसार, गोपालदास अग्रवाल, राहुल वर्मा, कथा आयोजन समिति के उपाध्यक्ष पंकज ठाकुर, संतोष परमार, सुमित गिरोेंदिया, सचिव मोहब्बतसिंह तोमर, कोषाध्यक्ष किषन राठौर, आनंद अग्रवाल, शुभम मालवीय, मुकेष प्रजापति, चंद्रप्रताप ठाकुर, कृष्णा मेवाडा आदि अनेक समिति सदस्यों ने सभी धर्मप्रेमी जनों से अधिक से अधिक संख्या में श्रीराम कथा में सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त करने की अपील की है। कथा समापन के अगले दिन श्री हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर में अखंड रामायण का पाठ भी किया जाएगा जो 22 अप्रैल को प्रातः प्रारंभ होगा एवं 23 अप्रैल को समापन पष्चात हवन किया जाएगा। इसके साथ ही सायंकाल विषाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा।  

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