- नीदरलैंड के हनुमान मंदिर में स्थापित की जाएगी मूर्तिकार कन्हैया कुमार द्वारा निर्मित अयोध्या जैसी श्रीराम की प्रतिमा : राहुल मुखर्जी
- आध्यात्मिक विकास के राम आवहन योग क्रिया की दीक्षा जरूरी : स्वामी अखंड सम्राट आनंद जी
5.10 फीट की प्रतीमा दो माह में बनकर तैयार
प्रभु श्रीरामलला की काशी में 5.10 फीट की प्रतीमा दो माह में बनकर तैयार हुई है. ढेलवरिया स्थित मूर्ति कारखाने में 10 सहयोगीयों के साथ मूर्तिकार कन्हैयालाल शर्मा ने प्रतिमा को बनाया है. मूर्ति ब्लैक ग्रेनाइट से बनी है. यह अयोध्या में स्थापित रामलला की मूर्ति की प्रतिकृति है। दरअसल उनकी इच्छा थी कि रामलला के जैसी प्रतिमा बनाएं. इस बीच उन्हें ऑर्डर मिल गया. दरअसल, तीन पीढ़ियां कन्हैयालाल शर्मा की इस पेशे में लगी हैं. उनके दादा महादेव प्रसाद बड़े मूर्तिकार थे. उन्होंने जॉर्ज पंचम, इंडिया गेट छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा दरभंगा नरेश की प्रतिमाएं बनाई हैं. साथ ही कन्हैयालाल ने इग्लैंड की महारानी के अलावा अन्य देशों की कई प्रतिमांए भी बनाई है. राहुल मुखर्जी ने बताया कि 24 इंच की भी श्रीरामलला की प्रतिमा बनाई जाएगी। रुद्राभिषेक के लिए इस प्रतिमा का विग्रह बनाया जाएगा। भगवान की यह मूर्ति वाराणसी से अयोध्या जाएगी. वहां विशेष पूजा के बाद इसे नीदरलैंड भेजा जाएगा. ऐसी ही कई मूर्तियां तैयार करने का प्लान है. इनको यूरोप के कई देशों में स्थापित कर सनातन धर्म को लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
मेडिटेशन और यज्ञ सेंटर की होगी स्थापना
स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज ने कहा कि रामलला हर जगह मौजूद हैं. जो भारतीय बाहर विदेश में रहते हैं, जो बार-बार यहां आ नहीं पाते हैं. वहां पर वे लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे. इन देशों में मेडिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा. साथ ही यज्ञ सेंटर भी बनेगा. इससे हम लोगों को लाभ मिलेगा. हमारा लक्ष्य है कि सनातन धर्म को पूरी दुनियाभर में फैलाया जाए. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हम इसको पहुंचाएं. नीदरलैंड में बनने वाले मंदिर की स्थापना सिद्धि साईं बाबा फाउंडेशन के साथ मिलकर हम लोग कर रहे हैं. अभी अलग-अलग जगहों पर हम लोग और भी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करेंगे. महाराज बताते हैं कि, अयोध्या में रामलला 22 जनवरी को आए. इसके बाद नीदरलैंड में जा रहे हैं. पूरे यूरोप को लेकर हम लोगों की ये योजना है कि सनातन को, रामलला को हम लोग वहां तक लेकर जाएं. जगह-जगह पर मंदिर बनाएं. जर्मनी, बेल्जियम, रोम, फ्रांस के साथ ही पेरिस में भी हम लोगों की बातचीत चल रही है. आने वाले समय में आप देखेंगे कि यूरोप कई देशों में रामलला को लेकर हम लोग जाएंगे और वहां पर मंदिर की स्थापना करवाएंगे. इससे वहां पर रह रहे लोगों को भी रामलला के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा और सनातन आस्था का विश्वास बढ़ेगा.
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