- ग्राम चंदेरी में जारी एकादश कुडीय श्रीराम महायज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और संगीतमय श्रीराम कथा
सीहोर। भगवान श्रीराम तो भाव के भूखे है। भगवान परीक्षा के नहीं बल्कि प्रतीक्षा के विषय हैं। उन्होंने माता शबरी द्वारा भगवान श्रीराम की प्रतीक्षा व उनके मिलन का बड़ा सुंदर वर्णन करते हुए जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम चंदेरी में जारी श्रीराम कथा के छठवें दिन कथा व्यास पंडित देवेन्द्र शास्त्री ने कहे। उन्होंने कहा कि मतंग ऋषि के आश्रम में रहकर वह प्रतिदिन भगवान की राह निहारती रहती थी। आखिकार वह दिन भी आ गया जब श्रीराम व लक्ष्मण मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचे। जब शबरी को पता चला कि भगवान स्वयं उसके आश्रम आए हैं। तो वह एकदम भाव विभोर हो उठी। माता शबरी ने बड़े आदरभाव से चरण कमल धोने के बाद उन्हें आसन पर बैठाया। रविवार को कथा के दौरान भगवान श्रीराम और शबरी प्रसंग के अलावा माता सीताहरण के विषय पर चर्चा की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। इस संबंध में जानकारी देते हुए धर्मरक्षक यज्ञ के संचालन करने वाले पंडित श्री दुर्गाप्रसाद कटारे ने कहा कि ग्राम चंदेरी में एकादश कुडीय श्रीराम महायज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। सुबह यज्ञ आदि का आयोजन किया जाता है। वहीं दोपहर में कथा जारी रहती है। रविवार को शबरी प्रसंग का विस्तार से वर्णन करते हुए कथा व्यास पंडित श्री शास्त्री ने अरण्यकांड में भगवान राम शबरी की कुटिया में गए। बताते हैं कि शबरी को उनके गुरु ने कहा था, आप भक्ति करना, भगवान आपसे मिलने आपके पास आएंगे। शबरी सालों-साल कुटिया के झाड़ू लगा कांटे चुनती थी, यही सोचकर की मेरे राम आएंगे तो उनके चुभ न जाएं। शबरी के सरल प्रेम में भगवान ने शबरी के जूठे बेर भी खाए थे। जो संत शबरी के ऐसा करने पर हंसते थे, भगवान उन्हीं से शबरी का पता पूछकर शबरी की कुटिया पहुंचे थे। यानी भगवान प्रेम के भूखे हैं, वे जात-पांत नहीं जानते। भक्ति का महत्व भी समझाया।
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