- माता दुर्गा, कुबेर, भोलेनाथ, भगवान गणेश सहित अन्य का किया अभिषेक
इसी स्वरूप में महिषासुर दानव का वध किया
श्री दीक्षित ने बताया कि आदिशक्ति देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इसी स्वरूप में महिषासुर दानव का वध किया था। इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना करने वाले को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर किसी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो, तो उसे मां कात्यायनी का व्रत और पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं। कात्यायनी को गौरी, काली, उमा, ईश्वरी, हेमावती के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कात्यायनी की उपासना करने से इंसान की मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मां कात्यायनी की कृपा सदैव बनी रहती है। अगर आप भी मां कात्यायनी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पूजा के समय निम्न आरती और स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
16 अपै्रल को की जाएगी रात्रि बारह बजे महानिशा आरती
मंदिर के व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा ने बताया कि यहां पर सभी प्रकार की नवरात्रि पर चौसट योगनी मरीह माता मंदिर पर विशेष अनुष्ठान का आयोजन लंबे समय से किया जा रहा है। मंगलवार की रात्रि बारह बजे यहां पर महाष्टमी के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा महानिशा आरती की जाएगी। वहीं दोपहर बारह बजे कन्या भोज का आयोजन किया जाएगा।
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