वाराणसी : आज मनेगी झूलेलाल जयंती, निकलेगी प्रभात फेरी व शोभयात्रा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

वाराणसी : आज मनेगी झूलेलाल जयंती, निकलेगी प्रभात फेरी व शोभयात्रा

  • महाआरती के वक्त सामूहिक जनेऊ संस्कार कार्यक्रम भी आयोजित होगा

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वाराणसी (सुरेश गांधी) झूलेलाल जयंती 10 अप्रैल को मनायी जायेगी। इस मौके पर वाराणसी पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के तत्वाधान में इष्टदेव झूलेलाल कही प्रतिमा के साथ प्रभात फैरी निकाली जायेगी। वाराणसी पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष ओपी बदलानी ने पत्रकारों को बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी झूलेलाल जयंती धूमधाम से मनाया जाएगा। खास यह है कि इस वर्ष 10 अप्रैल को सिंधी भाषा दिवस व झूलेलाल जयंती एक साथ पड़ने से उत्साह दुगना हो गया है। कार्यक्रमों की श्रृंखला में सर्वप्रथम युवा समिति द्वारा सोनिया स्थित अमर नगर कॉलोनी से प्रभात फेरी निकाली जायेगी, जो लक्शा स्थित झूलेलाल मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी। साथ ही स्माइल परिवार द्वारा वाहन जुलूस भी नगर भ्रमण करते हुए मुख्य मंदीर पहुंचेगी। इसके उपरांत महाआरती के वक्त सामूहिक जनेऊ संस्कार कार्यक्रम भी आयोजित होगा। इसके उपरांत आम जनमानस के लिए भंडारे का आयोजन होगा। इस दौरान नगर के विभिन्न पंचायत द्वारा अपने-अपने कॉलोनी व क्षेत्र में भजन कीर्तन के साथ भंडारे की भी व्यवस्था की गई है। इसी दिन शाम को लक्शा स्थित झूलेलाल मंदिर से पल्लव के बाद विभिन्न पंचायतों की अपने-अपने क्षेत्र से निकलकर लक्शा पहुंचेगी। वहीं से एकत्रित होकर दशाश्वमेघघाट के लिए प्रस्थान करेंगे। इसमें तमाम सामाजिक संदेशों की झांकी के साथ ही झूलेलाल साई का बराहना भी शामिल होगा। इस अवसर पर जगह-जगह प्रसाद वितरण के स्टॉल भी लगेंगे। साथ ही पूरे क्षेत्र को विद्युत झालरों से सजाया जाएगा। अंत में शीतला घाट पर भव्य आरती के साथ मैला संपन्न होगा। झूलेलाल जयंती महोत्सव के अंतर्गत 13 अप्रैल को शुभम लॉन में भव्य सिंधी सभ्यता, संस्कृति को संजोए हुए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगा। जिसमें समाज की महिलाएं व बच्चों की अहम् भूमिका होगी। इस मौके पर केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष ओपी बदलनी, चेयरमैन राजकुमार बाधवानी, काचेमयरमैन श्रीचंद पंजवानी, सुरेश वाध्या, महामंत्री हीरानंद लखमानी, कोषाध्याय जय लालवानी, गोविंद किशनानी, शंकर विष्णनी, अमित सेवारमानी, मनोज लखमानी व चंदन रुपानी आदि लोग मौजूद थे।


भगवान झूलेलाल ने मिरखशाह को चटाई धूल

पौराणिक कथा के अनुसार संवत् 1007 में पाकिस्तान में सिंध प्रदेश के ठट्टा नगर में मिरखशाह नामक एक क्रूर मुगल राजा का राज था. शासक मिरक अपनी प्रजा पर बर्बरता करता, उन पर अत्याचार करता था. उसने हिंदू आदि धर्म के लोगों को डरा-धमकाकर इस्लाम स्वीकार करवाया. उसके अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए सभी ने सिंधू नदी के किनारे लोगों ने पूजा पाठ, जप, व्रत आदि किए थे. कई दिनों तक पूजन चलता था. भक्तों की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर मछली पर भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और उन्होंने भक्तों से कहा कि वह 40 दिन बाद सिंधी समाज में जन्म लेंगे. इसके ठीक 40 दिन बाद चैत्र सुदी दूज पर उनके बताए स्थान पर एक चमत्कारी बालक ने श्रीरतनराय लोहाना के घर जन्म लिया, यही भगवान झूलेलाल कहे गए. जब इसके बारे में मिरखशाह को पता चला तब उसने अपने एक मंत्री को झूलेलाल को देखने के लिए भेजा. झूलेलाल ने उसे कुछ ऐसा अहसास करवाया जैसे वो 16 साल के युवक की तरह हाथ में तलवार लिए आगे बढ़ रहा है. उस बच्चे को ऐसा देखकर मंत्री डर गया और मिरखशाह के पास गया. दिन ब दिन झूलेलाल के चमत्कारों की ख्याति बढ़ती गई. मिरखशाह ने झूलेलाल को गिरफ्तार करना चाहा लेकिन अचानक पूरे महल के चारों तरफ पानी भर गया और बीच में आग लग गई. भगवान झूलेलाल ने मिरखशाह को हिंदूओं पर अत्याचार न करने की चेतावनी दी. मिरखशाह डर गया और उसने वादा किया कि हिंदू और मुस्लिम दोनों को ही एक तरह से देखेगा.कहते है प्राचीन काल में जब सिंधी समाज के लोग व्यापार से संबंधित जलमार्ग से यात्रा करते थे. तब यात्रा को को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे और यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था.

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