वाराणसी : संकट मोचन संगीत समारोह में देश के दिग्गज कलाकारों का होगा जमघट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 अप्रैल 2024

वाराणसी : संकट मोचन संगीत समारोह में देश के दिग्गज कलाकारों का होगा जमघट

  • 27 अप्रैल से दो मई तक चलेगा सिलसिला
  • इस बार संकट मोचन का 101वां संगीत समारोह है : महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र

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वाराणसी (सुरेश गांधी), धर्म एवं आस्था की नगरी काशी की पहचान बन चुके संकट मोचन संगीत समारोह में देश के नामी-गिरामी कलाकारों का जमघट होगा। हनुमान जी के दरबार में 27 अप्रैल से दो मई तक यहां होने वाले संगीत समारोह में देश-विदेश के तकरीबन 150 से अधिक कलाकार हाजिरी लगाएंगे। इसमें लोकगायिका मालिनी अवस्थी व भजन सम्राट अनुप जलोटा जैसे कलाकर प्रमुख होंगे। इस बार संकट मोचन का 101वां संगीत समारोह है। ऐसे में समारोह को यादगार बनाने की तैयारी है। बता दें, 100 साल पहले 1923 में संकट मोचन मंदिर के महंत अमरनाथ मिश्र ने संकट मोचन संगीत की जो नींव स्थानीय स्तर पर डाली वह यात्रा आज बेमिसाल आयोजन बन गयी है. आज यह सिलसिला सिर्फ अखिल भारतीय स्तर का संगीत समारोह न होकर एक सांस्कृतिक परम्परा बन गया है. शुरू-शुरू में इस आयोजन में पहले रामायण सम्मेलन होता फिर आखिरी दिन संगीत सम्मेलन. बाद में संगीत समारोह तीन रोज का हुआ. फिर चार, और अब सात रोज का हो गया है.


संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया संकट मोचन हनुमान जी के दरबार में आयोजित होने वाले संगीत समारोह में विश्वभर के कलाकार प्रस्तुति देंगे। हालांकि इस बार बनारस घराने के युवा कलाकारों को ज्यादा अवसर दिया गया है।  इस बार भी सोशल मीडिया पर समारोह का प्रसारण होने से संगीत प्रेमी घर बैठे इसे लाइव देख सकेंगे। समारोह में हर रोज शाम 7 बजे से दूसरे दिन सुबह 6 बजे तक प्रस्तुतियां होंगी। हर दिन सात से आठ प्रमुख कलाकारों को मौका मिलेगा। इससे पहले संकट मोचन हनुमान जी की बैठकी का विशेष श्रृ्ंगार व भजन-कीर्तन होगा। इस समारोह की खासियत है कि न कोई कार्ड छपता है, न न्योता, फिर भी हजारों की संख्या में लोग आते है. आस्तिक तो आस्तिक संकट मोचन मंदिर में नास्तिक भी संगीत सुनने आते हैं. विदेशियों का तो मजमा रहता है. इस समारोह का न कोई अध्यक्ष होता है, न अतिथि, न ही मुख्य अतिथि. यहां कोई वीआईपी भी नहीं होता, कोई सुरक्षा का ताम -झाम भी नहीं. क्योंकि तुम रक्षक काहू को डरना. केवल श्रोता होते हैं. बाकी सब कुछ हनुमान जी ही होते है. यह समारोह शास्त्रीय संगीत के अभिजात्य को तोड़ उसे आम आदमी तक पहुंचाता है. समारोह में जमा भीड़ और उसकी एकाग्रता साबित करती है कि शास्त्रीय संगीत सिर्फ पढ़े लिखे संभ्रांत लोगों की चीज नहीं है. इस चोटी के संगीत समारोह में किसी भी धर्म, जाति, पंथ का आदमी बिना टिकट, पास या निमंत्रण के शामिल हो सकता है.

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