अनियमित पीरियड्स: पौष्टिक आहार की कमी, तनाव, हार्मोनल असंतुलन अनियमित पीरियड्स का कारण हो सकता है। सामान्यतः महिलओं का मासिक चक्र 28-35 दिनों का होता है लेकिन जब यही चक्र बिगड़ता है तो यह चिंता का विषय बन सकता है इसलिए अपने पीरियड्स की डेट का ध्यान रखें और उसमे बार बार फेर बदल होने पर या पीरियड्स मिस होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क करें क्यूंकि यह समस्या भविष्य में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें यूटेरस के अंदर पाया जाने वाला एक ऊतक (टिश्यू) बढ़कर गर्भाशय के बाहर फैलने लगता है. यह बढ़ता हुआ ऊतक महिला के यूटेरस, फ़ॉलोपियन ट्यूब तथा यूटेरस के बाहरी हिस्सों में भी फ़ैल सकता है। ऐसे में किसी भी महिला को पीरियड्स के समय सामान्य से अधिक दर्द, अनियमित पीरियड्स, पेल्विक क्षेत्र में दर्द आदि हो सकता है। परन्तु अच्छी बात है की आयुर्वेदिक इलाज के द्वारा आप इस बीमारी से निजात पा सकते है और पीरियड्स के असहनीय दर्द से राहत प् सकते हैं।
सेक्स के दौरान असहनिय दर्द: कुछ महिलाओं को सेक्स के समय सामान्य से अधिक दर्द होता है और यह बात वो नजरअंदाज करती जाती है किन्तु ध्यान देने की बात यह है की यह सामान्य सी दिखने वाली बात महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण हो सकता है।
हार्मोनल असंतुलन: हार्मोन्स की मात्रा जब शरीर में बढ़ती या घटती है तो कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगते हैं, जैसे - कील मुहांसों का निकलना, बालों का झड़ना, मोटापा, वजन बढ़ना, शरीर पर अनवांटेड हेयर ग्रोथ होना, महिलों की सेक्स ड्राइव काम होना, आदि। ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें और उनको अपनी समस्या के बारे में बेझिझक होकर बताएं।
मोटापा: आजकल मोटापे की समस्या कई कारणों से बढ़ रही है। प्रोसेस्ड फ़ूड, पैकेज्ड फ़ूड,पौष्टिक आहार की कमी, कम होती फिजिकल गतिविधि और ये सभी कारण मिलकर मोटापा की बीमारी को जन्म देते है जिससे भविष्य में महिलाओं को कन्सीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर चंचल शर्मा, डायरेक्टर आशा आयुर्वेदा बताती है की इनमे से किसी भी लक्षण के दिखने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए क्यूंकि आजकल हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी, एंडोमेट्रियल बायोप्सी, लैप्रोस्कोपी, हार्मोन चेकअप जैसे बहुत सारे ऐसे टेस्ट्स हैं जिसके माध्यम से आप अपनी इनफर्टिलिटी का पता लगा सकते हैं और एक बार बीमारी का पता लग जाने के बाद आयुर्वेदिक इलाज के द्वारा इसको बीना किसी सर्जरी के ठीक करवा सकते हैं।
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