प्रो. कृपा शंकर ने अपने Retirement के बाद भी नई चीजों को सीखने के लिए प्रतिदिन 6 घंटे का समय निकालने की बात की, जो अनगिनत स्तर पर अध्ययन के महत्व को दर्शाती है। उन्होंने सभी शिक्षकों को अकादमिक उत्कृष्टता के लिए अपने शोध को विस्तारित करने और नवाचारों में उत्साहित रहने की सलाह दी। डीसीई दरभंगा के प्रिंसिपल डॉ. संदीप तिवारी ने अतिथि का स्वागत किया और प्रो. कृपा शंकर के सुझावों का संपूर्ण समर्थन किया, ताकि कॉलेज के संपूर्ण विकास में उनका सहयोग लिया जा सके। आखिरी बात में, प्रो. कृपा शंकर ने यांत्रिक इंजीनियरिंग के सभी शिक्षकों के साथ आपसी संवाद किया और हाल के शोध के बारे में चर्चा की। इस सत्र में शिक्षक प्रो. (डॉ) आशुतोष नारायण, प्रो. (डॉ) नवनीत कुमार, प्रो. शशि भूषण, श्री एस.एस. चौधरी, श्री ईशांत, श्री विशाल, और सभी शिक्षकों ने भाग लिया।इस व्याख्यान का आयोजन दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह छात्रों और शिक्षकों के लिए एक सामर्थ्यपूर्ण स्रोत के रूप में साबित होने का आश्वासन देता है।
दरभंगा, बिहार - दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज में एक महत्वपूर्ण और उत्साहजनक व्याख्यान का आयोजन हुआ, जिसमें प्रो. कृपा शंकर (Retired professor, Dept of Industrial and Management Engineering ( IIT Kanpur), Formerly Vice Chancellor, Gautam Buddh Technical University, Lucknow) ने उनके विशेषज्ञता और अनुभव को साझा किया। इस व्याख्यान में उन्होंने छात्र-शिक्षक संबंधों, विभिन्न शिक्षा प्रोत्साहन के माध्यमों, और शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों के महत्व को बताया। प्रो. कृपा शंकर ने भारतीय शैक्षिक परंपरा को उजागर किया और छात्र-शिक्षक संबंधों की महत्वपूर्णता को बताया। उन्होंने छात्रों के साथ सक्रिय और सांविधानिक संवाद के लिए प्रेरित किया और यह उचित माना कि छात्रों को नवाचारों और तकनीकी विकास के साथ-साथ अन्य विषयों में भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।व्याख्यान में, उन्होंने शिक्षकों को नई तकनीकों के प्रति उत्साहित होने की प्रेरणा दी और छात्रों को अच्छे नौकरी के लिए तैयार करने के लिए उन्हें कैसे शिक्षित किया जा सकता है।
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