- खामखेड़ा जत्रा में हो रहा है श्रीमद भागवत कथा का आयोजन
सीहोर। गुणगान प्रभू का करते रहना चाहिए सुमिरन भजन से ही प्राणी का कल्याण हो सकता है। पाप जब तक रहते है प्रभू नही मिलते है,भक्त को भगवान तपाते है फिर मिलते है इस लिए हर काम भगवान को समर्पित करते हुए धर्म के साथ करना चाहिए उक्त उद्गार शुक्रवार को खामखेड़ा जत्रा में आयोजित भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष श्री हनुमान फाटक मंदिर सीहेार वाले कथा व्यास पं रविशंकर तिवारी के द्वारा प्रकट किए गए। भागवत कथा के दूसरे दिन पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि जहां से महाभारत की कथा समाप्त होती है वह से भागवत कथा प्रारंभ होती है। वेदव्यास जी के द्वारा कथा बोली गई और भगवान गणेशजी द्वारा संस्कृत के साथ हिन्दी भाषा अनुवाद सहित 18 हजार श£ोक लिखे गए। प्रसंग सुनाते हुए उन्होने कहा कि जो भी करें जैसे भी करें सब प्रभू को आर्पण कर करें जैसे आप के घर में धार्मिक आयोजन के दौरान देवताओं के रूप में बा्रहम्ण भोजन करते है वह देवताओं को प्राप्त होता है वैसे ही नवरात्रा में कन्याऐं माता भगवती के रूप में भोजन करती तो वही भोजन प्रसाद भगवती को प्राप्त होता है।
पं श्री तिवारी ने कहा कि नारद जी ने दो हजार वर्ष तक उल्लू से और अनेक वर्षो तक महादेव से संगीत सीखा जिसमें उन्होने नारायण नारायण का जाप किया भगवान नारायण ने उन्हे वीणा उपहार में दिया। हम सब को भी भगवान का भजन करते कराते रहना चाहिए। भगवान ब्राम्हा जी की अज्ञा का पालन नही करने से उनके पुत्र नारद को उन्होने दासी पुत्र होने का श्राप दिया था, तब नारद ने भी ब्राहम्मा जी को पूजित नही होने और मंदिर नही होने का श्राप दे दिया था यही कारण है की ब्राहम्म देव की पूजा नहीं की जाती है उनका दुनिया में एक ही मंदिर है। नारद जी ने श्राप के अनुसार दासी के यह जन्म लिया उनका नाम रामदास रखा गया, रामदास ने संतों के निर्देश पर माता पिता की खूब सेवा की और संत हो गए बाद भी नारद नाम से प्रसिद्ध हुए। विभिन्न कथा प्रसंगों के माध्यम से पं तिवारी ने श्रद्धालुओं को भक्ति का मार्ग दिखाया।
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