- श्री गोंदन सरकार धाम हनुमान मंदिर में भव्य आयोजन
पंडित जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि त्रेता युग में जन्मे राम की महिमा का गुणगान कलयुग में करने से राम भक्त भविष्य में आने वाली हर विघ्न-बाधा को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं। मर्यादा में रहकर भवसागर से कैसे करना है, इसका उदाहरण राम चरित्र में मिलता है, फिर वह चाहें एक पुत्र की मर्यादा हो अथवा भाई की मर्यादा, पति की मर्यादा, क्षत्रिय धर्म की मर्यादा, मानवीय मूल्यों की मर्यादा, राजा की मर्यादा इत्यादि, सभी मर्यादाओं का पालन विषम परिस्थितियों में श्री राम जी ने कष्टों को सहते हुए किया। त्रेतायुग से लेकर कलियुग में आज भी श्री राम की मर्यादा सभी के लिए प्रासंगिक है। श्रीराम के समान राजा पृथ्वी पर न कोई हुआ है और न ही कभी होना ही सम्भव है क्योंकि राम ने राजधर्म निभाने के लिए अनेक त्याग किए। वाल्मीकि रामायण में वर्णन आता है, जब भगवान राम वन जाने लगे, तो महाराज दशरथ पुत्र वियोग के कारण अस्वस्थ्य हो गए, इस पर सभी माताओं ने श्रीराम को वन जाने से रोकना चाहा, परन्तु उन्होंने महान आदर्श प्रस्तुत करते हुए पिता से अधिक पिता के वचनों की मर्यादा रखी। राजधर्म के चलते उन्होंने अपनी प्राणप्रिय सीता का त्याग किया। हर व्यक्ति को जोड़ती है राम की शक्ति-सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में राम आज भी सर्वाधिक पूजनीय तथा सब देवताओं में पावन एवं पुरूषोत्तम हैं।
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