- सिटीजन्स फोरम ने किया नफरती हिंसा और धार्मिक ध्रवीकरण के खिलाफ नागरिक कन्वेंशन का आयोजन
पटना, 5 अप्रैल। नागरिक सरोकारों व जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध ' सिटीजन्स फोरम', पटना द्वारा नफरती हिंसा और नागरिकता संशोधन कानून के बहाने धार्मिक ध्रुवीकरण के खिलाफ नागरिक कन्वेंशन का आयोजन किया गया। जमाल रोड स्थित सूर्या कांपलेक्स में आयोजित इस नागरिक कन्वेंशन में पटना शहर के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, और विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सिटीजन्स फोरम के संयोजक अनीश अंकुर ने विषय प्रवेश किया। नागरिक कन्वेंशन का संचालन प्रीति सिन्हा, नंदकिशोर सिंह, जयप्रकाश ललन और मणिकांत पाठक की चार सदस्यीय अध्यक्ष मंडली ने किया। कन्वेंशन के लिए तैयार प्रपत्र को प्रस्तुत करते हुए अरुण मिश्रा ने कहा "पिछले दस वर्षो के शासनकाल में जनतांत्रिक अधिकारों पर अप्रत्याशित हमले हुए हैं। यदि यह दौर जारी रहा तो देश तानाशाही शासन व्यवस्था में तब्दील हो जाएगा। वरिष्ठ सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता ने कहा " कन्वेंशन में प्रस्तुत पेपर ने बहुत साफ करके बताया है कि किस प्रकार संकीर्ण दृष्टि से समाज और राजनीति का फासिस्टटीकरण किया जा रहा है। यह नागरिक फोरम का कर्तव्य है कि समाज के सामने पर्चा के माध्यम से अपनी चिंताओं से अवगत कराए। "
पी.यू.सी.एल के बिहार महासचिव सरफराज के अनुसार " छोटे-छोटे गांव कस्बों में जिस ढंग से राजनीति हो रही है वह बताता है की देश बारूद के ढेर पर खड़ा है। हमने अपने कई सवर्ण दोस्तों को देखा है कि वे आज खुद मेरे लिए खतरा बन गए हैं। पुराने तरीके से काम करने से काम करने से काम नहीं चलेगा। जो लिबरल लोग है , जो जाति, धर्म से ऊपर होकर सोचते हैं उनको भी फिर से सोचने की जरूरत है। वे सोचते हैं यदि हिंदुओं की सांप्रदायिकता की आलोचना करते हैं तो मुसलमानों की भी वैसी ही आलोचना होनी चाहिए। यानी बराबरी के चश्मे से गैरबराबरी को बढ़ावा देते हैं। यहीं पर फिसलन है जिससे बचने की जरूरत है। एक जमाने में रेलवे स्टेशन पर हिंदू और मुसलमान पानी अलग- अलग दिया जाता था। अब गरीब और स्लम में रहने वाले लोग हैं जो मानते हैं कि मुसलमान देशभक्त हो ही नहीं सकता उसकी प्रतिबद्धता दूसरी जगह होती है। इसका काट हमें निकलना है। " रंगकर्मी व अभिनेत्री मोना झा ने बताया " जो लोग भाजपा को हराना चाहते हैं कि उनको चैनलाइज कराने वाली शक्तियां कहां हैं ? भाजपा के लोग दो हजार रुपया और दारू की बोतल देते हैं लेकिन यदि हमलोग उनसे बात करते हैं, उनका नाम वोटर लिस्ट में चढ़ाने की कोशिश करें तो इससे उनका भरोसा बढ़ता है। हम अपने घरों, अपने लोगों के बीच बात करें। जब हमने डाटा एनालिसिस किया तो पाया कि मुसलमानों के नाम वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर काटे जा रहे हैं या फिर उन्हें हियरिंग के लिए बुलाया जा रहा है। हमारी बात कैसे आम लोगों तक पहुंचे इसके बारे में हमें सोचना होगा। " सामाजिक कार्यकर्ता संजय श्याम ने बताया " कुछ इलाकों के दौरे के बाद मैं पाता हूं कि स्थिति जमीनी स्तर पर भयावह है। लोगों के बीच मुसलमानों के बीच बहुत अधिक पूर्वाग्रह फैला हुआ है। लोगों से बात करने पर पता हूं कि जाति व धर्म के आधार पर वोट करने की बात करते हैं। ऐसे में हमें लोगों के बीच कैसे जाएं यह भीबेहद चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है । "
निर्माण मजदूरों के नेता रामलखन ने कहा " शासन व्यवस्था जब तक पूंजीपतियों के हाथ में रहेगा तब तक स्थिति में बदलाव नहीं आएगा। धर्म व्यक्तिगत मामला होना चहिए उसमें सरकार को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। यह बात हमको स्पष्ट कहना चाहिए। शोषण वी दमन पर आधारित व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाएगा तब तक उम्मीद नहीं किया जा सकेगा। " सूर्यकर जितेंद्र के अनुसार " हमारे जनतांत्रिक अधिकारों पर किस ढंग से हमले हो रहे हैं उससे हम वाकिफ हैं। नागरिक बिना जवाबदेही के नहीं होता। हमारी आजादी विदेशी के बदले देशी पूंजीपति के हाथ में शासन आया। 1952 से कितनी सरकारें आईं और गई। हमारी समस्याएं आज भी वहीं हैं बल्कि उसमें इजाफा होता चला गया। यदि वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाए तो चुनाव के दोनों गठबंधन शासक वर्ग की पार्टियां हैं। यही बात स्वामी सहजानंद सरस्वती कहा करते हैं। जो वर्ग संघर्ष को आगे बढ़ाए उसे ही वोट देना चाहिए।" जनकवि आदित्य कमल ने नागरिक कन्वेंशन को कविता के माध्यम से संबोधित किया " खुफिया निगाह में हर नजर है आजकल, कुछ बोलने के पहले कुछ सोचिए भी आजकल, बर्बाद करने के लिए एक मुल्क था काफी, मूर्खो से भरा हर शहर है आजकल , यह जिंदगी हमारी बेतरह है आजकल। "
सिविल कोर्ट की अधिवक्ता शगुफ्ता रशीद ने कहा " हमलोग घटना घटने के बाद सतर्क होते हैं। मैं मॉर्निंग वाक के दौरान देखा कि सात साल से अठारह साल के बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है। क्या हम झुग्गी झोपड़ी में जाकर बताते हैं ? हिंदू और मुस्लिम पक्ष को लड़वाया जा रहा है। " सामाजिक कार्यकर्ता उदयन ने बताया " फिल्मी गीतों के माध्यम से अश्लील गानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। सांप्रदायिक तनावों, एंटी मुस्लिम भावना को भड़काया यूजा रहा है। अभी हमला संस्कृति पर किया जा रहा है।" सभा को सिटीजंस फोरम के समन्वय समिति के सदस्य विश्वजीत कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता देवरत्न प्रसाद , जौहर, किसान नेता गोपाल शर्मा, केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान के अमरनाथ, प्रगतिशील लेखक संघ के कोषाध्यक्ष सुनील सिंह अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन ( ऐप्सो ) के राजीव रंजन, दिशा के अजीत, छात्र राजद के अमन लाल और सातवीं कक्षा का छात्र अहान आदि ने संबोधित किया। कन्वेंशन में मौजूद लोगों में प्रमुख थे जयप्रकाश, कुलभूषण गोपाल, सुधाकर कुमार, मजदूर पत्रिका के पार्थ सरकार, सतीश कुमार, एटक नेता गजनफर नवाब, उमा जी, निखिल , अमनलाल, मनोज चंद्रवंशी, राजकुमार चौधरी, शशिकांत राय, रामजी , महेश प्रसाद आदि।
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