पटना : वेंटीलेटर लाइफ को अभिशाप मानते हैं नीतीश, जयश्री राम के नारों में गुम हो जा रहे हैं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 अप्रैल 2024

पटना : वेंटीलेटर लाइफ को अभिशाप मानते हैं नीतीश, जयश्री राम के नारों में गुम हो जा रहे हैं

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पटना, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अब प्रधानमंत्री की सभाओं में विकास की बात कम कर रहे हैं और माफी ज्‍यादा मांग रहे हैं। लगता है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताबड़तोड़ बिहार की यात्रा पर आ रहे हैं। 4 अप्रैल के बाद 7 अप्रैल। दोनों सभा स्‍थल की दूरी भी 100 किलोमीटर से कम। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दोनों के भाषणों में एक ही बात का रिपीटेशन। नये गठजोड़ के बाद प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री की चार संयुक्‍त सभाएं हुईं। औरंगाबाद, बेगूसराय, जमुई और नवादा। नीतीश कुमार हर सभा में तेजस्‍वी यादव को साथ लेने पर अफसोस जता रहे हैं, जैसे जीतनराम मांझी को मुख्‍यमंत्री बनाने को अपनी मूर्खता बताते रहे हैं। प्रधानमंत्री के नवादा और जमुई के भाषण की खासियत रही कि उन्‍होंने परिवारवाद से मुंह मोड़ लिया है। वजह  साफ है कि उनके जमुई में भरोसेमंद रामविलास पासवान के दामाद चुनाव मैदान में हैं तो नवादा में सीपी ठाकुर के पुत्र मैदान में डटे हैं। एनडीए के कम से कम 14 उम्‍मीदवार ऐसे हैं, जो अपने बाप का नाम रौशन करने के लिए मैदान में उतरे हैं।


नीतीश कुमार राजद का इस्‍तेमाल वेंटीलेटर के रूप में करते रहे हैं। जब भी राजनीति की राह में सांस अटकी, तुरंत राजद के वेंटीलेटर पर चढ़ गये। 2014 में राज्‍यसभा का उपचुनाव हो, फरवरी 2015 में जीतनराम मांझी को पटखनी देनी हो  या 2022 में जदयू को टूट से बचाना हो तब, हर बार नीतीश कुमार का ढाल लालू यादव ही बनते रहे हैं। लेकिन ही ज्‍यों ही जदयू का राजनीतिक स्‍वास्‍थ्‍य ठीक होता है, फिर नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले जाते हैं। इसके बाद जिस वेंटीलेटर पर चढ़ने से उनकी जान बचती है, उसे ही अभिशाप करार देते हैं। इस बार भी लालू यादव के भरोसे विप‍क्षी एकता के लिए देश भर में फूदकने लगे। लालू यादव की विश्‍वसनीयता की गारंटी पर नीतीश कुमार की राष्‍ट्रीय स्‍वीकार्यता बढ़ने लगी तो नरेंद्र मोदी से मुकाबले का दंभ भरने लगे। प्रधानमंत्री की दावेदारी की होड़ में लग गये, लेकिन उनकी मंशा पर अन्‍य विपक्ष दलों के नेताओं ने पानी फेर दिया। क्‍योंकि किसी को भी नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं था। हुआ भी वही। नरेंद्र मोदी से लड़ते-लड़ते नरेंद्र मोदी में विलीन हो गये। नीतीश कुमार अब चार सौ पार का नारा भाजपा वालों से ज्‍यादा जोर से लगा रहे हैं।


नीतीश कुमार ने लोगों से आग्रह किया कि युवकों को बताईए कि 2005 से पहले बिहार की क्‍या स्थिति थी। उन्‍होंने एकदम सही बात कही है। यह युवाओं को बताना चाहिए कि 1990-95 के दौर में किस तरह सामंती ताकतों का आतंक था और प्रदेश कैसे उस दौर से बाहर निकला। कैसे प्रदेश में सम्‍मानपूर्ण जीवन के दौर की शुरुआत हुई। कैसे भूमि सेना और रणवीर सेना की आग में बिहार जल रहा था और कैसे उस आग से बाहर निकला। यह सब नीतीश राज के पहले का दौर था। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अब पीएम के साथ हर मंच पर राजद के साथ जाने के लिए माफी मांग रहे हैं और भाजपा का साथ नहीं छोड़ने की गारंटी दे रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री हैं कि उनकी बात को गंभीरता से लेने के बजाये मुस्‍कुराते रहते हैं। अपने भाषणों में उनकी इस बात का नोटिस भी नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री की सभा में जदयू के कार्यकर्ता नहीं के बराबर होते हैं, क्‍योंकि पूरी भीड़ भाजपा की बुलायी गयी होती है। इसलिए नीतीश कुमार के सामने कोई नीतीश जिंदाबाद नहीं करता है, जबकि जयश्री राम से सभास्‍थल गुंजता रहता है। जयश्री राम के नारे से घिरे नीतीश मंच से ही जयश्री राम का उद्घोष करने लगे तो आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। 





वीरेंद्र यादव, 

वरिष्‍ठ पत्रकार, पटना

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