सीहोर : राम का नाम मोक्ष का मार्ग खोलता है : पंडित देवेन्द्र शास्त्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

सीहोर : राम का नाम मोक्ष का मार्ग खोलता है : पंडित देवेन्द्र शास्त्री

  • आज किया जाएगा भव्य भंडारे का आयोजन, संत श्री दुर्गाप्रसाद कटारे ने किया आह्वान

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सीहोर। श्रीराम कथा जीवन का मार्ग निष्कंटक कराती है। राम का नाम मोक्ष का मार्ग खोलता है। पाप कर्म, संस्कार, पूर्वजन्म के भी साथ रहते हैं, लेकिन कुसंस्कार और सुसंस्कार क्या अपनाना है, ये सुबुद्घि रामकथा देती है। भगवान की भक्ति के कारण ही हनुमान का नाम अजर और अमर है। भगवान के सभी कार्य हनुमान के द्वारा ही हुए है और भगवान श्रीराम के द्वारा रावण का वध भी हनुमान के सहयोग से किया गया है। इसलिए कहा गया है कि राम से बड़ा राम का नाम, राम ने सदैव अपने भक्त को ही उच्च स्थान दिया है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम चंदेरी में जारी श्रीराम कथा के आठवे दिन कथा व्यास पंडित देवेन्द्र शास्त्री ने कहे। इस संबंध में जानकारी देते हुए यज्ञ के संचालक धर्मरक्षक पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे ने बताया कि ग्राम चंदेरी में एकादश कुंडीय श्रीराम महा यज्ञ प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के अलावा संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे है।


पंडित श्री शास्त्री ने कहा कि भक्तों को भगवान से मिलने के लिए हनुमान से मिलना चाहिए। ऐसा कोई देवता नहीं, जिसके काम हनुमान के बिना होते हैं, वह सभी के काम संवारते हैं। रामजी से मिलना है तो हनुमानजी की प्रार्थना करना आवश्यक है। लंका से लौटने के उपरांत सुग्रीव ने हनुमान को दायित्व दिया था कि वह अयोध्या में ही रहकर रामभक्तों को भगवान श्रीराम से मिलाने का काम संभालेंगे, तब से यह सिलसिला निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि हनुमानजी की वाटिका में पहुंचे और अशोक वृक्ष के ऊपर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने सुना कि माता सीता ने तारा, चंद्रमा, त्रिजटा और अशोक वृक्ष से आग मांगी। चारों ही माता सीता की इच्छा पूर्ति नहीं कर पाए। लेकिन अशोक वृक्ष पर बैठे हनुमान जी ने निश्चय कर दिया कि वह अशोक वृक्ष की महत्व को जीवित रखेंगे और जाते हुए उन्होंने पूरी लंका को अग्नि के हवाले कर दिया। इसी दौरान माता सीता ने हनुमान को अजर-अमर होने का वरदान दिया था। हनुमान ने भी भगवान की कथा सुनाकर माता सीता के शोक दूर कर दिए। हालांकि माता सीता ने प्रभु श्रीराम का संदेश सुनकर अग्नि लेने से मना कर दिया था, परंतु हनुमान ने संकल्प पूरा किया और लंका में चारों तरफ अग्नि ही अग्नि दिखाई देने लगी। इसके बाद संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाए, भगवान की कथा के माध्यम से ही भरतजी के प्राण बचाए और सीताजी का संदेश सुनकर एक बार जनकजी के प्राण हनुमान द्वारा बचाए गए और भगवान श्रीराम ने रामसेतू का निर्माण कर रावण का वध किया। 

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