मीरारोड वॉक्हार्ट अस्पताल के बाल चिकित्सा क्रिटिकल केयर डॉ. अंकित गुप्ता ने कहा कि टीकाकरण के बारे में जागरूकता की कमी के कारण पूरे देश में टीकाकरण की दर में गिरावट आ रही है, जिससे बच्चे और वयस्क दोनों प्रभावित हो रहे हैं। मम्स से पीड़ित लोगों में गंभीर सिरदर्द, एन्सेफलाइटिस और सिरदर्द, बुखार, दौरे, बेहोशी, परिवर्तित सेंसोरियम, सीएसएफ प्रवाह में रुकावट जैसे लक्षण होते हैं, जिससे मस्तिष्क में लंबे समय तक रहने वाली जटिलताएं होती हैं, ऑर्काइटिस एक या दोनों अंडकोष की सूजन होती है, जो पुरुषों में बांझपन का कारण बनती है। निमोनिया का टीका न लेने से होने वाली निमोनिया की जटिलता एम्पाइमा के मामले बढ़ रहे हैं। मीरारोड वॉक्हार्ट अस्पताल के सलाहकार बालरोग विशेषज्ञ डॉ. बादशाह खान ने कहा कि कई लोग अभी भी टीकाकरण नहीं करवा रहे हैं, जिससे जटिलताएं हो रही हैं। वॉक्हार्ट अस्पताल के सलाहकार इंटरनल मेडिसिन डॉ. जिनेंद्र जैन ने कहा कि “न्यूमोकोकल वैक्सीन, फ्लू वैक्सीन, चिकनपॉक्स के लिए वैरिसेला वैक्सीन, हेपेटाइटिस ए का टीका वयस्कों को दिया जाना चाहिए। फ्लू या इन्फ्लूएंजा का टीका हर साल सभी आयु वर्ग के लोगों को लेना चाहिए। मधुमेह, किडनी, हृदय और फेफड़ों के मरीजों के लिए टीकाकरण जरूरी हैं। यहां तक कि किडनी और हृदय रोग से पीड़ित उच्च जोखिम वाली आबादी, कीमोथेरेपी लेने वाले और प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों को भी न्यूमोकोकल वैक्सीन दी जानी चाहिए। महिलाओं को युवावस्था तक एचपीवी से जुड़े कैंसर के लिए सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए गार्डासिल वैक्सीन दी जाती है।
मुंबई (अनिल बेदाग) : मीरारोड स्थित वॉक्हार्ट अस्पताल में सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया हैं। टीकाकरण के बारे में लोगों में जागरूकता निर्माण करना इसका मुख्य उद्देश हैं। बच्चे आवश्यक नियमित टीकाकरण से वंचित हो रहे हैं, जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ रहा है। टीकाकरण न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य की रक्षा करता है, बल्कि संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोखने में मदद करता हैं। इसे ध्यान में रखते हुए टीकाकरण के बारे में जागरूकता बढाने के लिए अस्पताल में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया है। यूनिसेफ की "द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2023" रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-१९ महामारी के कारण बचपन के नियमित टीकों में गिरावट आई है और लगभग ६७ मिलियन बच्चे टीकाकरण से वंचित हैं। देश में खसरे के मामलों में भी चिंताजनक वृद्धि हुई है क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चे टीका न लेने के कारण शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, २०२२ में ११ लाख बच्चे भारत में खसरे के टीके की पहली खुराक लेने से चूक गए, जिससे देश उन दस देशों में शामिल हो गया, जहां महामारी के बाद भी खसरे के टीकाकरण में सबसे ज्यादा अंतर है। रोग नियंत्रण और रोकथाम (सीडीसी) से पता चलता है।
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