सीहोर : ईसर-गौर की प्रतिमा के साथ महिलाओं ने निकाला बाना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 अप्रैल 2024

सीहोर : ईसर-गौर की प्रतिमा के साथ महिलाओं ने निकाला बाना

  • मंगलवार को मानक बाग में किया जाएगा भव्य आयोजन

Isar-gaur-sehore
सीहोर। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी अग्रवाल महिला मंडल, माहेश्वरी महिला मंडल और सोनी महिला मंडल के तत्वाधान में शक्ति और भक्ति का पर्व गणगौर आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। सोमवार को शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल पंचायती भवन से गाजे-बाजे के साथ भव्य चल समारोह निकाला गया। जो शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए नारायण पैलेस पर पहुंचा, जहां महिलाओं ने सामूहिक रूप से झाले दिए और आरती और प्रसादी का वितरण किया गया। सोमवार को नारायण पैलेस में राजेश अग्रवाल के द्वारा स्वागत सत्कार किया गया था, मंगलवार को शहर के मानक बाग में श्रीमती ज्योति रुठिया के द्वारा सत्कार किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि माहेश्वरी महिला मंडल श्रीमती आभा कासट, सोनी महिला मंडल की अध्यक्ष सुनीता सोनी के मार्गदर्शन में गणगौर का पर्व महिलाओं के द्वारा पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि पर्व चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीज) को आता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां एवं विवाहित महिलाएं शिवजी (इसरजी) और माता पार्वती गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिन्दूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। चन्दन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि गण (शिव) एवं गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं। विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन एवं व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक चलने वाला त्योहार है। यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं। ईसर (भगवान शिव) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं, चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। 

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