सीहोर : पाडंव, देवकी, राधा, सुदामा. प्रहलाद द्रोपदी सब भगवान के लिए रोए : रविशंकर तिवारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

सीहोर : पाडंव, देवकी, राधा, सुदामा. प्रहलाद द्रोपदी सब भगवान के लिए रोए : रविशंकर तिवारी

  • खामखेड़ा जत्रा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा का समापन 

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सीहोर। खामखेड़ा जत्रा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन श्रद्धालुओं के समक्ष श्री हनुमान फाटक मंदिर सीहेार वाले कथा व्यास पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि परिजनों के लिए सब रोते है लेकिन परमात्मा के लिए कोई नहीं रोता है, परमात्मा के लिए रोने वाले पाडंव,देवकी,राधा, प्रहलाद द्रोपदी, सुदामा गोप गोपियां संत महत्मा सब अमर होकर पूजनीय हो गए। हमें भी परिजनों के लिए नही परमात्मा के लिए रोना चाहिए। दान की महीमा बताते हुए श्री तिवारी ने कहा कि दान करने से कभी पीछे नही हटना चाहिए क्योंकी दान करने से धन सौ गुना बढ़ता है और दान नहीं करने से धन घटता है। दानी का धन आम के पेड़ की तरह बढ़ता है और दान नहीं करने वाले का धन गाजर मूली की तरह जड़ से खत्म हो जाता है। 


भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग सुनाते हुए पं तिवारी ने कहा कि भोमासुर नामक राक्षस ने अपने कारागार में हजारों युवतियों को बंधक बना लिया था इन युवतियों को भगवान ने राक्षस को मारकर कारागार से रिहा कराया था तब भगवान ने युवतियों के निवेदन पर उनसे बिवाह किया था इस प्रकार भगवान का प्रथम विवाह रूकमण जी फिर जामवंत की पुत्री जामवती से जिस के उपरांत राजा की पुत्री सत्याभामा से हुआ। भगवान के इस प्रकार 16 हजार 108 विवाह सम्पन्न हुए। सुदामा चरित्र सुनाते हुए श्री तिवारी ने कहा कि उज्जैन आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते हुए बालसखा श्रीकृष्ण को श्राप से संत सुदामा ने श्रापित चने खाकर बचा लिया था यदी श्रीकृष्ण चने ग्रहण कर लेते तो दानहीन श्रीहीन हो जाते। लेकिन श्राप के प्रकोप के कारण संत सुदामा को भिक्षा के लिए दर दर की ठोकरे खानी पड़ी। भगवान के परम भक्त सुदामा के लिए भगवान द्वारकाधीश स्वयं रोते हुए अपने सिंहासन से उतर कर द्वार तक आ जाते है। भगवान स्वयं अपने हाथों से सुदामा के पेर धोते है। भगवान की भक्ति सुदामा की भांति करनी चाहिए। गुरू पुर्णिमा महोत्सव के निमित हो रही श्रीमद भागवत कथा के सातवे दिन बड़ी संख्या में खामखेड़ा जत्रा सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों के श्र8ाुलओं के द्वारा श्री हनुमान फाटक मंदिर सीहेार वाले कथा व्यास पं रविशंकर तिवारी के श्रीमुख कथा का श्रवण किया। आयोजन समिति के द्वारा भंडरा प्रसादी का कार्यक्रम आयोजित कर भागवतजी की महाआरती कर श्रीमद भागवत कथा का समापन किया। 

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