- राम कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीराम के वनगमन का होगा प्रसंग
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम चंदेरी में जारी एकादश कुंडीय श्रीराम महायज्ञ और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। यज्ञ का संचालन धर्म रक्षक मंदिर जीर्णोद्धारक पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे के द्वारा किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन पंडित देवेन्द्र कुमार शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीराम सभी के आदर्श है। शुक्रवार को धनुष यज्ञ की कथा सुनकर यहां पर मौजूद श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि मानव मात्र को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि जल से भरे एक घड़े में हम एक-एक कर के पत्थर डालते जाते है तो धीरे-धीरे वह घड़ा कंकड़ से भर जाता है तथा जल से रिक्त हो जाता है। वैसे ही यदि हम अपने शरीर रूपी घड़े में, अंधकार रूपी कंकड़ ज्यादा डालेंगे तो हमारा शरीर शीलगुण रूपी पानी से रिक्त हो जायेगा। भक्ति जीण-शीर्ण हो चुके मनुष्य को पुन: उसके वास्तविक स्वरूप जैसा पवित्र कर देती है। कथा वाचक पंडित श्री शास्त्री ने कहा कि धनुष यज्ञ के लिए रखे गए भगवान शिव के पिनाक धनुष के भार और बल को देखते हुए जानकी द्वारा माता पार्वती से प्रार्थना करना बिरह और मिलन की उत्कंठा प्रेम और आदर्श का स्वरूप है। देश देशांतर के कोने-कोने से आए हुए बलशाली राजाओं द्वारा धनुष को नहीं उठा पाने पर राजा जनक दुखी हो गए। इसी बीच भगवान राम ने धनुष को तोड़कर जनक के दुख का निवारण किया। धनुष टूटते ही भगवान श्रीराम व जगत जननी जानकी का विवाह निश्चित हो गया था, क्योंकि विवाह की यही शर्त थी।
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