ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार --
विनय और सुदेव चैम्प के दो पुत्र थे। सुदेव सभी क्षत्रियों के विजेता थे। इसलिए, उन्हें विजय के रूप में याद किया जाता है । वह कोसल का एक राजा था। ब्रह्माण्ड पुराण के अध्याय 73 में कहा गया है कि कोसल के इस राजा विजया ने परशुराम का सामना किया और पराजित हुआ था । एक कोई विजय राजा ने वाराणसी शहर पर शासन किया। विजय ने खांडवी शहर को नष्ट कर दिया और वहां खांडव वन उग आया। बाद में उसने जंगल इंद्र को दे दिया। इस वंश का सबसे शक्तिशाली राजा उपरीचर था (कालिका पुराण, अध्याय 92)। विजय, धुंधु (चैम्प )के दो बेटों में से एक को संदर्भित करता है जो रोहित का पुत्र था , 10 वीं शताब्दी के सौरपुराण के वंशानुचरित खंड के अनुसार : शैव धर्म को दर्शाने वाले विभिन्न उपपुराणों में से एक रहा । तदनुसार, धुंधुमारी ( चैम्प) के तीन बेटे थे दृढ़ाश्व और अन्य। दृढ़ाश्व का पुत्र हरिश्चंद्र था और रोहित हरिश्चंद्र का पुत्र था। धुंधु रोहिताश्व का पुत्र था। धुंधु के दो बेटे थे- सुदेव और विजय थे । विजय राजा अणु राजा सौवीर के समकालीन था जिन्होंने सौवीर साम्राज्य की स्थापना किया था।
—आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी—
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।)
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