- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की नींव को कमजोर किया जा रहा है.
चुनाव प्रक्रिया में हर स्तर पर बड़ी गड़बड़ियां देखने को मिली हैं. चुनाव आयोग बूथ कैप्चरिंग को दर्शाने वाले वीडियो का स्वतः संज्ञान लेने में विफल रहा और मामला जब हद से ज्यादा शर्मनाक हो गया तो अनिच्छा से पुनर्मतदान का आदेश दिया है. गुजरात में भाजपा नेता के बेटे द्वारा बूथ कैप्चरिंग की लाइवस्ट्रीमिंग करने की घटना के बाद, हम उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुए मामले से और भी हैरान हैं, जहां भाजपा नेता के 17 वर्षीय बेटे को भाजपा उम्मीदवार के लिए आठ बार वोट डालते हुए वीडियो में कैद किया गया है. भारत के चुनाव आयोग ने भाजपा के नफरत से भरे वीडियो अभियान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. आदर्श आचार संहिता के साफ उल्लंघन करते हुए तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपमानजनक और बदनामी वाले विज्ञापन चलाने से भाजपा को रोकने के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप की जरूरत पड़ गई. मोदी सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुलेआम अवहेलना कर अपने हितों के लिए चुनाव आयोग नियुक्त करने की शक्ति अपने हाथ में ले ली है. इसका दुष्परिणाम अब सभी के सामने साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. चुनाव आयोग ने पारदर्शिता और निष्पक्षता से चुनाव संचालन की अपनी सबसे जरूरी संवैधानिक जिम्मेदारियों से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया है. 2024 के चुनाव तेजी से एक तमाशा बनते जा रहे हैं. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की नींव को कमजोर किया जा रहा है. भारत के लोगों के सामने अब संविधान की हिफाजत और लोकतंत्र को बहाल रखने के लिए इस असमान लड़ाई को जीतने की कठिन चुनौती है. चुनाव के दो और चरण बाकी हैं और हम भारत के लोगों को इस अहम मुकाबले के लिए खुद को काबिल साबित करना होगा.
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