- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
1990 में पंडितों के घाटी से विस्थापन के बाद अन्य मंदिरों की तरह गणपतयार मंदिर की दशा भी शोचनीय हो गयी।मुझे याद है सायंकाल इस मंदिर में धूमधाम से गणेशजी की आरती होती थी और भजन गाये जाते थे।भक्तजनों में बड़ा उत्साह होता था।इस सब को 1990 के बाद विराम लग गया । कश्मीरी पंडित नेता श्री अश्विनीकुमार चरंगू 9 दिसम्बर 20 को श्रीनगर के इस मंदिर में गए थे और वहां से मुझे मंदिर के कतिपय सुंदर और बहुमूल्य चित्र भेजे।इन चित्रों को देख मेरा रोम-रोम पुलकित हुआ और मुझे लगा जैसे मैं भी अश्विनीजी के साथ गणपतयार मंदिर में पहुंच गया हूँ और विघ्नहर्ता गणेशजी के दर्शनों का लाभ ले रहा हूँ।पूछने पर अश्विनीजी ने फोन पर बताया कि इस मंदिर की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के जवान नियत किये गए हैं और वे जवान ही सुबह-शाम मंदिर में आरती-पूजा-अर्चना का पावन कार्य सम्पन्न करते हैं।धन्य हैं हमारे वीर सैनिक जो हमारे मंदिरों की सुरक्षा भी कर रहे हैं और श्रद्धानुसार सेवाकार्य भी कर रहे हैं।
(डॉ० शिबन कृष्ण रैणा)
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