सीहोर : मठ मानस प्रचार समिति ने कहा उप महाप्रबंधक कर रहे तानाशाही - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 25 मई 2024

सीहोर : मठ मानस प्रचार समिति ने कहा उप महाप्रबंधक कर रहे तानाशाही

  • प्राचीन मंदिर में जाने वाले मार्ग पर किया जा रहा विवाद

Sehore-math
सीहोर। शनिवार को शहर के इंदौर नाके स्थित प्राचीन मठ मंदिर के पहुंच मार्ग के विवाद को लेकर मानस प्रचार समिति के अलावा अन्य हिन्दु संगठनों ने पत्रकारवार्ता का आयोजन किया था। इस मौके पर मठ समिति के अध्यक्ष सीताराम यादव ने कहा कि मठ मंदिर पहुंच मार्ग जोकि लगभग 100 वर्षों से अधिक से उपयोग किया जा रहा है। इस रास्ते का उपयोग यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के अलावा आस-पास के किसान जिनके खेत है वह करते है, लेकिन मध्यप्रदेश विद्युत कंपनी के उप महाप्रबंधक एसएन खरे के द्वारा विवाद किया जा रहा है। विद्युत वितरण कंपनी निजी भूमि बताकर न्यायालयीन कार्रवाई कर रही है। सुबह मठ मंदिर में आरती के पश्चात नियमित रूप से यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं ने मठ मंदिर जाने वाले रास्ते को लेकर विवाद करने वाले मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के उप महाप्रबंधक एसएन खरे के खिलाफ नारेबाजी करते हुए शासन से मांग की है कि तत्काल सनातन विरोधी कंपनी के उप महाप्रबंधक का स्थानांतरण किया जाए। इस मौके पर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह सालों से यहां पर आते है, लेकिन कई बार विद्युत कंपनी के द्वारा गेट लगा दिया जाता है, इसके अलावा आस-पास खेत के किसान भी कंपनी की तानाशाही से परेशान है।


मठ मानस समिति के अध्यक्ष श्री यादव ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि 1. भूमि जिस पर से मठ मंदिर पहुँच मार्ग है उक्त मार्ग मंदिर तक पहुँचने का एकमात्र मार्ग है एवं अन्य कोई वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नही है। इस मार्ग का उपयोग पिछले 100 वर्षों से अधिक से श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है जिस पर कुछ महिनो पहले किसी भी प्रकार का कोई विवाद किसी के भी द्वारा नही किया गया, लेकिन कंपनी के श्री खरे द्वारा र्दुभावनावश कार्यवाही करते हुए एवं उक्त रास्ते कोबंद करवाने का हर संभव प्रयास करते हुए उक्त रास्ते पर एस एन खरे के द्वारा गेट लगाकर बंद कर दिया गया था, जिसे खुलवाने हेतु मठ मानस प्रचार समिति, दशहरा वाला बाग के अध्यक्ष सीताराम यादव एवं सुधीरसिंह ठाकुर के द्वारा रास्ता खुलवाने हेतु आवेदनपत्र तहसीदार के समक्ष प्रस्तुत किया गया था एवं तहसीलदार द्वारा आदेश दिनांक के द्वारा उक्त रास्ता खुलवाया गया था एवं उक्त रास्ता खुलवाने संबंधी कार्यवाही आज दिनांक तक विचाराधीन है जिसमें किसी प्रकार का कोई अंतिम आदेश पारित नही किया गया है। यह कि, उक्त रास्ता खुलवाये जाने की कार्यवाही में तहसीलदार के द्वारा प्रकरण दर्ज किया जाकर हल्का पटवारी से मौके की जांच करवायी गयी जिसमें यह पाया गया कि ग्राम कस्बा स्थित भूमि पर मठ हनुमान मंदिर स्थित है, नक्शा शीट अनुसार मंदिर पर पहुँचने हेतु मुख्य मार्ग से खसरा नंबर 444 में से होता हुआ रास्ता जाता था जिस पर पॉवर हाऊस की बिल्डींग निर्मित है एवं मौके पर खसरा कमांक 412, 413, 449/2 पर भी पॉवर हाउस का भवन निर्मित है। यह कि, उक्त जॉच रिपोर्ट को म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को चुनौति नही दी गयी है एवं उक्त रिपोर्ट के अनुसार मठ मंदिर तक पहुँच मार्ग पर म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड सिहोर के द्वारा बिल्डींग का निर्माण कर रास्ते को अवरूद्ध किया गया है एवं उक्त भवन के निर्माण के उपरांत वैकल्पिक मार्ग मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के भवन के पास का उपयोग आम जनता द्वारा मंदिर पहुँचने हेतु किया जाता है। यह कि, उक्त मार्ग जो कि खसरा नंबर 444 पर स्थित है उक्त मार्ग की पुष्टि प्रधान जिला न्यायाधीश सीहोर के द्वारा विविध व्यवहार अपील कमांक 8/2023 में पारित आदेश दिनांक 04.04.2024 में अपने आदेश के पैरा कमांक 13 में यह उल्लेख किया गया है कि मंदिर पर लोगो को जाने के लिये रास्ता सर्वे क्रमांक 444 से जाता है जिसे विधी अनुसार कार्यवाही कर खुलवाया जा सकता है। यह कि, उक्त आदेश के परिपालन में मठ मंदिर समिति के द्वारा धारा 133 दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंर्तगत योग्य कार्यवाही आरंभ की जा चुकी है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में उक्त रास्ते को लेकर हुए विवाद में उच्च न्यायालय के द्वारा प्रकरण कमांक एम पी कमांक 2083/2024 में आदेश दिनांक 02.05. 2024 के द्वारा मठ मंदिर समिति को यह स्वतंत्रता प्रदान की गयी है कि मंदिर पहुँच मार्ग को लेकर राज्य शासन के समक्ष योग्य कार्यवाही करे ताकि मंदिर तक पहुँचने हेतु सुगम मार्ग उपलब्ध करवाया जा सके एवं राज्य शासन को यह भी निर्देशित किया गया है कि ऐसा आवेदन राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने पर योग्य कार्यवाही किया जाकर रास्ता उपलब्ध करवाया गया है। मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड सिहोर के द्वारा यह भ्रामक जानकारी फैलायी जा रही है कि उच्च न्यायालय एवं अधिनस्थ न्यायालय के आदेशानुसार जिस रास्ते का उपयोग मंदिर तक पहुँचने हेतु उपयोग किया जाता है उक्त मार्ग को प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड सिहोर की निजी भूमि घोषित की गयी है एवं उक्त भूमि से कोई रास्ता नही जाता है। आज दिनाक तक उच्च न्यायालय या अधिनस्थन्यायालय के द्वारा उक्त संबंधमें कोई अंतिम आदेश रास्ता होने या नही होने संबंधी पारित नही किया गया है एवं उक्त संबंध में नियमित व्यवहारवाद कमांक 228-ए / 2022 प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड सिहोर के न्यायालय के द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश सीहोर के समक्ष लंबित है जिसमें प्रतिवादीगण की साक्ष्य आरंभ होना बाकी है। उक्त रास्ते को लेकर जो आदेश उच्च न्यायालय एवं अधिनस्थ न्यायालय एवं राजस्व अधिकारियों के द्वारा पारित किये गये है उक्त सभी आदेश अंतरित आदेश होते हुए रास्ते संबंधी कोई अंतिम आदेश पारित नही किया गया है यह जानते हुए भी एसएन खरे के द्वारा न्यायालय के समक्ष विचाराधीन बिन्दुओं को लेकर र्दुभावनावश मीडिया ट्रायल किया जा रहा है एवं असत्य एवं भामक जानकारी आम जनता में फैलायी जा रही है जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 215 एवं न्यायालय अवमानना अधिनियम की धारा 10 एवं 12 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है एवं एसएन खरे के द्वारा जो आचरण किया जा रहा है उक्त आचरण सिविल सर्विस (आचरण) नियम 1995 के प्रावधानो के विपरित है, जो कि एक शासकीय सेवक के द्वारा नही किये जाने चाहिय। यह कि खरे के द्वारा न्यायालय की अवमानना कन्टेम्ट आफ कोर्ट करते हुए न्यायीक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हुए स्वयं को न्यायालय के उपर दर्शाया जाने का पूर्ण प्रयास किया जा रहा है। मठ मंदिर पहुँच मार्ग जो कि वर्तमान में स्थित है लगभग 100 वर्षो से अधिक से उपयोग किया जा रहा है उक्त रास्ते पर विवाद उठने पर यह ज्ञात हुआ कि रास्ता सर्वे कमांक 444 पर उपलब्ध है जिस पर पॉवर हाउस की बिल्डींग का निर्माण किया जा चुका है एवं उक्त निर्माण के पश्चात कोई वैकल्पिक मार्ग वर्तमान मार्ग के अलावा उपलब्ध नही है, जिस पर मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड सिहोर के द्वारा र्दुभावनावश उठाकर धार्मिक भावनाओं पर आघात पहुँचाया जा रहा है एवं भामक जानकारी एवं न्यायालयीन आदेशो को गलत रूप में दर्शित किया जा रहा है जबकि रास्ते को लेकर अंतिम निर्णय किसी भी न्यायालय द्वारा नही किया गया।

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