सीहोर : संसार के कल्याण के लिए शंकर ने कंठ में धारण कर लिया था जहर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 18 मई 2024

सीहोर : संसार के कल्याण के लिए शंकर ने कंठ में धारण कर लिया था जहर

  • बली के घमंड को तोडऩे के लिए भगवान ने लिया था वामन अवतार : रविशंकर तिवारी
  • नृसिंह मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद भागवात कथा का चौथा दिन, बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु

Bhagwat-katha-sehore
सीहोर। कस्बा स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद भागवात कथा के चौथे दिन शनिवार को भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने श्रद्धालुुओं के समक्ष समृद्र मंथन कथा सुनाते हुए कहा कि समृद्र मंथन से निकले जहर को संसार के कल्याण के लिए भगवान शंकर ने कंठ में धारण कर लिया था और भक्तों को असुर प्रवृत्ति से बचाने के लिए समृद्र मंथन के समय भगवान नारायण ने मोहिनी रूप तक रख लिया था। देवताओं की लाईन में लगकर अमृत को असुर पीकर भाग गया था इसी कारण देवासुर संग्राम हो गया था। श्री तिवारी ने कहा कि समृद्र मंथन के समय ही भगवान ने कक्षव अवतार लिया था। मंथन से ही भगवान धनमंत्री का जन्म हुुआ था। देत्यराज बली ने ब्राहम्णों की सेवा कर स्वर्ग विजयश्री का आशिर्वाद प्राप्त कर लिया था तीनों लोकों पर बली का राज हो गया था तब भगवान ने वामन अवतार लेकर राजाबली के घमंड को तोड़ दिया था। भगवान ने गजेंद्र हाथी को भी मोक्ष दे दिया था।


श्रीमद भागवात कथा के दौरान पंडित श्री तिवारी ने कहा कि जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समृद्र मंथन किया तो सबसे पहले जहर निकला इस जहर को धारण करने के लिए कोई तैयार नही हुआ तब भगवान नारायण भोलेनाथ के पास पहुंचे और इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा तब शंकर ने जहर पीने के लिए पार्वती से स्वीकृति मांगी संसार के कल्याण के लिए माता पार्वती ने जहर पीने की आज्ञा दी, तब शंकर भगवान ने अपने अंदर देखा तो भगवान श्रीराम विराजमान थे अब अगर भगवान शंकर जहर निगलते है तो श्रीरामजी को कष्ट होगा और नहीं निगलते है तो संसार को कष्ट होगा इस लिया शंकर ने जहर अपने कंठ में ही धारण कर लिए तब से भगवान को नीलकंठेश्वर महादेव भी कहा जाने लगा। श्रीमद भागवत कथा के दौरान भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी के द्वारा मधुर भजनों की प्रस्तूती दी गई। कथा में महिलाऐं पीली साड़ी पहनकर सम्मिलित हुई। पंडित हरीश तिवारी के सानिध्य में मुख्य यजमान और श्रद्धालुओं के द्वारा भागवतजी की आरती की गई। शनिवार रात को नृसिंह जयंती महोत्सव अंतर्गत सुंदरकांड पाठ का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन सम्मिलित हुए। 

कोई टिप्पणी नहीं: