सियासत: भीड़ जुटाने व वोट पाने के लिहाज से उड़ने लगा धन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 मई 2024

सियासत: भीड़ जुटाने व वोट पाने के लिहाज से उड़ने लगा धन

  • - रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए लग रहीं तमाम जुगत, जनपद व गैर जनपद से धन बल पर भीड़ लाने की बनी रणनीति
  • - वोट पाने के लिए प्रत्याशियों ने परदेश के वोटरों को बुलाने का बनाया प्लान
  • - महिलाओं को भी लुभावने वादों से अपने पक्ष में करते दिख रहें सियासी लोग
  • - सियासी जीत पाने को आतुर हैं प्रत्याशी, शराब - कबाब - शबाब का हो रहा इंतजाम 

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लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां समूचे देश में देखने को मिल रही है फिर चाहे जहां मतदान हो चुका है या फिर होने वाला है, जहां मतदान हो चुका है वहां जीत - हार पर चर्चा होती नजर आ रही है तो जहां मतदान होना है वहां माहौल की चर्चा होती दिखाई दे रही है। पर इतना जरूर है कि हर गली, मुहल्ले सहित हर चौक - चौराहे पर सियासी चर्चा आम है। आज हम बात कर रहे हैं फतेहपुर संसदीय सीट की जहां लोकसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे मतदाताओं का उत्साह बढ़ता जा रहा है। इस सियासी रण में मतदाता अपने पक्ष के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने को लेकर बेताब नजर आ रहे हैं। इधर अलग-अलग राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेता सक्रिय हो गये हैं। कड़ाके की धूप में भी लोगों का इधर-उधर आना-जाना लगा हुआ है। प्रत्याशियों के इशारे पर उनके कार्यकर्ता अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को रिझाने का काम कर रहे हैं। वहीं मतदाताओं द्वारा भी प्रत्याशियों के बारे में जानने समझने का काम किया जा रहा है। अभी प्रचार - प्रसार अभियान जोरों पर शुरू है। इस बार के लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रामीण इलाके में पिछले चुनाव की तुलना में उत्साह कम दिख रहा है बावजूद इसके कार्यकर्ता मतदाताओं को समझाते नजर आ रहे हैं। हर चौक व चौराहा पर सुबह और शाम लोगों का जमावड़ा दिख रहा है। वैसे अधिकांश मतदाता राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज भी कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं को यह जवाब दे रहे हैं कि उनकी अपनी समझ है कि वोट कहां और किसको करना है इसे बताने की जरूरत नहीं है फिर भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हिम्मत के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इधर कुछ वैसे लोग भी हैं जो स्वयं को कार्यकर्ता बताते हुए प्रत्याशियों के लगातार संपर्क में बने हुए हैं


परदेश में रह रहे मतदाताओं पर सियासी खेल है शुरू

फतेहपुर जनपद का चुनाव पांचवे चरण यानी 20 मई में है जिसकी तैयारियों में हर कोई जुटा है फिर चाहे वो प्रत्याशी हो या फिर मतदाता। जागरूक वोटर के तौर पर लोकतंत्र के इस महापर्व पर पहली बार वोटर बने युवाओं में वोट डालने का उत्साह साफ दिख रहा है।  गांव - बस्तियों में रहने वाले अधिकांश वोटर कमाने - खाने के लिहाज से परदेश में काम कर रहे हैं जिनकी तादाद ज्यादा पाई जाती है, ऐसे वोटरों को बुलाने की कवायद भी उस गांव - घर में रहने वाले छुटभैए नेताओं को जिम्मा देकर मतदान प्रतिशत के साथ ही हर दलीय प्रत्याशी अपना वोट बैंक बढ़ाने की जुगत में लगा है। जिले के एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि हर दल का प्रत्याशी अपने दल के छोटे नेताओं के माध्यम से गांव के लोगों को परदेश से बुलाने का ठेका देते नजर आ रहे हैं और वोटर लिस्ट के आधार पर टिक मार्क कर वोटर का आधार कार्ड मंगवाकर उस वोटर के बस से आने और जाने के किराया भाड़ा तथा रास्ते का खर्च उठाने के साथ ही 500 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का लालच भी दिया जा रहा है इतना ही नहीं प्रति वोट की कीमत भी तय होना शुरू हो चुका है। इस सारे काम को अंजाम देने में प्रत्याशियों के नामित मैनेजर अपनी बही लेकर ठेकेदार नेता को जिम्मा देना शुरू कर चुके हैं। यानी कुल मिलाकर देखा जाए तो परदेश से आने वाले वोटरों पर 5000 रुपए प्रति व्यक्ति तक खर्च किया जा रहा है।


चुनावी सभा में भीड़ लाने का चल रहा है खेला

मतदान तो नियत तारीख पर होना है जिसको लेकर वोटरों को बुलाने से लेकर अपने पक्ष में अधिक से अधिक मतदान कराने की रणनीति का काम सभी प्रत्याशियों के खास मैनेजर तो कर ही रहे हैं लेकिन मतदान से पहले होने वाली जनसभाओं में भीड़ दिखाकर अपनी शक्ति प्रदर्शन करना भी प्रत्याशियों के लिए अहम है ऐसे में एक मैनेजर इस काम के लिए भी नियुक्त किए गए हैं। एक दल के नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब हर कोई कहीं न कहीं व्यस्त है ऐसे में भीड़ को लाना एक बड़ी चुनौती है जिसके लिए हर क्षेत्र से भीड़ लाने के लिए अच्छा पैसा खर्च करना पड़ रहा है क्योंकि इस तपिश में कोई भी यूं ही आने तो तैयार नहीं होता है और आज के डिजिटल दौर में अधिकतर हर कोई सोशल क्यू मीडिया के जरिए बड़े नेताओं के कार्यक्रम को अपने मोबाइल पर घर बैठे ही लाइव देखता है साथ ही बताया कि अब जनता को नेताओं पर पहले के जैसे न तो विश्वास रह गया है और न ही नेताओं को पास से देखने की ललक रह गई है ऐसे में भीड़ जुटाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है साथ ही आस - पास के सटे जनपदों से भी भीड़ लाने का काम किया जाता है क्योंकि बड़े नेताओं को तो भीड़ चाहिए होती है नहीं तो कार्यक्रम फ्लॉप हो जाता है जिससे उस दल की बड़ी किरकिरी और नेता की फजीहत होती है। आगे बताया कि अब लोग ट्रैक्टरों में भी नहीं आते हैं इसलिए पब्लिक को लाने में बस और बोलेरो या अन्य लक्जरी गाड़ियों का इंतजाम करना पड़ता है उसके बाद आते - जाते समय स्वल्पाहार के साथ ही लांच पैकेट आदि भी उम्दा क्वालिटी का देना पड़ता है इस सबके साथ प्रति व्यक्ति को खर्च भी देना पड़ रहा है जिससे प्रत्याशी को काफी चोट पहुंचती है उसके बाद भी वोट मिले या न मिले का डर सताता रहता है। अंक


चुनावी बिसात को संभालने में मुर्गा - दारू और फलां -  फलां का दौर जारी

राजनीति में लोग कहते हैं कि फलां नेता का जादू चल रहा है या करिश्माई नेता का जलवा है ये अब सब बेकार की बाते हो गई हयूके अधिकांश मतदाता बिना लिए - दिए न तो वोट करता है और न ही रैलuki में जाता है ऐसा कहना है विभिन्न दलों के विभिन्न नेताओं का। नाम न छापने की शर्त पर एक नेता ने बताया कि नामांकन के समय से ही नेताओं का माहौल बनाने के लिए उनके समर्थकों का ट्रीटमेंट शुरू करना पड़ता है और जैसे - जैसे चुनाव नजदीक आता है वैसे - वैसे सुविधाओं को और तेजी से बढ़ाना पड़ जाता है। चुनाव आयोग चाहे जितने बड़े दावे करे पर हर चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा शराब, मुर्गा और बिकाऊ वोट को रोकने में असफल ही रहती है। इस चुनाव में भी शराब और मुर्गा का दौर जोरों - शोरों से जारी है। एक जानकार अधेड़ उम्र के नेता की मानें तो बाजार में मुर्गा का भाव आसमान पर पहुंचा है और उसके बाद भी खपत हो रही है इतना ही नहीं शराब के भाव में भी ओवररेटिंग हर शराब की दुकान पर मिलेंगे फिर चाहे वो जिस भी क्लास की शराब हो इसी के साथ ही नेता जी ने नाम न छापने पर बताया कि मतदाताओं की इच्छा अनुसार ही ट्रीटमेंट दिया जाता है फिर चाहे वो जिस चीज का नशा हो। इसी क्रम में एक बड़े नेता ने तो बताया है कि शराब, कबाब और शबाब का पूरा इंतजाम किया जाता है जिससे लोग भटकने न पाएं इसके लिए विभिन्न होटलों व सुसज्जित ढाबों के साथ ही आवासीय फ्लैट्स का सहारा लिया जाता है जहां विदेशी मदिरा व चिकन - मटन की पार्टी के साथ ही ठुमका लगाने वाली भी पाई जाती है और फिर भोग - विलासिता तक का काम भी होता है। अंत में बताया कि राजनीति का एकमात्र ही उद्देश्य है जीत पाना जिसके लिए हर कोई हर संभव प्रयास जरूर करता है और करेगा।


महिलाओं से भी हो रहा पैसा, साड़ी और तोडिया का वादा

जहां पुरुष मतदाताओं के लिए भोग विलास के साथ ही नशा व पैसा का प्रयोजन जारी है तो महिला वोटरों से भी मतदान से पहले तोड़िया, साड़ी और नगद पैसों का लालच भी दिया जा रहा है जिससे कुछ महिलाओं में वोट बेचने का मिजाज बनता सा जा रहा है। एक महिला मतदाता ने बताया कि चुनाव के बाद कोई सुनता नहीं है और न ही कोई लौटकर आता है ऐसे में यदि चुनाव से पहले वोट पाने के लिए लालच में समान बांटने वालों का सामान ले लिया जाता है क्योंकि जब प्रत्याशी को बांटने में कोई डर नहीं होता है तो हमको लेने में कोई लाज - शर्म नहीं आती है।





—शीबू खान—

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