मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चेहरा भावहीन हो गया है, अपठ्य हो गया है। उनके चेहरे पर भाव खत्म हो गया है। गांव की भाषा में कहें तो बुत बन गये हैं। सांसद संजय झा और मंत्री विजय चौधरी उनकी गति को नियंत्रित और निर्देशित कर रहे हैं। 17 मई की शाम रवींद्र भवन में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की स्मृति में आयोजित शोक सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपस्थित थे, लेकिन चेहरा का भाव गायब था। कार्यक्रम स्थल पर बैठने की ऐसी व्यवस्था की कि मुख्यमंत्री और हमारे बीच की दूरी डेढ़ से दो फीट रही होगी। मंच के पास प्रेस दीर्घा बना हुआ था और ठीक पीछे राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बैठने की व्यवस्था की गयी थी। प्रेस दीर्घा की जिस कुर्सी पर हम बैठे थे, उसके ही पीछे मुख्यमंत्री बैठे हुए थे। मुख्यमंत्री करीब 5.48 बजे हॉल में प्रवेश किये। उनके साथ संजय झा और विजय चौधरी थे। मुख्यमंत्री की चाल में न उत्साह था, न चेहरे पर तेज था। अगली पंक्ति में बैठे लोग मुख्यमंत्री का अभिवादन कर रहे थे और वे आगे बढ़े जा रहे थे। अगली पंक्ति में मंगल पांडेय, सम्राट चौधरी, नंद किशोर यादव, गिरिराज सिंह, रविशंकर प्रसाद, विजय सिन्हा आदि लोग बैठे थे। मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी पर बैठने की चाह रहे थे कि नंदकिशोर जी ने इशारा कि आगे मोदी जी की पत्नी और परिवार के सदस्य बैठे हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री आगे बढ़कर मोदी जी के परिजनों का अभिवादन कर अपनी कुर्सी पर बैठे। थोड़ी देर बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी हॉल में प्रवेश किये। सम्राट चौधरी के इशारे के नीतीश कुमार अपनी कुर्सी से उठे और राज्यपाल का अभिवादन किया। दोनों एक साथ कुर्सी पर बैठे। राज्यपाल बगल में बैठे हैं, लेकिन लगा रहा था कि मुख्यमंत्री उनकी उपस्थिति से अनभिज्ञ हैं। दोनों करीब 8-10 मिनट साथ-साथ बैठे, लेकिन दोनों के बीच कोई संवाद हुआ हो, यह हमने नहीं देखा। हम जिस कुर्सी पर बैठे थे, उसके आसपास फोटोग्राफर और कैमरामैन का जमावड़ा था। इसलिए कुर्सी से उठना हमारे लिए संभव नहीं था। हम मुड़ी घुमा-घुमा कर मुख्यमंत्री के भाव-भंगिमा देखने की कोशिश कर रहे थे। राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री की उपस्थिति में एक भजन का गायन हुआ। इसके बाद पुष्पांजलि करने का कार्यक्रम हुआ। मुख्यमंत्री फिर किसी के इशारे पर उठे और सभा मंच की ओर बढ़ने लगे। कुर्सी से आगे बढ़ते ही संजय झा और विजय चौधरी ने घेर लिया। अपने साथ-साथ मंच पर ले गये। राज्यपाल के बाद मुख्यमंत्री ने सुशील मोदी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। इसके बाद मोदी जी की पत्नी और अन्य परिजनों ने पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी जी की पत्नी जब पुष्पांजलि अर्पित करके मंच से नीचे उतरने के लिए बढ़ रही थीं, तब नीतीश कुमार ने थोड़ा ठहर कर उनको रास्ता देने का इशारा किया।
इस बीच राज्यपाल मंच से नीचे आ चुके थे। उधर, संजय झा एवं विजय चौधरी ने फिर मुख्यमंत्री को घेरा। अपने घेरे में लेकर मंच से नीचे उतारा और राज्यपाल के साथ बैठाने के बजाये हॉल से बाहर लेकर चले गये। इस दौरान राज्यपाल से औपचारिक अभिवादन का मौका भी नहीं दिया। श्रद्धांजलि के बाद राज्यपाल जब अकेले बच गये तो उन्होंने विशेष कुर्सियों को हटवाकर कतार में बनी कुर्सी पर बैठ गये। उनके बगल में मंगल पांडेय बैठे थे। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री लगभग 18-20 मिनट रहे होंगे। पूरा समय उनका चेहरा भाव शून्य बना रहा। संजय झा और विजय चौधरी की यह पूरी कोशिश दिखी कि मुख्यमंत्री किसी से बातचीत भी नहीं करें। श्रद्धांजलि सभा में अपने दोस्त के प्रति उद्गार व्यक्त करने का मौका भी दोनों ने नहीं दिया। प्रोटाकॉल की अनदेखी हुई कि राज्यपाल बैठे रहे और मुख्यमंत्री कार्यक्रम से चले गये। चुनाव अभियान में संजय झा और विजय चौधरी ही मुख्यमंत्री के कार्यक्रम लगा रहे हैं और साथ-साथ जा रहे हैं। बिहार को गढ़ने और नया बिहार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक वाक्य बोलने के लिए भी दूसरे की अनुकंपा पर निर्भर हो गये हैं। यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
वीरेंद्र यादव, सदस्य
बिहार विधान सभा प्रेस सलाहकार समिति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें