वाराणसी : मोदी के बगल में बैठने वाले नेता भी नहीं डलवा सके अपनी जाति का वोट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 7 जून 2024

वाराणसी : मोदी के बगल में बैठने वाले नेता भी नहीं डलवा सके अपनी जाति का वोट

  • पटेल व भूमिहारों सहित अन्य विरादरियों ने बदला पाला, लाभार्थी भी नहीं दिए वोट 
  • मंत्रीमंडल में फेरबदल की खबर लगते ही निकल पड़े परिक्रमा मार्ग पर

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वाराणसी (सुरेश गांधी) देश में एनडीए को बहुमत मिलने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ वाराणसी में जीत की हैट्रिक लगाई, बल्कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का भी रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों के मुताबिक नौ जून को शपथ ग्रहण समारोह के आयोजन की भी तैयारी शुरु हो गयी है। खास बात यह है कि जो लोग पूरे चुनाव भर एसी में बैठकर मजा लेते रहे वो भी शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए उतावले दिख रहे हैं। जबकि मोदी के समर्थकों एवं चाहने वालों में जीत के मार्जिन में आयी कमी को लेकर उनकी नींद हराम हो गयी है। जानकारों का कहना है कि मंत्री, विधायक, मेयर, पार्षद सहित अन्य संगठन के पदाधिकारी व जिम्मेदार लोग सिर्फ लाभार्थियों तक मोदी का मैसेज पहुंचा दिए होते तो जीत का मार्जिन दुगुना हो जाता। बता दें, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के बाद अब 2024 में भी पीएम मोदी ने वाराणसी से जीत दर्ज की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय को 152513 वोट से हराया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 612970 वोट मिले जबकि अजय राय को 460457 वोट मिले. हालांकि इस बार प्रधानमंत्री मोदी के जीत का मार्जिन 2014 और 2019 के तुलना में काफी कम रहा. काउंटिंग के बाद से ही इस बात की चर्चा रहीं की भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा गढ़ माने जाने वाले वाराणसी में पार्टी के सबसे बड़े व्यक्ति के जीत का मार्जिन आखिर क्यों नहीं 4-5 लाख तक रहा.


10 वर्षों में बदल शहर की तस्वीर

सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जल मार्ग सहित वाराणसी के सैकड़ों विकास परियोजनाओं की बदौलत बीते 10 वर्षों में शहर की तस्वीर बहुत बदल गई है. काशी का पर्यटन उद्योग शिखर पर पहुंचने के साथ-साथ यहां के विकास मॉडल को भी अब देश में एक उदाहरण के तौर पर देखा जाता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के बतौर सांसद रहते हुए खुद तकरीबन 50 बार काशी दौरे की वजह से शहर हमेशा ही देश और दुनिया की चर्चाओं के केंद्र में रहा. यही वजह है कि वोटिंग के पहले ही काशी वालों ने खुद यह मान लिया था कि वाराणसी की लोकसभा सीट पर केवल जीत के मार्जिन का ही चुनाव है.


8 विधायक, 3 मंत्री, एमएलसी सहित एक मेयर का नहीं दिखा दबदबा

90 के दशक से ही वाराणसी को बीजेपी का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है. 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से महीनो पहले ही प्रधानमंत्री मोदी के बड़ी जीत के लिए भाजपा के स्थानीय पदाधिकारीयों, संगठन कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. खुद इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के बड़े नेता काशी दौरे पर पहुंचते थे और स्थानीय नेताओं से फीडबैक भी लेते थे. बावजूद इसके मार्जिन का घटना लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा। काशी वालों के उत्साह को कुछ हद तक इसलिए भी फीका रहा है क्योंकि वाराणसी में ही अकेले बीजेपी के 8 विधायक, 3 मंत्री, 3 एमएलसी और पार्टी से ही 1 मेयर व 70 से अधिक पार्षद सत्ता पर काबिज हैं. उनके द्वारा ही प्रधानमंत्री मोदी को पिछले सभी रिकार्ड को ध्वस्त कर 5 -6 लाख से अधिक वोटों से जिताने का बिगुल फूंका गया था. अब पीएम मोदी के जीत की हैट्रिक के बाद भी वाराणसी के स्थानीय भाजपा नेताओं व पदाधिकारीयों पर इस बात का दबाव और बढ़ जाता है कि उन्होंने अपने निर्धारित क्षेत्र में जनता से किस प्रकार का संपर्क साधा है.


पीएम मोदी ने पहले ही किया था आगाह

वोटिंग के कुछ ही हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के भाजपा नेताओं से बैठक के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा था कि हमें अच्छी तरह पता है कि काशी वालों का आशीर्वाद हमें जरूर मिलेगा लेकिन हमें अति आत्मविश्वासी होने से बचना है. अपनी योजनाओं और कार्यों को लेकर जन-जन तक पहुंचने के लिए तत्पर रहना है.


ट्वीट से पीएम का आभार

2024 लोकसभा चुनाव में वाराणसी की लोकसभा सीट पर जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशीवालों का आभार जताया और कहा कि बाबा काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशी के सम्मानित मतदाताओं ने लगातार तीसरी बार मुझे अपना सांसद चुना है. यह काशी के लाखों मतदाताओं के विश्वास की विजय है. मेरी काशी के परिवार के हर सदस्य को इस जीत के लिए हृदय से आभार. मेरा विश्वास है कि काशी की विकास यात्रा भविष्य में और तेज गति से आगे बढ़ेगी. इसके अलावा उन्होंने काशी के पारंपरिक उद्घोष ओम नमः पार्वती पतये, हर हर महादेव को भी ट्वीट किया है.


पटेल व भूमिहारों का नहीं मिला समर्थन

बीजेपी हाईकमान के निर्देश पर बूथवार समीक्षा शुरू हो गई है। पार्टी के जनप्रतिनिधि, पूर्व जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों से बूथवार पड़े मतों की जानकारी मांगी जा रही है। यह आवाज भी उठी है कि जनप्रतिनिधि और नेता खुद जिम्मेदारी लें या हाईकमान ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। मोदी की जीत की मार्जिन कम हाने से पार्टी में भितरघात के आरोप भी लगने लगे हैं। नतीजे ने बहुत कुछ साफ कर दिया है। नतीजे खुद बोल रहे हैं कि भाजपा ने जिन बिरादरी पर भरोसा कर गले लगाया था, उन्होंने बाजी पलटने में भूमिका निभाई। ऐसे में चुनाव परिणाम प्रभावित होने से भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर तीन लाख से ज्यादा मतों से कम होना आश्चर्य की बात नहीं है। जबकि पीएम मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय के मुकाबले को कांटे का बनाने में इस बार संसदीय सीट के पांचों विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने भागीदारी निभाई। शहर दक्षिणी के मतदाताओं ने अलग ही इतिहास लिखा। पांच विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ शहर दक्षिणी ही ऐसा, जहां पीएम मोदी एक लाख वोट का आंकड़ा पार नहीं कर पाए। जिस रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा, वही पाला बदलकर इंडिया गठबंधन के साथ खड़े नजर आए। अजय राय को मिले कुल वोटों का 40.74 प्रतिशत 72 साल के इतिहास में कांग्रेस का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत है। पिछले दस साल से बनारस के सांसद पीएम मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम को लें या गंगा घाटों को नया रूप देने के साथ नया नमो घाट बनवाने या फिर पक्का महाल (पुराना शहर) के मोहल्लों को स्मार्ट बनाने सहित अन्य काम हो, सबकुछ शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र के खाते में है। बावजूद इसके चुनाव परिणाम के आंकड़ें बताते हैं कि शहर दक्षिणी के मतदाताओं ने पीएम मोदी को एक लाख से कम यानी 97,878 वोट ही दिए। वहीं, इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अजय राय को इस विधानसभा में 81 हजार से ज्यादा मत मिले। पोस्टल बैलेट में भी अजय राय पीएम मोदी से कुछ ही वोट पीछे रहे। पीएम मोदी को 1531 तो अजय राय को 1373 वोट मिले। बनारस संसदीय सीट के सेवापुरी और रोहनिया विधानसभा में भूमिहार और पटेल मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में पिछले चुनाव में मिले भारी मतों ने पीएम मोदी की जीत की मार्जिन बढ़ाई थी। भाजपा ने भूमिहार मतदाताओं को साधने के लिए चुनाव से ठीक पहले एमएलसी सहित कई जिम्मेदारी सौंपी। काशी प्रांत का अघ्यक्ष भी बदल दिया। पूर्व विधायकों को भी महती जिम्मेदारी दी गयी। अपना दल (एस) के नेता पटेल मतदाताओं को साधते रहे। इससे लगा था कि ये दोनों इलाके पीएम मोदी का बेस बनेंगे, लेकिन ईवीएम खुली तो परिणाम आश्चर्यचकित करने वाला रहा। मतों के आंकड़ों से साफ है कि स्वजातीय बंधुओं के साथ ही पटेल बिरादरी भी अजय राय का साथ देने में पीछे नहीं रही।


प्रत्याशी           नरेंद्र मोदी            अजय राय            अतहरजमाल

शहर दक्षिणी        97878                    81732                    1032

शहर उत्तरी          131241                  101731                  4173

वाराणसी कैंट       145922                  87645                    3423

रोहनिया             127508                101225                  10527

सेवापुरी              108890                86751                    14491


मोदी की जीत में कैंट का बड़ा योगदान

पीएम मोदी के बनारस सीट से तीसरी बार डेढ़ लाख मतों के अंतर से जीतने में सबसे बड़ा योगदान कैंट विधानसभा के मतदाताओं का है। पांच विधानसभा क्षेत्रों में पीएम मोदी को सर्वाधिक करीब डेढ़ लाख के आसपास मत कैंट में ही मिले। दूसरे नंबर पर शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र है। यहां भी पीएम मोदी को वोट बरसे। पीएम मोदी के जीत के मतों का अंतर कम करने में शहर दक्षिणी के मुस्लिम मतदाताओं की प्रमुख भूमिका रही है, जो एकतरफा अजय राय के साथ रहे। बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी अतहर जमाल लारी की ओर मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव नहीं दिखा।

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