वाराणसी : काशी विश्वनाथ धाम से गंगा घाटों तक दिल्ली योग की आभा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 जून 2024

वाराणसी : काशी विश्वनाथ धाम से गंगा घाटों तक दिल्ली योग की आभा

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वाराणसी। नटराज की नगरी काशी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दुनिया को निरोग रहने का संदेश देगी। श्री काशी विश्वनाथ धाम से लगायत वाराणसी के गांवों और गांव से शहर तक 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। काशी के अर्द्धचन्द्राकार घाटों पर भी योग की आभा देखने को मिलेगी। योग दिवस पर बाबा के दरबार में जिला प्रशासन की ओर से मुख्य आयोजन किया जायेगा। यहां मुख्य अतिथि के रूप में योगी सरकार के काबीना मंत्री एके शर्मा मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर वाराणसी में एक लाख से अधिक लोग योग करेंगे। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम होगा। यहां प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा, जनप्रतिनिधि समेत सभी आलाधिकारी योग करेंगे। आदि योगी के आंगन में लगभग 1000 लोग योग करेंगे। इसके अलावा लगभग सभी घाटों समेत 50 स्थानों पर वॉलंटरी ऑर्गेनाइजेशन और एनजीओ मिलकर 25000 लोगों के साथ योग करेंगे। 694 ग्राम पंचायतों में 69400 लोग, 8 ब्लॉक में 4000 लोग, नगर निगम के करीब 100 पार्क में 20,000 लोग योग करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ऋषि मुनियों की प्रचीन विद्या योग को विश्व पटल पर लाया है। अब दसवे अंतरराष्ट्रीयय योग दिवस पर नरेंन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से 21 जून को योग की बड़ी तस्वीर दुनिया देखेगी। विश्वनाथ के आंगन में कार्यक्रम होगा तो इसका संदेश भी विश्व में जाएगा और लोग निरोगी काया के लिए योग को जीवन का अंग बनाएंगे।


दुनिया भर में आज योग जन-जन तक पहुंच रहा है। इसका पूरा श्रेय काशी को ही जाता है। काशी की धरती पर ही दुनिया के पहले योग गुरु महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना की थी। महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में 196 योग मुद्राएं शामिल हैं। महर्षि पतंजलि ने योग को 196 सूत्रों में बांटकर आमजन के लिए सहज बनाया। योग के जनक महर्षि पतंजलि को शेषनाग का अवतार कहा जाता है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि महर्षि पतंजलि ने योग शास्त्र और महाभाष्य की रचना की। अष्टाध्यायी के अलावा योग को जन-जन तक पहुंचाने का पूरा श्रेय उनको जाता है। वेद और पुराणों के अनुसार महर्षि पतंजलि से पहले भी योग का चलन था लेकिन महर्षि पतंजलि ने इसे धर्म और अंधविश्वास से बाहर निकालकर जनमानस के अनुसार 196 सूत्रों में बांटकर योगसूत्र रचा।  योग को ध्यान के साथ भी जोड़ा ताकि शरीर के साथ ही मन भी शक्तिशाली हो। 12वीं से 19वीं शताब्दी के बीच योग भारतीय जनमानस के बीच से लुप्त सा हो गया था। सात सौ सालों तक चलन से बाहर रहने के बाद 19वीं सदी में योग बड़ी तेजी से लौटा। इसका पूरा श्रेय स्वामी विवेकानंद को जाता है।

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