साल 2014 में पहली बार पदभार संभालने के बाद मोदी को पहली बार इस बार एक मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है। खासकर, उत्तर प्रदेश में भाजपा के खराब प्रदर्शन के कारण। लोकसभा में सबसे अधिक अस्सी सांसदों को भेजने वाले इस राज्य में सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को पीछे धकेल दिया है। लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा विधानसभा के भी चुनाव हुए थे जिसमें भाजपा ने भारी बहुमत हासिल किया। यह पहली बार है जब भाजपा वहां अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है। तेलंगाना में भी भाजपा सांसदों की संख्या दोगुनी हुई जबकि अब तक अछूते रहे केरल में उसने पहली बार अपना खाता खोला।भाजपा के नेताओं का कहना है कि ये उपलब्धियां प्रधानमंत्री मोदी की देशव्यापी अपील को रेखांकित करती हैं। अब जबकि मोदीजी ने तीसरे कार्यकाल के लिए कमान संभाल ली है, भाजपा को उम्मीद है कि वह अपने विरोधियों को फिर से गलत साबित करेंगे और सरकार में अपनी नीतियों और हिंदुत्व, विकास और ‘सब का साथ,सब का विकास’ के मूलमन्त्र के साथ राजनीति में नए विचारों के साथ पार्टी को मजबूत कर देश को आगे बढ़ाने का काम जारी रखेंगे।
जनादेश के सामने नतमस्तक होकर प्रधानमंत्रीजी ने कहा कि उनकी तीसरी पारी कुछ नई और बड़े फैसलों का गवाह बनेगी।ठीक है,बड़े फैसलों से ही बड़े लक्ष्यों को पाया जा सकता है।अगर ये बड़े फैसले घूम-फिर कर धर्म-कर्म अथवा मन्दिर-मस्जिद से जुड़े हुए रहे, तो याद रखने वाली बात है कि ऐसे फैसलों से जनता की भावनाओं को उद्वेलित कर उनके तात्कालिक फायदे हो सकते है, मगर कुल मिलकर कालान्तर में उन से देश और देश के बाहर बदमज़गी और कटुता का माहौल ही बनता है।फैज़ाबाद(अयोध्या) की सीट का हाथ से खिसक जाना इस बात का ज्वलंत उदाहरण है। सौमनस्यता से मेलजोल को बढ़ावा मिलता है और उससे सुखद वातावरण बनता है जबकि उग्रता तनाव को जन्म देती है। सौमनस्यता का दूसरा नाम ही ‘सब का साथ,सब का विकास’ है। असली विकास तो लोकहितकारी योजनाओं के कार्यान्वयन से ही होता है। इसी से बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार आदि पर रोक लगेगी। आशा की जानी चाहिए कि मोदीजी का तीसरा कार्यकाल देशवासियों के लिए सुख-समृद्धि और और सर्वांगीण विकास का सन्देश लेकर आएगा।
डा० शिबन कृष्ण रैणा
skraina123@gmail.com
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