- देर रात तक खंगाले गए रिकॉर्ड, एक हजार करोड़ से जुड़ा है मामला, झुनझुनवाला के कई करीबी भी लपेटे में आयेंगे
- 5 साल से फैक्ट्रियां बंद, कागजी कारोबार में करोड़ों का लेन-देन, सीबाआई भी मार चुकी छापा, इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया और मलेशिया तक फैला है कारोबार
बता दें, दीनानाथ झुनझुनवाला मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. लगभग पांच दशक पहले वाराणसी आकर नाटी इमली में उन्होंने अपना आवास बनवाया. कुछ महीनों तक वे बिस्कुट का कारोबार करते रहे और उसके बाद फेरी लगाकर कपड़े का कारोबार किया, साबुन भी बेचा. इसके बाद उन्होंने झूला ब्रांड डालडा नाम से वनस्पति तेल बनाने की शुरुआत की, जो कि यूपी और बिहार में काफी मशहूर है. उनका कारोबार भारत के बाहर इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलेशिया और श्रीलंका तक पहुंचा. दीनानाथ झुनझुनवाला (90), पत्नी किशोरी देवी (87) है। तीन बेटे में एक की मौत हो चुकी है। दो बेटे उनका कारोबार में हाथ बंटाते हैं। बीएचयू से स्नातक के बाद वह फेरी लगाने लगे। फिर, बिस्किट की फैक्ट्री खोली। 17 नवंबर 1989 को झुनझुनवाला ने वनस्पति लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई, जिसे जौनपुर के नाऊपुर में स्थापित किया। 1990 से कंपनी ने वनस्पति तेल बनाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में कारोबार चल पड़ा। 25 टन प्रतिदिन के उत्पादन से शुरुआत करने वाली कंपनी बाद में एक हजार टन प्रतिदिन उत्पादन करने लगी। 2008 में कंपनी ने अपना नाम जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया। जेवीएल एग्रो ने वनस्पति, रिफाइंड सोयाबीन और सरसों का तेल बनाया। दीनानाथ ने मुजफ्फरपुर स्थित अपने ससुराल पक्ष के लोगों से भी कारोबारी लाभ उठाया. ससुराली फर्म हनुमान प्रसाद बिहारी लाल से नजदीकी नाता रखते हुए उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि बैंकों से करोड़ों का लोन लेने के बाद बड़े बेटे सत्यनारायण ने मुजफ्फरपुर में भी करोड़ों का निवेश किया. करोड़ों के लोन की हेराफेरी और बैंकों को गलत स्टेटमेंट के कारण सरकारी महकमे मच्ं उच्च पद पर आसीन एक रिश्तेदार ने दीनानाथ से दूरी बना ली थी. दीनानाथ के अन्य भाइयों का परिवार और उनका कारोबार भागलपुर में फैला हुआ है.
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