डॉ अजय कुमार, डॉ संतोष कुमार और डॉ कीर्ति सौरभ सहित विशेषज्ञों के एक पैनल ने जलवायु परिवर्तन में नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों के महत्व को रेखांकित किया। आईएआरआई हब छात्र-वैज्ञानिक वार्तालाप सत्र ने कार्यक्रम को और ज्यादा रोचक बनाया, जिसमें टिकाऊ पर्यावरणीय तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का जिक्र किया गया। यह कार्यक्रम केवल विश्व पर्यावरण दिवस पर ही नहीं केंद्रित था, बल्कि विज्ञान और सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना और इसके सहयोगियों की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया। विदित हो कि संस्थान के राँची अवस्थित कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र तथा बक्सर और रामगढ़ अवस्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा भी यह कार्यक्रम उत्साहपूर्वक मनाया गया | कार्यक्रम में डॉ. रचना दूबे ने स्वागत भाषण दिया तथा डॉ. आरती कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया | कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. आशुतोष उपाध्याय, डॉ. अनिर्बन मुखर्जी, डॉ. अभिषेक कुमार, श्री संजय राजपूत, श्री उमेश कुमार मिश्र सहित अन्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही |
पटना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा “भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता” थीम पर दिनांक 05 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया | कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अमिता राज, वन प्रमंडल पदाधिकारी, सीतामढ़ी एवं शिवहर; डॉ. प्रकाश झा, सहायक प्रोफेसर, कृषि-जलवायु विज्ञान, मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका; ब्रह्मकुमारी से आए अतिथियों तथा संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास द्वारा में वृक्षारोपण से हुई । डॉ. अमिता राज ने भूमि पुनर्स्थापन और वनीकरण के महत्व पर बल दिया और पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न पहलों के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. प्रकाश झा ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और सूखे से निपटने की क्षमता से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला और आईएआरआई पटना हब के छात्रों को कृषि में उज्ज्वल भविष्य के बारे में बताया। ब्रह्मकुमारी से आए अतिथियों ने आध्यात्म को प्रकृति से जोड़कर पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया | इस कार्यक्रम के दौरान, संस्थान के निदेशक डॉ अनुप दास ने भूमि क्षरण तटस्थता के महत्व और सूखा-सहिष्णु फसल प्रजातियों को विकसित करने में संस्थान के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे प्रभावी सूखा न्यूनीकरण पद्धतियों पर भी विस्तार से बताया।
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