लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक इस बार के परिणाम साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे। मतलब साफ है केंद्र में एक बार फिर पूर्ण बहुमत से मोदी सरकार आ रही है। हालांकि, चुनाव परिणाम 4 जून को आएंगे, लेकिन जमीनी हकीकत यही है। यूपी में खुद मैने पूर्वांचल की सभी सीटों का सर्वे किया, जहां यह देखने को मिला मुस्लिम तबका तो पूरी तरह इंडी गठबंधन के साथ और बूथों पर दिखा भी, लेकिन इस एक्शन का रिएक्शन भी जमकर देखने को मिला। परिणाम यह है कि 80 में 70 सीटें एनडीए के खाते में जाती नजर आ रही है। चुनावी विश्लेषक राजनारायण सिंह का कहना है कि 2024 ही नहीं जब से मोदी युग का आरंभ हुआ है विपक्ष कुछ ज्यादा ही मुस्लिम परस्ती करता दिखाई दिया और ये उसी का परिणाम है और अब उसके लिए काल बन गया है। बता दें, सारे टीवी के एग्जिट पोल के मुताबिक, एनडीए को 371 से 401 सीटें मिल सकती हैं और इंडी गठबंधन के खाते में 109 से 139 सीटें आएंगी। यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 400 पार का नारा सच साबित होते हुए नजर आ रहा है। अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव 2014 और 2029 के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे
बीजेपी ने केरल और तमिलनाडु में बहुत अच्छा परफॉर्मेंस कर रही है. बीजेपी का दक्षिण विजय का सपना तो नहीं पूरा हो रहा है पर दरवाजा खुल गया है तो कुर्सी भी एक दिन मिल ही जाएगी. भारतीय जनता पार्टी का बहुत पुराना सपना साकार होता दिख रहा है. दक्षिण भारत में धमक के साथ बीजेपी अपना वोट परसेंटेज बढ़ाती दिख रही है. हालांकि दक्षिण भात के राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की बढ़त को लेकर हमेशा से ही संदेह होता रहा है. पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि विपक्ष ने एक मिथक पैदा किया है कि भाजपा दक्षिणी राज्यों में कोई ताकत नहीं है या वहां उसकी मौजूदगी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि 2019 के चुनाव में भी दक्षिण भारत में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ही थी. एक बार फिर, मैं यह कहता हूं इस बार दक्षिण में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा होगी तथा उसके सहयोगियों को और अधिक सीटें मिलेंगी. हम दक्षिण क्षेत्र में अपनी सीटों की संख्या और मत प्रतिशत में भी बड़ी वृद्धि देखेंगे. देखा जाएं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव के पहले से ही दक्षिण के राज्यों को विशेष महत्व दे रहे थे. मोदी ने 26 मई 2014 से 17 अप्रैल 2024 के बीच पांच दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु की 146 यात्राएं की हैं. इनमें से एक तिहाई से अअधिक यात्राएं पिछले तीन वर्षों में हुईं हैं. 2022 में दक्षिण के इन राज्यों में 13 यात्राएं की, जबकि 2023 में यात्राओं की संख्या 23 और 23 अप्रैल 2024 तक यात्राओं की संख्या 17 थी. एक रिपोर्ट बताती है कि पीएम मोदी की दक्षिण भारत की यात्राओं में केंद्र की भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल के 14 फीसदी के मु.काबले 18 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.
प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में दक्षिणी राज्यों में सबसे अधिक यात्राएं कर्नाटक में कीं. उसके बाद तमिलनाडु (39), केरल (25), तेलंगाना (22) और आंध्र (15) का स्थान रहा. मोदी की दक्षिणी राज्यों की 146 यात्राओं में 64 आधिकारिक और 56 गैर-आधिकारिक यात्राएं जिनमें चुनावी रैलियां और पार्टी समारोह आदी शामिल थीं. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ने दक्षिणी राज्यों की अपनी 146 यात्राओं के दौरान 356 कार्यक्रमों में भाग लिया. इनमें से अधिकतम 144 रैलियां जैसी थीं, जबकि 83 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास जैसे विकास संबंधी कार्यक्रम थे. -केरल में बड़े चेहरे उतारना फायदेमंद साबित हुआ। केरल पिछले दशक से ही बीजेपी के टार्गेट रहा है. आरएसएस के जितने कार्यकर्ताओं की केरल में हत्या हुई है देश में कहीं नहीं हुई हैं. केवल चुनाव के दौरान ही पीएम ने 6 बार रैलियां की हैं. इसके पहले भी लगातार वो केरल आए हैं. केरल में पिछले लोकसभा चुनावों में .13 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. पर एक भी सीट जीतने में सफलता नहीं मिली थी.आजतक एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के हिसाब से इस बार एनडीए को 27 परसेंट...वोट मिलता दिख रहा है. जिसमें बीजेपी को 21 प्रतिशत और बीजीडीएस 6 परसेंट वोट मिल रहा है. जहां तक सीटों का मामला है उसमें बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हो रहा है पर 2 से 3 सीटें मिलतीं जरूर दिख रही हैं. मतलब साफ है कि बीजेपी का बड़े नाम वाले चेहरने उतारने की रणनीति सफल हुई है.
हालांकि पीएम मोदी ने कहा था कि बीजेपी की सीटें दहाई आंकड़े को पार करेंगी. पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है पर उम्मीद की किरण तो पार्टी ने दिखा ही दी है.पार्टी ने यहां केंद्रीय ..मंत्री राजीव चंद्रशेखर, विदेश राज्य मंत्री वी मुरली धरण और अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी और कांग्रेस से बीजेपी में आए एके एंटनी के पुत्र एके एंटनी जैसे ताकतवर लोगों को टिकट दिया. ये सभी लोग कड़ी फाइट देते दिख रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अब तमिलनाडु में एक मजबूत पार्टी का रूप अख्तियार कर रही है. अगर आजतक एक्सिस माई इंडिया के सर्वे को सही..माने तो पार्टी का वोट परसेंट 3.6 परसेंट से बढ़कर 14 परसेंट के लेवल पर पहुंच रहा है.अगर एनडीए का ओवरऑल परसेंटेज देखें तो करीब 22 परसेंट वोट मिलता दिख रहा है. यह तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के दौरान 12 जगहों पर मोदी की रैलियों का कमाल नहीं है बल्कि इसके पीछे पार्टी की रणनीति का भी कमाल है. जाहिर है कि इसके लिए महत्वपूर्ण गेमप्लान भी तैयार किया गया .काशी में शुरू तमिल संगमम इसकी शुरूआत भर थी. नई पार्लियामेंट में सेंगुल की स्थापना इस प्लान.का दूसरा चरण था.इसके साथ ही राज्य में मजबूत होने के लिए पार्टी ने छह दलों से गठबंधन किया है. इनमें सबसे अहम पीएमके है. बीजेपी ने तमिल मनिला कांग्रेस और दिनाकरण की अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के साथ भी गठबंधन किया. खुद 39 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए खुद को बड़े भाई के रूप में रखा. पीएमके है.
बीजेपी ने तमिल मनिला कांग्रेस और दिनाकरण की अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के साथ भी गठबंधन किया. खुद 39 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए खुद को बड़े भाई के रूप में रखा. पीएमके को 10 सीट और एमएमके दो टिकट दिए गए. पीएमके का वन्नियार समुदाय करीब 6 फीसद आबादी पर व्यापक प्रभाव है और जो उत्तरी तमिलनाडु में अच्छा खासा प्रभाव रखती है. पूर्व आईपीएस अफसर अन्नामलाई के रूप में बीजेपी को एक अच्छा सेनापति मिलना भी काम कर गया. अन्नामलाई ने पिछ.कई सालों से लगातार तमिलनाडु की राजनीति को गर्म किए हुए हैं. उन्होंने राज्यभर में यात्राएं निकालीं, भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया.न्नामलाई को फ्रीहैंड देकर काम करने की रणनीति के चलते बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां पर बीजेपी को सबसे पहले सफलता मिली. बीजेपी यहां कई बार सरकार भी बना चुकी है. पिछली बार लोकसभा चुनावों.में अकेले चुनाव लड़ी थी और 28 में से 25 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी.पर विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद पार्टी ने रणनीति बदली और खुद 25 सीटों पर.लड़कर और तीन सीटें पूर्व पीएम देवेगौड़ा की पार्टी को देकर गठबंधन किया. इसके साथ ही पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री येदुयुरप्पा के बेटे को प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर लिंगायतों को यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी में उनका सम्मान पहले की तरह ही है। आजतक माई एक्सिस इँडिया के एग्जिट पोल के अनुसार बीजेपी को 20 से22 सीट और सहयोगी पार्टी जेडीएस को 2 से 3 सीट मिलती दिख रही हैं. यानि पिछली बार के मुकाबले बीजेपी की सीटें कम नहीं हो रही हैं. हालांकि कांग्रेस.की सरकार बनने के बाद कई फ्री बीज वाली योजनाएं राज्य में बहुत लोकप्रिय हो रही थीं . इसलिए राजनीतिक विश्लेषकों को बीजेपी के लिए इतनी बड़ी उम्मीद नहीं दिख रही थी. इसके साथ ही प्रज्ज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल और एक लिंगयात धर्म गुरू का बीजेपी के खिलाफ प्रचार भी पार्टी के लिए नकारात्मक संदेश दे रहा था.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें