—डा० शिबन कृष्ण रैणा—
केंद्र में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनती दिख रही है और श्री नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है।वे देश के दूसरे ऐसे नेता बन जाएंगे, जिन्होंने लगातार तीसरी बार पीएम बनने का रिकॉर्ड बनाया है।अभी तक यह रिकॉर्ड पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम है। जनादेश के सामने नतमस्तक होकर प्रधानमंत्रीजी ने कहा कि उनकी तीसरी पारी कुछ नई और बड़े फैसलों का गवाह बनेगी।ठीक है,बड़े फैसलों से ही बड़े लक्ष्यों को पाया जा सकता है।अगर ये बड़े फैसले घूम-फिर कर धर्म-कर्म अथवा मन्दिर-मस्जिद से जुड़े हुए रहे, तो याद रखने वाली बात है कि ऐसे फैसलों से जनता की भावनाओं को उद्वेलित कर उनके तात्कालिक फायदे हो सकते है, मगर कुल मिलकर कालान्तर में उन से देश और देश के बाहर बदमज़गी और कटुता का माहौल ही बनता है।फैज़ाबाद(अयोध्या) की सीट का हाथ से खिसक जाना इस बात का ज्वलंत उदाहरण है। सौमनस्यता से मेलजोल को बढ़ावा मिलता है और उससे सुखद वातावरण बनता है जबकि उग्रता तनाव को जन्म देती है। सौमनस्यता का दूसरा नाम ‘सब का साथ,सब का विकास’ ही तो है। असली विकास तो लोकहितकारी योजनाओं के कार्यान्वयन से ही होता है। इसी से बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार आदि पर रोक लगेगी।
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