पवन कुमार ( Director postal services, headquarter patna) ने अपने संबोधन में भारतीय डाक की वर्तमान स्थिति और उसकी प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय डाक कैसे ग्राहकों की बदलती मांगों के अनुसार अपने आप को ढाल रहा है और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके अपनी सेवाओं को बेहतर बना रहा है। उन्होंने बीमा सेवाओं, आधार कार्ड का उपयोग करके लेन-देन की सुविधा, और गंगा जल को विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने जैसी सेवाओं का विस्तार से वर्णन किया।श्रीमती उषा झा (president of bihar Mahila Udyog Sangh) ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत यात्रा साझा की और बताया कि कैसे उन्होंने एक सरकारी स्कूल की छात्रा से लेकर बिहार महिला उद्यम संघ की अध्यक्ष बनने तक का सफर तय किया। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाएं किसी भी कार्य को कर सकती हैं, वे पूरी तरह से कुशल हैं, और यदि उन्हें उचित समर्थन और प्रेरणा मिलती है, तो वे असाधारण सफलता प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने सामाजिक जुड़ाव और नेटवर्किंग के महत्व पर भी जोर दिया।श्री अनिल कुमार (Chief Post Master General of Bihar Circle) ने भारतीय डाक के विशाल नेटवर्क और उसके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश भर में भारतीय डाक के 1,75,000 से अधिक केंद्र हैं जो उद्यमियों को पैकेजिंग से लेकर निर्यात तक हर प्रकार की सहायता प्रदान करते हैं। उन्होंने मिथिला की पावन भूमि का उल्लेख किया और बताया कि यह भूमि संस्कृत और दर्शन का केंद्र रही है। उन्होंने महिला उद्यमियों के लिए विभिन्न नौकरी के अवसरों जैसे वित्तीय सलाहकार, वित्तीय परामर्शदाता आदि के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय डाक की फ्रेंचाइजी लेना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। साथ ही, उन्होंने बताया कि बिहार में प्रतिदिन भारतीय डाक के 300 से अधिक वाहन चलते हैं, जिन पर उत्पादों का विज्ञापन किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय डाक स्थानीय उद्यमियों की मदद कर रहा है, जैसे कि मखाना और अन्य वस्तुओं को विदेशों में भेजने में।इस संगोष्ठी में भारतीय डाक के कई अधिकारी और महिला उद्यमियों ने भाग लिया। दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्राचार्य ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और स्टार्टअप विचारों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आज की महिलाएं कैसे सफल उद्यमी बन सकती हैं और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अन्य प्रमुख उपस्थित लोगों में प्रोफेसर पी.के. चौधरी, प्रोफेसर नवनीत कुमार, श्रीमती साधना झा, सहायक प्रोफेसर अंकित कुमार, विनायक झा, रवि कुमार, डॉ. तारिक राशिद और कॉलेज के कई छात्र शामिल थे।
इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रेरित करना और उन्हें भारतीय डाक के माध्यम से अपने उत्पादों को व्यापक रूप से वितरित करने के साधन प्रदान करना था। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयास में यह संगोष्ठी एक महत्वपूर्ण कदम थी, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों और अनुभवी व्यक्तियों ने अपने विचार और अनुभव साझा किए। संगोष्ठी ने यह भी प्रदर्शित किया कि कैसे भारतीय डाक ने अपने पारंपरिक कार्यों से आगे बढ़कर नई सेवाएं और सुविधाएं प्रदान की हैं जो उद्यमियों के लिए बेहद लाभदायक हो सकती हैं।श्री अनिल कुमार ने अपने संबोधन में मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर पर भी प्रकाश डाला और बताया कि यह भूमि न केवल शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उद्यमिता के लिए भी अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे भारतीय डाक स्थानीय उत्पादों जैसे मखाना, मधुबनी पेंटिंग्स और अन्य वस्त्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने में मदद कर रहा है। संगोष्ठी का समापन सभी उपस्थित लोगों के बीच प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें उद्यमियों और छात्रों ने भारतीय डाक की सेवाओं और उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं के बारे में अपने सवाल पूछे और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कुल मिलाकर, यह संगोष्ठी महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ाने और भारतीय डाक की सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने में सफल रही।
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