सोचा ना था कभी,
हम भी अपना सपना,
पूरा कर पाएंगी कभी,
मगर जब पता चला,
पढ़ाई का मतलब,
हम भी पढ़ने बैठ गए तब,
अपने सपनों के रास्ते खुद बनाने लगे,
जब दुनिया ने छोडा साथ,
तब पढ़ाई ने बढ़ाया हाथ,
टूट गई थी हिम्मत कुछ करने की,
पर रुकी नहीं थी कुछ करने की आस
दुनिया के सामने अपनी बात रख सके,
बस इतना ही हौसला चाहिए था,
सोचा ना था कोई इस कदर भी साथ देगा,
हमें आगे बढ़ाने में आगे होगा।।
मीनाक्षी दानू
कक्षा-12
कन्यालीकोट, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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