बस की तेरे सब कुछ है,
तू क्यों नहीं कुछ करती है?
जानते हुए भी क्यों अनजान बनती है?
मन में तेरे बहुत सारे सपने हैं,
कब तक दबा कर रखेगी इन्हें?
ये दुनिया है बस चलती रहेगी,
तू अपना रास्ता बनाती रहना,
कुछ बड़ा करके दिखाना है,
विफल होने पर भी तुझे नहीं घबराना है,
बस अपने लगन और हौसले से,
ज़माने को सफल होकर दिखाना है॥
दिव्या धपोला
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
चरखा फ़ीचर
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