2018 में उमरी देवी वागधारा संस्था द्वारा गठित महिला सक्षम समूह में शामिल हुईं | यह समूह सामुदायिक विकास, सशक्तिकरण और महिलाओ कि निर्णय प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु गठित किया गया है, सक्षम समूह से जुड़ने और तरहतरह के प्रशिक्षण से नवाचार अपनाने पर चीजें बेहतर होने लगीं। । वागधारा के सच्ची खेती कार्यक्रम के तहत उमरी देवी को सरकारी कृषि योजना, मिट्टी स्वास्थ्य में सुधार सहित पौधे उगाने, देसी खाद , और जैव कीट नियंत्रक बनाने और उपयोग में प्रशिक्षण और सुविधा प्राप्त हुई। उन्होंने रबी फसलों के लिए जैविक एकीकृत कीट प्रबंधन और वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद का उपयोग कैसे करना इसका भी प्रशिक्षण प्राप्त किया I इसके अलावा वागधारा के सामुदायिक सहजकर्ता ने उन्हें सरकार की सूक्ष्म लिफ्ट सिंचाई प्रणाली योजना से लाभान्वित करवाया, इस नवाचार ने उन्हें पूरे साल रबी और जायद के मौसम में फसलें उगाने की सुविधा मिली | संस्था के सहयोग से उमरी देवी को 4 किलो मुंग आजीविका सृजित करने और पोषण सुधार के लिए दिए गये, उमरी देवी ने एक बीघा जमीन में मुंग की खेती की जिससे एक क्वींटल मुंग का उत्पादन हुआ और वह मुंग बाजार में बेचकर लगभग 8 हजार कि आमदनी अर्जित कि। समूह की तरफ से खरीफ़ मौसम के लिए सब्जी किट मिला जिसमें बैंगन, टमाटर, लौकी, मिर्ची, धनिया, पालक, मैथी आदि सब्जियों के बीज से उमरी देवी ने अपने घर के पास जमीन पर पोषण वाटिका तैयार की और साल भर के लिए घर कि सब्जियों का उपयोग कर सब्जियों के लिए बाजारी निर्भरता को ख़त्म किया, जिससे उसको 15 से 18 हजार रूपये की बचत हुई | उमरी देवी की सफलता की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। सक्षम समूह कि मासिक बैठक में उचित बकरी प्रबंधन के गुर सिखाये गये जिससे बकरी पालन से उनके परिवार की आजीविका में एक और आय का स्रोत जुड़ गया | इसका परिणाम उल्लेखनीय हैं, 2023 में उमरी देवी ने केवल कृषि और बकरी पालन के माध्यम से 1.26 लाख रुपये कमाएं और अपने पांच बीघा जमीन पर योजना का लाभ लेते हुये तारबंदी करवाई । अब उनके परिवार के सदस्यों को पलायन करने की आवश्यकता नहीं है, उमरी देवी के पास फ़िलहाल 17 बकरिया है और बकरियों कि आमदनी से उन्होंने अनाज पिसाई की चक्की खरीदी है । उनके सपने अपनी कमाई को बेहतर कृषि प्रथाओं को अपनाना, अपने पोते की शिक्षा और एक स्थायी पक्का घर में निवेश करने पर केंद्रित हैं। उमरी देवी समुदाय में अपने जैसा बनने हेतु सभी को प्रेरित करती है, और वाग्धारा का धन्यवाद देने के साथ ज्यादा से ज्यादा वंचित महिलाओं को जोड़ने का कार्य निरंतर करती रहती है |
उमरी देवी उम्र 60 वर्ष, जो भील आदिवासी समुदाय से आती है। ये समुदाय, जो अधिकतर राजस्थान के दक्षिण में बहुल्य भौगोलिक क्षेत्र में निवासरत हैं, अक्सर दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और सीमित भूमि के साथ, गरीबी से बाहर निकलने में चुनौतियों का सामना करते हैं। यहाँ की खेती पारिस्थितिकीय रूप से वर्षा आधारित है जिसमें किसान के हाथ में सिर्फ उनकी मेहनत ही होती है इसके आलावा सब प्रकृति पर निर्भर होता है | यहाँ अधिकांश लघु सीमांत किसान है और यह किसान बहुत कम रबी की फसल कर पाते है, क्यूंकि भौगोलिक स्थिति, सिंचाई के संसाधन और पानी की उपलब्धता बहुत सिमित है | इसी के चलते पलायन यहाँ के समुदाय की जीवनशैली का हिस्सा बन गया है, जो गरीबी से अपरिवर्तनीय रूप से बाहर निकलने के प्रयासों को बाधित करते हैं। उमरी देवी इसी क्षेत्र में, राजस्थान के डूंगरपुर जिले की साबला तहसील के लेम्बाता गांव में रहती हैं। उनके सात सदस्यों के परिवार को इसी वजह से कठिन आर्थिक संघर्ष करना पड़ता था। 2017 तक उनकी पांच बीघा जमीन पर खेती केवल खरीफ के मौसम में परिवार के जीवन निर्वाह के लिए भी पर्याप्त नहीं थी, गुजारा करने के लिए रबी या सर्दी के मौसम में उनके पति और लड़का मजदूरी के लिए गुजरात पलायन करने के लिए मजबूर थे। यह अनिश्चित पलायन चक्र बहुत कम स्थिरता प्रदान करता था।
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