अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने बलात्कार,अपहरण और पाक्सो पीड़िता बच्ची को दिलाया न्याय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने बलात्कार,अपहरण और पाक्सो पीड़िता बच्ची को दिलाया न्याय

Rapist-in-jail
नई दिल्ली। जाको राखे साइयां मार सके ना कोय...जी हां, एक ऐसा ही मामला राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सामने आया है। जहां दिल्ली के अंदर बच्ची के साथ उसी के स्कूल में पढ़े एक अपराधी किस्म के लडके गौतम ने पहले तो जबरन 20 वर्षीय अमाया (बदला हुआ नाम) के साथ अपहरण करके जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए और फिर बाद में जब समाज में बात फैली तो उसके केस और सजा से बचने के लिए आर्य समाज  मंदिर में शादी भी की।  लेकिन उस युवक गौतम के परिजनों ने अमाया को स्वीकार नहीं किया।।जिसके बाद अपराधी किस्म का लड़का गौतम उससे छुटकारा पाना चाहता था। इसी बात को लेकर उसने एक चाल चली और वह लगातार अमाया(बदला हुआ नाम) को कर परेशान करने लगा। चूँकि गौतम से मिलने के लिए उसके पिता ने मना कर दिया था। लेकिन गौतम के सिर पर जुनून सवार था अमाया से अपना पीछा छुड़ाने के लिए। इसी को लेकर  उसने बीते दिनांक 16 मई 2024 शाम तकरीबन 7:00 उसके घर के नीचे स्कूटी खड़ी कर उसे जबरन बुलाया और अपनी स्कूटी पर बैठाया और धमकाकर  पार्क में बात करने की बोलकर होटल के एक कमरे में ले गया। जहां उसके साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गई उसके साथ जबरन संबंध बनायें और पीड़ित  को तकरीबन रात 3 बजे दिनांक 17/ मई 2024 को पश्चिम विहार  ईस्ट के पास एक सुनसान पार्क में ले जाकर लड़की साथ जंघन्य तरीके से मारपीट की गई उसने हद पार करते हुए एक पत्थर से लड़की के चेहरे पर गहरी चोट मारकर कुचला और गर्दन पर चाकुओं से वार किए  इसके बाद उसे मृत जानकर उसी  हालत में जिन्दा लडकी को लाश  समझ कर उसी पार्क में फेंक फरार हो गया।  लेकिन जाको राखे साइयां मार सके ना कोई  अमाया में अब भी सांसे बची थी  जब अमाया कुछ होश में आई तो अमाया ने किसी तरह से किसी की मदत से अपने घर पर फोन किया और अपने हालात की जानकारी दी आनंद फानन में उसके पिता राजेश्वर ( बदला हुआ नाम) वह और परिजन आए और उसकी हालत देखते हुए उसे दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जहां उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण अमाया को एम्स हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया गया।  जिसके बाद ट्रामा सेंटर में उसको गंभीर हालत  से बाहर आने तक इलाज चला। कुछ दिन जब अमान्य बात करने की स्थिति में हुई तो 20 मई 2024 को परिजनों के साथ आकर अपने साथ हुई घटना के शिकायत दी।


इस घटना के इतने दिन बीत जाने की वजह से आरोपी ने इसका फायदा उठाया और कोर्ट में अग्रिम जमानत दायर कर दी। पुलिस से मिलकर उसने कोर्ट को गुमराह करके उसका फायदा उठाकर लगातार वह कानूनी प्रक्रिया से बचता रहा वही कोर्ट में उन दिनों हड़ताल चल रही थी जिसके कारण अग्रिम जमानत भी बरकार रही इसका भी फायदा आरोपी को मिलता रहा। जिसकी वजह से अमाया अपने प्रति हुए कृत्य और उसके दोषी गौतम के लिए कानून संवत सजा के लिए  लगातार प्रयास करती रही। इसी कड़ी में अमाया ने कोर्ट में अधिवक्ता आशुतोष पांडेय  को अपनी बात रखने के लिए नियुक्त किया।  इसके बाद अधिवक्ता आशुतोष पांडेय  ने तथ्यों को जुटाते सेशन कोर्ट की जज शेफाली बरनाला टंडन को सारे फैक्ट्स से अवगत कराया काफी समय से पुलिस से सेटिंग करके अग्रिम जमानत पर बरकरार रह रहे आरोपी गौतम की जमानत को माननीय सेशन कोर्ट ने अधिवक्ता आशुतोष पांडेय के द्वारा  समक्ष रखे तथ्यों को देखते हुए दिनांक 24/07/2024 को खारिज कर दिया। ताकि पीड़िता को इंसाफ की राह साफ हो सके अब पुलिस के सामने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाना पुलिस प्रक्रिया और जाँच अधिकारी पर सवाल खड़ा करता है क्योंकि जमानत ख़ारिज हो चुकी है और संघये अपराध होने के नाते जाँच अधिकारी आरोपी को गिरफतार नहीं कर रहा है। ऐसे में अब पुलिस का रवैया जब कोर्ट के आदेश के खिलाफ है तब पीड़ित अमाया  को शायद अब इंसाफ मिल पाए।

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