प्रियंका और हर्षिल सालोट द्वारा 2019 में स्थापित, टीएससी दुनिया की पहली और एकमात्र स्मार्टग्रिड टेक्नोलॉजी प्रदान करने वाली कंपनी है, जो सोने और बैठने के सॉल्यूशंस में बड़ा बदलाव ला रही है। देश के एक सबसे तेजी से बढ़ते ब्रांड के रूप में, यह मैट्रेस इंडस्ट्री में डी2सी के साथ-साथ ओम्नीचैनल कारोबार को नये सिरे से गढ़ने में सबसे आगे है। कंपनी गद्दे, सोफे, तकिए, कुशन, बिस्तर, ऑफिस चेयर, स्मार्ट रिक्लाइनर बेड आदि सहित कई प्रोडक्ट्स की बिक्री करती है। कंपनी का परिचालन राजस्व वित्त वर्ष 2023 में 127.14 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। ये वित्त वर्ष 2020 के 74.05 लाख रुपये से बहुत ज्यादा है। द स्लीप कंपनी अगले 2-3 वर्षों में 1000 करोड़ रुपये के रेवेन्यू के आंकड़े तक पहुंचने के लिए मजबूत स्थिति में है। यह स्मार्ट लक्ष्य कंपनी नेतृत्व का रणनीतिक नजरिया है। इस लक्ष्य को पूरे भारत में विस्तार की योजना के साथ एक व्यापक विकास रणनीति के जरिए हासिल किया जाएगा। कंपनी बाजार में अपनी स्थिति और उपस्थिति को मजबूत करने के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाएगी। वर्तमान में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1000 के आसपास है। 2024 के अंत तक ये संख्या 1300-1400 तक पहुंचने की उम्मीद है।
द स्लीप कंपनी की को-फाउंडर प्रियंका सालोट ने कहा, "यह तेज़ विकास और विस्तार, बेहतर उत्पादों के पोर्टफोलियो, सभी चैनलों पर कंपनी के विस्तार और ग्राहक संतुष्टि के लिए कंपनी की अटूट प्रतिबद्धता को दिखाता है। नवाचार हमारी विकास रणनीति का मूलमंत्र बना हुआ है और हमारी पेटेंटेड स्मार्टग्रिड तकनीक ही हमें प्रतिस्पर्धा में आगे रखती है और इंडस्ट्री में अलग पहचान दिलाती है। अब हम 'हाउस ऑफ़ ब्रांड्स' के रूप में अपनी पहचान को आगे बढ़ाने और इंडस्ट्री में नए मानक स्थापित करते हुए अपनी प्रोडक्ट रेंज का विस्तार करने की सोच रहे हैं। हमारे भविष्य के उत्पादों में एआई को शामिल कर हम ग्राहकों को और बेहतर अनुभव देंगे। हम इस विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए अपने लोगों, ग्राहकों और निवेशकों के बेहद आभारी हैं और अपने स्लीप एवं सिटिंग सॉल्यूशंस की मदद से लोगों के जीवन को और बेहतर बनाने का काम करते रहेंगे।"
द स्लीप कंपनी के को-फाउंडर हर्षिल सालोट ने कहा, "जब हमने 2019 में टीएससी लॉन्च किया था, तब मैट्रेस इंडस्ट्री काफी ज्यादा बिखरी हुई और असंगठित थी, जिसमें वितरकों और डीलरों का वर्चस्व था। हमारा मानना है कि हमारी सभी चैनलों पर उपस्थिति ने इस क्षेत्र में बदलाव किया है। उपभोक्ताओं के व्यवहार का विश्लेषण करने के बाद, हमने एक नया शब्द 'ROPO' गढ़ा है जिसका मतलब है 'रिसर्च ऑनलाइन परचेज़ ऑफलाइन’ यानी ऑनलाइन रिसर्च करें और ऑफ़लाइन खरीदें'। इसमें उपभोक्ता हमारे उत्पादों के बारे में ऑनलाइन रिसर्च करते हैं और फिर स्टोर में प्रोडक्ट की खरीदारी करते हैं। हमारे COCO स्टोर हमें बाज़ार में अलग पहचान दिलाते हैं क्योंकि यह हमें अपने ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान करने, बिना किसी परेशानी के डिलीवरी करने और उनके सवालों और चुनौतियों का सीधे समाधान करने में मदद करते हैं। हम भारत में 100 स्टोर्स होने की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि तक पहुंचने के लिए बेहद उत्साहित हैं। और हम चाहते हैं कि हमारे उत्पाद और सेवाएं ज़्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचें और यह प्रोडक्ट्स लोगों को ज़्यादा आराम से और ज़्यादा काम करने में मदद करें।’’
कंपनी की दो फैक्ट्रियां हैं जिनमें से एक मुंबई और दूसरी बेंगलुरु में है। दिसंबर 2022 से, कंपनी ने हर 4-5 दिनों में एक स्टोर खोला है, और टीएससी के सभी स्टोर अपना कामकाज शुरू करने के बाद से ही एबिटा के लिहाज से मुनाफे में रहे हैं। कंपनी अपनी बिक्री का 85 फीसदी हिस्सा अपने ओम्नी-चैनल कारोबार से हासिल करती है, जिसमें खुदरा स्टोर और वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन खरीदारी शामिल है। कंपनी के पास भारत में ऑफिस चेयर्स की सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी है। कंपनी ने अपनी चेयर कैटेगरी की शुरुआत के बाद से 10 गुना की बढ़ोतरी देखी है। कंपनी को हाल ही में लॉन्च हुए अपने चेयर ब्रांड, ‘एर्गोस्मार्ट बाय द स्लीप कंपनी’ के साथ अगले 24 महीनों में बाजार हिस्सेदारी को दोगुना करने की उम्मीद है। टीएससी ने अब तक दिसंबर 2023 में प्रेमजी इन्वेस्ट और फायरसाइड वेंचर्स से सीरीज सी फंडिंग राउंड में 184 करोड़ रुपये, प्रेमजी इन्वेस्ट, फायरसाइड वेंचर्स और एल्टेरिया कैपिटल के नेतृत्व में सीरीज बी फंडिंग राउंड में 177 करोड़ रुपये और प्री-सीरीज ए फंडिंग राउंड में 13.4 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
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