नारायण साकार हरि भी रामवृक्ष यादव जैसा माफिया है। बाबागिरी की आड़ में प्रवचन के नाम पर भोलेभाले लोगों से धन बटोरना व रामवृक्ष यादव की तर्ज पर चचा-भेतीजे से ताल मेल बनाकर निरीह लोगों की जबरन भूमि कब्जा करना मुख्य पेशा है। इसकी दरिंदगी का आलम यह है कि इसके उपर बलातकार जैसा संगीन मुकदमा भी दर्ज है। ताजा मामला हाथरस का है, जहां उसके सेवादाररुपी गुंडों की धक्कामुक्की से न सिर्फ भगदड़ मच गयी, बल्कि 121 अनुयायी अपनी जान इसलिए गवा बैठे कि उसके रज की मिट्टी माथे पर लगा लेंगे तो उसके सारे दुख व पाप कट जायेंगे और धन की आमद होगी। दरअसल, बाबा ने भक्तों में नेरेटिव फैला रखी है कि बाबा के जाने के बाद भक्त यदि सम्मान के प्रतीक के रूप में माथे पर ‘मिट्टी’ लगाते हैं, जहां से बाबा का वाहन गुजरता है, तो उनकी मनचाहा मुरादें पूरी होंगी। इतना ही उसके आश्रम में कई हैंडपंप लगे है, जिसमें दावा किया जाता है कि यदि इसका पानी पीने से कैंसर सहित सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। सेवादारों के मुताबिक बाबा आघा ईश्वर व आधा डाक्टर है। वो भगवान विष्णु के अवतार है। इसी के घनचक्कर में लाखों की संख्या में पहुंचे उसके अनुयायियों में से कुछ उसके रास्ते में पहुंचकर मिट्टी माथे पर लगाना चाहते थे, लेकिन सेवादारों ने उन पर लात-घुसों से हमला कर दिया, जिससे भगदड़ मच गयी। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है ऐसे ढोंगी बाबाओं का संजाल देश से कब खत्म होगा? राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त नारायण साकार हरि की दबंगई का आलम यह है सैकड़ों लोगों की जान के आरोपी को जेल में डालने के बजाय पुलिस अभी तक मुकदमा ही दर्ज नहीं किया हैं। ’बाबा की बदनामी ना हो..’ इसके लिए बाबा के स्पेशल सेवादाररुपी गुंडे भगदड़ के बाद मृतकों व घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय सबूत मिटाने के चक्कर में घटनास्थल से उनके जूते-चप्पल छिपाने में जुटे रहे। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है चमत्कार के दावे में फंसाने वाला बाबा को जमीन खा गयी या आसमां? आखिर वो क्यों भागा-भागा फिर रहा है
कथित संत नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा हो या फिर रामपाल और आसाराम, इनकी वाकपटुता की वजह से भोले-भाले लोग आसानी से उनकी बातों में आ जाते हैं. उनके अंदर बात बनाने की वो कला होती है, जो लोगों को सम्मोहित कर लेती है. लोगों को उनकी बातें सही लगने लगती हैं. अपनी बातों में फंसाकर ये ढोंगी लोगों को बरगलाते हैं. तरह-तरह के बहाने बनाकबनाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं. लोगों को ठगी का एहसास बहुत देर से होता है. ढोंगी बाबाओं के केस में अक्सर देखा गया है कि ये आकर्षक आवरण में होते हैं. उदाहरण के लिए इच्छाधारी बाबा, राधे मां, नित्यनंद और निर्मल बाबा के कपड़ों और रहन-सहन पर गौर कीजिए. ये सामान्य से हटकर परिधान पहनते हैं. इनके बैठने के आसन, कपड़ों का स्टाइल, बैठने का तरीका, मंच की साज-सज्जा अनोखी होती है, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. भोले बाबा भी अपने सत्संगों में कोट-पैंट पहनकर और टाई लगाकर जाया करते हैं. ढोंगी बाबाओं को लोगों और धर्म की कमजोरियों को फायदा उठाने की कला बखूबी आती है. उन्हें पता होता है कि लोगों की कमजोरियां क्या हैं. वे उसे धर्म से जोड़ देते हैं. लोगों को भनक भी नहीं लगती कि आस्था के नाम पर उनके साथ खेल हो रहा है. ऐसे फर्जी संतों के निशाने पर ज्यादातर गरीब औरअनपढ़ लोग होते हैं. कुछ अमीर अपने काले धन को सफेद करने के लिए भी उनकी शरण में जाते हैं. इस तरह ऐसे बाबाओं का धंधा चलता रहता है. अनपढ़ लोग होते हैं. कुछ अमीर अपने काले धन को सफेद करने के लिए भी उनकी शरण में जाते हैं. इस तरह ऐसे बाबाओं का धंधा चलता रहता है. ब्रैंडिंग और मार्केटिंग ढोंगी बाबाओं का सबसे बड़ा औजार होता है. टीवी, अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से ये लोग खुद का प्रचार कराते हैं. खुद को भगवान का अवतार बताते हुए, लोगों की सभी परेशानियां दूर करने का दावा करते हैं. अपने दुख में उलझी जनता इनके झांसे में आसानी से आ जाती है. उनकी ट्रिक की वजह से लोग इनको भगवान मानने लगते हैं. आजकल कई बाबा सोशल मीडिया पर लोगों के दुख दूर करने का दावा करते दिख जाएंगे.
एसडीएम ने डीएम को सौंपी जांच रिपोर्ट
सत्संग में भगदड़ को लेकर एसडीएम सिकंदराराऊ में जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजी है। इसमें बाबा के ब्लैक कमांडो और सेवादारों की धक्कामुक्की के कारण भगदड़ होना बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्संग के पंडाल में दो लाख से अधिक की भीड़ थी। श्री नारायण साकार हरि (भोले बाबा) लगभग दोपहर 12.30 बजे पांडाल में पहुंचे तथा एक घंटे तक कार्यक्रम चला। लगभग 1.40 बजे बाबा का काफिला पंडाल से निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग-91 (जीटी रोड) पर एटा की ओर जाने के लिए बढ़ रहा था। जिस रास्ते से भोले बाबा निकल रहे थे उस रास्ते की और सत्संगी महिला पुरुष दर्शन व चरण स्पर्श एवं आशीर्वाद के लिए चरण रज को माथे पर लगाने लगे। जीटी रोड के के किनारे एवं बीच में बने डिवाइडर पर काफी अधिक संख्या में दर्शन के लिए पहले से लोग खड़े थे। यह लोग डिवाइडर से कूद-कूद कर बाबा के दर्शनार्थ वाहन की और दौड़ने लगे। बाबा के साथ उनके निजी सुरक्षाकर्मी (ब्लैक कमाडों) एवं सेवादारों द्वारा बाबा के पास जाने से रोकने को स्वयं ही धक्का−मुक्की शुरू कर दी गई। जिससे कुछ लोग नीचे गिर गए। तब भी भीड़ नहीं मानी और अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। राहत की सांस लेने के कार्यक्रम स्थल के सामने सड़क की दूसरी ओर खुले खेत की तरफ लोग भागे। जहां सड़क से खेत की ओर उतरने के दौरान अधिकांश लोग फिसल कर गिर गए। इसके बाद पुनः उठ नहीं सके। भीड़ उनके ऊपर से होकर इधर-उधर भागने लगी। जिसमें कई महिलाएं, पुरुष व बच्चे घायल हो गए। रिपोर्ट के अनुसार एसडीएम ने स्वयं और पुलिस सुरक्षा कर्मियों द्वारा हताहत लोगों को एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया गया। इनमें से 121 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई।
आगरा से शुरू किया था भोले बाबा ने प्रवचन
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह 15 साल पहले आगरा के शाहगंज केदार नगर में रहते थे। दो कमरों के इस मकान में बाबा ने अपने प्रवचन शुरू किए थे। इसके बाद उनका कारवां इतना बढ़ गया कि बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तक उनके दरबार में हाजिरी लगाने लग गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि उनके घर के सामने लगे हैंडपंप से वह बीमारों को इलाज करने का दावा करता था। भोले बाबा ने आगरा की कोठी मीनाबाजार मैदान में सत्संग का आयोजन किया था। तब मैदान में पानी भर गया था। महिलाओं ने अपनी साड़ियों के पल्लुओं से मैदान का पानी सुखाया था। इस काम के लिए करीब 20 हजार महिलाएं लगी थीं।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें