गौरतलब है कि यह सम्मान लालगंज ग्राम निवासी शब्द प्रदीपकार हेमपति झा, प्रसिद्ध विकल झा के सुपुत्र कर्णिका, मधुवीथी, वेदना, सुधावाल्ली आदि कव्यग्रंथ के कृति रचनाकार, विभिन्न मांगलिक अवसर और गीतहारि महिलाओं के कंठ से स्वतःस्फूर्त व्यावहारिक गीतों के ‘बालकवि’, जे.वी.एम्. संस्कृत कॉलेज, मुम्बईक पूर्व प्रधानाचार्य, व्याख्यान वाचस्पति, वैयाकरण पंडित श्यामानंद झा (२७ जुलाई १९०६- ३० अगस्त १९४९ ई.) के स्मृतिमे उनके जन्मदिन के पावन अवसर पर दिया जाता है | इस सम्मान के अन्तर्गत अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र और 21 सौ रुपये दिए जाते हैं । वर्ष 2023 में सर्वाधिक पुस्तक पढ़ने हेतु इस वर्ष यह सम्मान राजे गंगौली ग्राम निवासी रितेश कुमार झा जी को दिया गया । रितेश कुमार झा सी एम आर्टस महाविद्यालय से स्नातक वाणिज्य संकाय के छात्र हैं । इस वर्ष रितेश कुमार झा ने १२ महीनों में कुल 46 किताबों का अध्ययन किया और अध्ययन से प्राप्त ज्ञान को विभिन्न मंचों, कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं में प्रसार किया । रितेश ने बताया कि पुस्तकालय का यह प्रयास सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरणा दायक है । रितेश नियमित रूप से पुस्तकालय आते हैं और सक्रिय रूप से पुस्तकालय से जुड़े विभिन्न कार्यकलापों में भाग लेते हैं । इस अवसर पर यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रो. अशर्फ़ी कामति ने अपने स्वागत सम्बोधन में बताया कि पुस्तकालय हमारे ग्रामीण परिवेश में एक माहौल प्रदान करता है जहाँ सिर्फ़ पुस्तकें ही नहीं, विद्वतजनों का मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है । इस पुरस्कार से पुस्तक पढ़ने वालों की संख्या बढ़ी है । कार्यक्रम का शुभारम्भ सुश्री श्रुति, आरती और नीतू द्वारा मंगलगान से किया गया । तत्पश्चात पंडित श्यामानंद झा के तैलचित्र पर उपस्थित विद्वतजनों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया । पाठक सम्मान समारोह का यह कार्यक्रम प्रख्यात साहित्यकार, साहित्यिकी सरिसब-पाही के संस्थापक सदस्य एवं संयोजक डॉ जगदीश मिश्र के अध्यक्षता में की गई । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. ईन्द्र नाथ ठाकुर और विशिष्ट अतिथि प्रो. केदार नाथ झा थे ।
प्रो. ईश नाथ झा, अजित मिश्र, अविनाश, आदि मुख्य वक्ताओं ने अपने सम्बोधन से श्रोताओं एवं विद्वतजनों को पंडित श्यामानंद झा के रचनाओं से अवगत कराया एवं पुस्तकालय से होने वाले लाभ से अवगत कराया । डॉ जगदीश मिश्र ने बताया कि पंडित श्यामानंद झा की अप्रतिम प्रतिभा, ईर्ष्य सूक्ष्मेक्षिका, शास्त्रीय गाम्भीर्य, स्पृहणीय मौलिकता और शालीनताक अनुकरणीय हैं । मैथिली एवं संस्कृत साहित्य में उनका योगदान विस्मरणीय है । मैथिली साहित्य के वरिष्ठ समीक्षक और क़रीब ४ दर्जन से अधिक पुस्तकों के संपादक डॉ रमानन्द झा ‘रमण’ ने पंडित श्यामानन्द झा के व्यक्तित्व और कृतित्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में पंडित झा का विशिष्ट साहित्यिक योगदान रहा है । उनकी रचनाएँ तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य का झलक प्रदान करती है और इस परिसर की सामाजिक और साहित्यिक जागरूकता से रूबरू करवाती है । डॉ रमण ने युवाओं को पंडित झा के रचनाओं को पढ़ने का सुझाव दिया । कार्यक्रम का संचालन मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिवशंकर श्रीनिवास ने किया । धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय सचिव उदय नाथ मिश्र के द्वारा किया गया । इस अवसर दिगम्बर कामति, पृथ्वी कामति, मिथिलेश मिश्रा, प्रबोध झा, अजित मिश्र, शैलेंद्र आनंद, रतिनाथ झा, उमानाथ मिश्र, जयंत मिश्र, भैरवेश्वर झा आदि विद्वतगण उपस्थित थे ।
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