अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस जितना जरुरी है, उससे भी कहीं अधिक स्कूल में होने वाली उनके क्रियाकलापों पर भी ध्यान रखना जरुरी है। यह तभी संभव हो पायेगा, ज वे तीसरी आंख की निगरानी में हो। यह अलग बात है कि अभी शिक्षक बायोमेट्रिक्स लागू होने पर ही हाय-तौबा करने मचाने लगे है। जबकि बच्चों के अभिभावक सरकार के इस कदम की सराहना कर रहे हैं। देखा जाएं तो अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षक का योग्य होना अति आवश्यक है। इसलिए शिक्षकों की भर्ती के समय सतर्कता बरती जानी चाहिए। साथ ही शिक्षा व्यवस्था में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का स्वागत करना चाहिए। खासकर शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए सबसे जरूरी है छात्रों व शिक्षकों का स्कूल में निर्धारित समय तक ठहराव होने के साथ ही सीखने व सिखाने की प्रक्रिया ठीक तरह से संपन्न हो। विषय अनुसार पर्याप्त शिक्षकों की पदस्थापना सत्रारंभ से पूर्व ही कर दी जाएं। बता दें, स्कूल आने और जाने के दौरान शिक्षकों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के आदेश दिए थे। साथ ही स्कूल के 12 रजिस्टर को डिजिटल करने के भी आदेश दिए थे। पूर्व में राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने नई व्यवस्था 15 जुलाई से शुरू करने के आदेश दिए, लेकिन दो दिन पहले अचानक निदेशक की ओर से इस आदेश में संशोधन कर दिया गया है। नया आदेश जारी करते हुए यह व्यवस्था आठ जुलाई से ही लागू कर दी गई है। अब परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत समस्त अध्यापकों, कार्मिकों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति विद्यालय आगमन-प्रस्थान का समय सोमवार से डिजिटल उपस्थिति पंजिका में दर्ज करने के लिए कहा गया है। देरी से पहुंचने वाले शिक्षकों के नाम के आगे (अ) यानी अनुपस्थित दर्ज हो जाएगा। नए फरमान से शिक्षकों में खलबली है। इसे लेकर शिक्षक संगठन भी विरोध में हैं
ऐसे उजागर होगी अध्यापकों का फर्जीवाड़ा
दरअसल, पहले यूपी में बड़े पैमाने पर फर्जी टीचर पढ़ा रहे थे। नौकरी पाने के लिए टीचर कई तरह की जालसाजी कर रहे है। पूरे मामले की जांच मुख्यमंत्री ने साल 2019 में यूपी एसटीएफ को दी। एसटीएफ ने करीब 1500 टीचर्स के खिलाफ कारवाई भी की। जांच में पता चला कि एक ही वख्त में एक टीचर अलग अलग जिलों में कई सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहा है। 2021 में योगी सरकार ने प्रेरणा एप लांच किया। सरकार का कहना है कि डिजिटल हाज़िरी से स्कूलों में गड़बड़ी रुकेगी। सभी टीचर्स को टाइम से स्कूल आना और जाना होगा, जिस टीचर को नौकरी मिली है उसी को पढ़ाना होगा और इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सकेगी। इसके अलावा परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में लगातार 30 दिन से ज्यादा अनुपस्थित छात्र जिनके किसी परीक्षा में 35 प्रतिशत से कम अंक हैं तो उन्हें ‘आउट आफ स्कूल’ विद्यार्थी की श्रेणी में रखा जाएगा. शासन ने आउट ऑफ स्कूल की परिभाषा में बदलाव करते हुए स्कूलों के बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. अगर किसी स्टूडेंट के 35 फ़ीसदी से कम नंबर हैं तो उनके शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए अतरिक्त कक्षाएं चलाई जाएंगी. इसके अलावा अभिभावकों की भी काउंसिलिंग होगी. बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम के अनुसार 6 से 14 साल का कोई भी बालक बालिका नामांकित नहीं तो बिना विद्यालय का माना जाएगा. बिना कारण 3 दिन अनुपस्थित रहने पर अभिभावक से संपर्क कर स्कूल बुलाया जाएगा. 6 दिन या उससे अधिक अनुपस्थिति रहने पर प्रधानाध्यापक घर जाकर निरीक्षण करेंगे. शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के मुताबिक अगर छात्र 6 महीने में लगातार 15 दिन गैरहाजिर रहता है तो दूसरी तिमाही की अभिभावक-शिक्षक मीटिंग में पेरेंट्स की काउंसिलिंग की जाएगी. ऐसे ही शिक्षा सत्र के 9 महीनों में कोई स्टूडेंट लगातार 21 दिन अनुपस्थित है तो तीसरी तिमाही की बैठक में अभिभावकों को चेतावनी दी जाएगी. इसके बाद फिर 30 दिन से ज्यादा अनुपस्थित होने पर किसी भी सतत मूल्यांकन या परीक्षा में उसके 35 फीसदी से कम नंबर हैं तो उसे स्कूल नहीं आने वाले छात्र की श्रेणी में गिना जाएगा. ऐसे छात्रों के शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए विशेष क्लासेज चलाई जाएंगी.कैसी है सरकार की तैयारी
यूपी सरकार ने स्कूलों को डिजिटल अटेंडेंस के लिए 2,09,863 टैबलेट दिए हैं, जिससे राज्य के 6 लाख 9 हज़ार टीचरों को डिजिटल हाज़िरी लगानी होगी। या यूं कहे 1 लाख 32 हज़ार स्कूलों में हाजिरी लगेगी। अभी 1 करोड़ 80 लाख बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते हैं। डिजिटल हाज़िरी क्लास 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में लगनी है। अभी सरकार ने क्लास 1 से 5 तक के स्कूलों को टैबलेट और कुछ स्कूलों में सिम दिए है। जिससे टीचरों को 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह 7ः45 से 8 बजे तक स्कूल आने पर और दोपहर 2ः15 से 2ः30 तक छुट्टी पर डिजिटल हाज़िरी देनी होगी। 1 अक्टूबर से सरकारी स्कूल का टाइम बदल जाएगा और तब 8ः45 से 9 बजे तक सुबह और दोपहर 3ः15 से 3ः30 तक छुट्टी पर डिजिटल हाज़िरी लगानी होगी। अगर टीचर की डिजिटल हाज़िरी समय पर नहीं होगी तो टीचर एब्सेंट माना जाएगा। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग ने विरोध को देखते हुए सुबह 7ः45 से 8 बजे वाले समय में आधे घंटे की छूट दी थी।
विरोध की वजह
सरकार का ये आदेश 8 जुलाई से लागू हो गया है लेकिन पूरे यूपी के में टीचर डिजिटल हाज़िरी नहीं लगा रहे, काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे है। टीचर्स का कहना है कि सरकार पहले ये आदेश बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर लागू करें। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि कई स्कूल में जाने की सड़क नहीं, करीब 30 फीसदी स्कूल में जाने की सड़क ठीक है और 60 फीसदी स्कूल में जाने के लिए सरकारी ट्रांसपोर्ट नहीं है। इसकी वजह से कई बार टीचर देर से स्कूल पहुंचते हैं। टीचर्स की छुट्टी कम है, सिर्फ 14 सीएल है जबकि अधिकारियों को 14, 31, 12 सेकेंड सैटरडे की छुट्टी मिलती है। इसके अलावा, स्कूलों की व्यवस्था ठीक नहीं है, सफाई करने वाला नहीं है, टीचरों को खुद स्कूल की सफाई करनी होती है, स्कूल में दिन दिन भर बिजली नहीं आती। ऐसे में पहले स्कूलों को बुनियादी सुविधा देने चाहिए तब डिजिटल हाज़िरी हो। वहीं, स्कूलों में दिन भर लाइट नहीं आती, नेटवर्क की समस्या रहती है ऐसे में डिजिटल हाज़िरी कैसे होगी? बच्चों की डिजिटल हाज़िरी में ही बहुत टाइम लगेगा।
सरकार का तर्क
सरकार ने भी अपना तर्क दिया है। सरकार ने कहा कि बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए कदम उठाया गया है। टीचरों को टाइम से स्कूल पहुंचना चाहिए। इससे टीचर्स के साथ साथ स्कूल में चल रही बाकी योजनाओं पर भी नज़र रखी जाएगी। स्कूल में 12 रजिस्टर होते है जिनमें बच्चों का डिटेल, बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील, ड्रेस, कापी किताब सब का डीटेल होते है। अब ये सब डिजिटल फीड करना होगा। जब बच्चों का एडमिशन स्कूल में होगा तब उनका पूरा ब्यौरा डिजिटल दर्ज करना होगा।
कैसे लगेगी हाज़िरी?
अभी टीचर रजिस्टर में हाजिरी (अटेंडेंस) लगाते हैं, आने जाने का टाइम लिखते हैं। महीने के आखिर में पूरा डिटेल बेसिक शिक्षा विभाग भेजता है। अब टैबलेट के सामने टीचर को अपना चेहरा लाना होगा तब अटेंडेंस होगी। टेबलेट और स्मार्टफोन को ज़ियोफेसिंग से पहचाना जाएगा तब हाज़िरी लगेगी।
सुझाव
शिक्षा विभाग के मुताबिक, अगर किसी स्कूल की बायोमेट्रिक मशीन खराब है, तो वहां के शिक्षकों को टैब के रूप में दूसरा ऑप्शन भी दिया गया है. टैब के ज़रिये शिक्षक हाज़िरी अपडेट कर सकते हैं. यही नहीं, शिक्षक स्मार्टफोन में अटेंडेंस एप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. हालांकि एक स्मार्टफोन से सिर्फ एक शिक्षक की ही अटेंडेंस अपडेट होगी।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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