मधुबनी : लच्छेदार शब्दों की बाजीगरी वाला भ्रामक बजट : राजद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 25 जुलाई 2024

मधुबनी : लच्छेदार शब्दों की बाजीगरी वाला भ्रामक बजट : राजद

Madhubani-rjd-on-budget
मधुबनी,  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के जिला अध्यक्ष सह पूर्व विधायक रामाशीष यादव,जिला प्रवक्ता इंद्रजीत राय, वरिष्ठ राजद नेता राजेंद्र यादव एवं सुरेंद्र चौधरी,ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि लच्छेदार शब्दों की बाजीगरी और भ्रामक बातों से युक्त मोदी सरकार का  बजट बेरोजगारी, महंगाई, आय और मजदूरी में भारी गिरावट की मार झेल रहे देश के मेहनतकश अवाम पर एक और मार है। उन्हें इस संकट और पीड़ा के दौर से निकालने के बजाये, यह बजट उनकी ही जेब काटने वाला साबित हुआ है। मोदी सरकार के इस बजट ने बिहार समेत देश के हर वर्ग को पुनः एक बार निराश किया है। राज्यों को दरकिनार कर के समावेशी विकास का सपना बस 'सपना' मात्र ही है। हर बार की तरह इस  बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है। बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की ज़रूरत थी और जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख़्त जरूरत है। रूटीन आवंटन तथा पूर्व स्वीकृत, निर्धारित व आवंटित योजनाओं को नई सौगात बताने वाले बिहार का अपमान ना करें। पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की माँग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे। यह बजट अवश्य ही कॉरपोरट घरानों और अति-धनिकों के लिये "अमृत" है जिनके लिये कॉरपोरेट टैक्स को लगातार घटाकर निजीकरण की मुहिम को और अधिक तेज कर दिया है। बजट में व्यापक आबादी वाले हिस्से किसान-मजदूरों की मांगों और आंदोलन को दरकिनार कर दिया गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: