आजकल के ये बच्चे, नहीं लगते अब सच्चे,
मां बाप की डांट, नहीं मानते वे अच्छे,
मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में,
हर वक्त वो खोए खोए से हैं रहते,
पहले जितनी मेहनत अब वे नहीं करते,
दोस्तो के संग मौज मस्ती उन्हें खूब भाता,
घर का अनुशासन अब उन्हें रास न आता,
आधुनिकता के नाम पर फैशन में खोए रहते,
बड़ो का आदर और मान सम्मान करना भी,
अब वो जरूरी ही नहीं समझते,
नाचने-गाने और सैर सपाटे में ही,
उनको बड़ा ही मजा आता है,
पढ़ाई लिखाई भी अब उन्हें कम ही भाता है,
इसलिए आजकल के बच्चे, नहीं लगते अब सच्चे।।
पूजा आर्या
चौरा, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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