प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2024 की जंग जीतने के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन .के निमंत्रण पर पहली द्विपक्षीय यात्रा के तौर पर रूस की राजधानी मॉस्कों पहुंचे है। वहां पीएम रूसी राष्ट्रपति के साथ 22वें रूस-भारत वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत की भी उम्मीद है. मतलब साफ है मोदी पुतिन मिलन एक बार फिर रुस और भारत के आर्थिक कारोबार बढ़ेंगे। दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी और गहरा होगा। खासकर आपसी सहयोग के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों से लोगों को बहुत फायदा होगा. स्वागत करने पहंचे ओवरसीज फ्रेंड्स बीजेपी रूस के अध्यक्ष सैमी कोटवानी ने तो यहां तक कहा, रूस के लोग मानते हैं पीएम मोदी और पुतिन कुंभ के मेले में खोए हुए दो भाई हैं
मतलब साफ है मोदी के मौजूदा रूस दौरे को मॉस्को के साथ दिल्ली के रिश्ते की अहमियत को दिखाना और पश्चिम के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश है। अपने पहले के दोनों कार्यकाल में शपथ के बाद मोदी ने पहले विदेशी दौरे के लिए पड़ोसी देशों को चुना था लेकिन इस बार उन्होंने रूस को चुना है। इस दौरान द्विपक्षीय हितों पर बात होगी. रूस के बाद प्रधानमंत्री 10 जुलाई को ऑस्ट्रिया भी जाएंगे. लेकिन समझा जा रहा है कि मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में भी भारतीय हित को लेकर बात कर सकते है। हालांकि, पीएम मोदी के रूस दौरे से पश्चिमी देशों में जलन देखने को मिल रही है. क्रेमिलन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) ने इस बात का दावा किया है. जबकि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले इस युद्ध को समाप्त करने की अपील मोदी कर चुके है. जहां तक जलन की बात है तो यह पहली बार नहीं है, 1950-1960 के दशक से पश्चिमी देशों में भारत-रूस के रिश्तों पर ईर्ष्या देखने को मिली है. हालांकि, भारत पश्चिम के दबाव को लगातार खारिज करता आ रहा है और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के साथ आगे बढ़ रहा है. यूक्रेन संकट में भी भारत और रूस की साझेदारी पर अब तक कोई आंच नहीं आई है. दो साल पहले जब पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात हुई तब दोनों नेताओं ने कहा था, ’रूस और भारत की दोस्ती अटूट है.’ भारत और रूस को हर संकट पर साथ खड़े देखा जा सकता है. भारत की तटस्थ विदेश नीति हर किसी को आकर्षित कर रही है.
रूस से सस्ती ऊर्जा खरीदने का अवसर भी भारत के निर्णयों को प्रभावित करता है. रूस से कच्चे तेल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की खरीद में वृद्धि हुई है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. भारत और रूस के बीच दोस्ती का आधार कई ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों पर आधारित है. भारत और सोवियत संघ के बीच के रिश्ते 1950 के दशक से ही मजबूत रहे हैं. दोनों देशों ने शीत युद्ध के दौरान एक-दूसरे का समर्थन किया. खासकर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान. रूस, भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है. भारत की सेना के उपकरणों और हथियारों का एक बड़ा हिस्सा रूस से आता है. दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी सहयोग भी होता है. दोनों देश विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, जैसे संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स,और शंघाई सहयोग संगठन. भारत और रूस के बीच ऊर्जा, खनिज और अन्य क्षेत्रों में व्यापारिक संबंध हैं. दोनों देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग करते हैं, जैसे कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना. चीन की बढ़ती ताकत और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत और रूस एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी हैं, जैसे शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, भारतीय छात्रों का रूस में पढ़ाई करना, और रूसी संस्कृति का भारत में प्रसार. यही वजह है कि रूस भारत का एक भरोसेमंद साथी बना हुआ है और दोनों देशों के बीच दोस्ती मजबूत बनी रहती है।
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक, रणनीतिक और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंध माने जाते हैं. ये संबंध कई मायने में अहम हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. 2021 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 10 अरब डॉलर था. द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने 2025 तक 30 अरब डॉलर तक के लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया है. भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र मेसहयोग रहा है. रूस ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजने में मदद की थी. दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में सहयोग होता है. इसके अलावा, भारतीय छात्रों की एक बड़ी संख्या रूसी यूनिवर्सिटीज़ में शिक्षा हासिल करती है. दोनों देशों केवैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में सहयोग होता है. इसके अलावा, भारतीय छात्रों की एक बड़ी संख्या रूसी यूनिवर्सिटीज़ में शिक्षा हासिल करती है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी होते हैं. भारतीय संस्कृति और योग का रूस में बड़ा प्रभाव है. भारत और रूस विभिन्न अंतररराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं, जैसे शंघाई सहयोग संगठन और संयुक्त राष्ट्र. दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ सहयोग करते हैं और वैश्विक सुरक्षा में योगदान देते हैं. फिलहाल, भारत और रूस के बीच उभरते हुए नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, और ग्रीन एनर्जी शामिल है.दोनों देशों के बीच नियमित दौरे और शिखर सम्मेलन होते हैं.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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