(डॉ० लेल कृष्ण रैणा)
अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट-ब्लेयर की यात्रा के दौरान यहाँ की सेल्युलर जेल का उल्लेख करना परम आवश्यक है।यह जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने और उन पर ज़ुल्म ढाने के लिए बनाई गई थी। यह जेल ‘काला पानी’ के नाम से भी कुख्यात है।अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता-सैनानियों पर किए गए अत्याचारों,ज़ुल्म-सितम और यातनाओं की मूक गवाह है इस जेल की दीवारें और इन दीवारों की एक-एक ईंट! अंग्रेजी सरकार का विरोध करने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों अथवा बागियों को उम्रभर के लिए ‘काले-पानी’ अथवा सेल्युलर जेल भेजने की सजा दे दी जाती थी ताकि आगे कोई भी व्यक्ति सरकार का विरोध करने की कोशिश न करे।फौजी डॉक्टर और आगरा जेल के वार्डन जे. पी. वॉकर और जेलर डेविड बेरी की निगरानी में 'बागियों' को लेकर पहला जत्था 10 मार्च सन 1858 को एक छोटे युद्धपोत में यहाँ पहुंचा था।
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