गुरु पूर्णिमा पर विशेष : जो विशेषताएँ परमात्मा में है वो सभी आत्माओं में है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 जुलाई 2024

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : जो विशेषताएँ परमात्मा में है वो सभी आत्माओं में है

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दरभंगा, 21 जुलाई, ईश्वर हैं, इस विश्वास में कहीं कोई संशय नहीं,  क्योंकि सबका नश्वर शरीर चलायमान होता है आत्मा से ही और  यह जो  सूक्ष्म आत्मा है  तो उसका कोई बाप भी तो होगा ही ना। जिस प्रकार बूँद का अस्तित्व समुद्र से है उसी प्रकार आत्मा का अस्तित्व परमात्मा से है। परमात्मा नियंता है , सत्त, चित् और आनंद हैं। अतः जो विशेषताएँ परमात्मा में हैं  वो सभी आत्माओं में निश्चित ही हैं । फिर ऐसा क्यों है कि हम उस परम सत्ता से विमुख होकर संसार के दुःखों-कष्टों को गले लगाते हैं और कुछ विचार नहीं करते ?

       

दार्शनिक चिंतन करना हर प्राणी का अधिकार है किंतु कुछ ऐसे प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर विरले ही दे पाता है । यहाँ निराकार परमात्मा और साकार परमात्मा को लेकर प्रश्न उपस्थित है। कई ऐसे पन्थ हैं जो साकार परमात्मा की ही उपासना करते हैं, और भक्ति की तमाम सीमाओं को पार कर आह्लादित होते हैं।यूँ तो बचपन से ही मेरी रुचि आध्यात्म में रही , पिछले पच्चीस वर्षों से मैं भी कृष्ण भावना भावित हूँ और बरसाने के गुरू युगल प्रिया दास की शुद्ध भक्ति का मन्त्र ले रखी हूँ ।मैंने मन्त्र जाप की शक्ति को कई बार अनुभव कर परमानन्द को साक्षात किया है , आनंद विभोर के समुद्र में गोते भी लगाए हैं ।

         

फिर समय के साथ ऐसा कुछ हुआ कि पता नहीं कैसे गिरावट हुई।  गिरना और गिर - गिर कर उठते रहने का क्रम बनता रहा ।सतोगुण-रजोगुण बढ़ते हैं तो ख़ुद ब ख़ुद तमोगुण नष्ट हो जाते हैं ।यह अनुभव होता है। जिस चीज़ के पीछे संसार का 80 प्रतिशत  प्राणी “पागल” हुए जाते हैं ये मुझे आकर्षित ही नहीं करते हैं  ।इधर-उधर के वार्तालाप भी मुझे आकर्षित नहीं करते हैं।

            

सन् 2023, 16 जुलाई को मेरे जीवन के तूफ़ान में गिरते-उठते छः महीने हो गये। मैं ख़ुद को बहुत शक्तिशाली मानती हूँ परन्तु मेरे कृष्ण-राधे ने मेरी परीक्षा ली और बहुत दिनों बाद मुझे धैर्य प्रदान किया । पता नहीं ईश्वरीय लीला क्या थी। मैं 18 मई 2024 को ब्रह्मा कुमारी संस्था से जुड़ी क्योंकि मुझे लगा रास्ता चाहे कोई भी हो अंजाम सबका एक ही होता है ,ईश्वर को प्राप्त करना ।मुझे गुरू का सानिध्य प्राप्त होगा । भृकुटी के मध्य ज्योति स्वरूप अपनी आत्मा से परिचय कराकर  चाँद-सितारों और सूरज के ऊपर के ब्रह्माण्ड में प्रवेश कराना भी कठिन साधना है ।

                 

हमारी विशेष साधक योगिनी बहनें एवं भाई-बहन अपने मन-बुद्धि रूपी यान में बैठकर शिव बाबा के पास जाकर आनन्दित होती हैं जो बहुत ही ऊपर गुलाबी ब्रह्माण्ड में विराजमान है। आज का युग संगम युग है । बाबा को नये युग का निर्माण करना है ।कलियुग समाप्ति पर है अतः सतयुग के इस सन्धि बेला जिसे डायमंड युग के नाम से भी जाना जाता है उसमें आत्मा को स्वयं के कर्माधीन होकर ख़ुद को तैयार करने का समय आ गया है ।आइए गुणातीत बने ,निर्गुण ब्रह्म बनने का रास्ता ढूँढ शिव बाबा के पास चलें, क्योंकि मैं ही फ़रिश्ता हूँ शिव बाबा की ।ॐ शान्ति




Dr-saroj-chaudhary


—डा सरोज चौधरी —

अवकाश प्राप्त प्रोफेसर

महारानी कल्याणी कालेज

दरभंगा

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