कविता : जब बारिश तू आये - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

कविता : जब बारिश तू आये

जब बारिश जब तू आये, 

कितने दिलों को भाए,

पेड़ पौधे हों या धरती की हरियाली,

एक सुंदर सा दृश्य स्वरूप,

चारों दिशाओं में फैल जाए,

नालों का नदियों में घुलना,

ऊंचे पहाड़ों से झरनों का गिरना,

हर दिन मौसम आना तेरा,

कितने मौसम जैसा दिखना तेरा,

हर बार तेरा आना आनंद तो नहीं,

कई लोगों के घर छत भी नहीं,

फिर भी बारिश का मौसम क्यों है इतना ख़ास?

हां, माना कि प्रकृति की सुंदरता भाए,

फिर वह भला हमें हानि क्यों पहुंचाए?

ए, बारिश जब भी तू आये,

खेत खलियान सब लहलहाए,

क्या कहूं खुद के आनंद की,

देख के वर्षा को मन आनंदित हो जाए।।





Tania-charkha-featire

तानिया

चौरसो, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फ़ीचर

कोई टिप्पणी नहीं: